Move to Jagran APP

Indian Railway: क्या अपने भी कभी इस्तेमाल किए हैं भारतीय रेलवे के ब्लैंकेट?

Indian Railwayभारतीय रेल दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है लेकिन व्यवस्था के मामले में ये बैक फुट पर आ जाता है। ये बात एक RTI से साफ होती है जिसमें चौकाने वाला खुलासा हुआ।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Wed, 11 Mar 2020 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 11 Mar 2020 09:17 AM (IST)
Indian Railway: क्या अपने भी कभी इस्तेमाल किए हैं भारतीय रेलवे के ब्लैंकेट?
Indian Railway: क्या अपने भी कभी इस्तेमाल किए हैं भारतीय रेलवे के ब्लैंकेट?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Blankets Of Indian Railway: हम में से ज़्यादातर लोगों ने कभी न कभी अपनी ज़िंदगी में AC ट्रेन में सफर करते वक्त भारतीय रेलवे द्वारा दिए जाने वाले ब्लैंकेट, बेडशीट और तकिए का इस्तेमाल ज़रूर किया होगा। रेलवे के सभी बेडशीट और तकिए रोज़ाना धुलते हैं और तभी यात्रियों को दिए जाते हैं। हालांकि, मुंबई-दिल्ली राजधानी या अगस्त क्रांति राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में मिलने वाले ब्राउन या काले रंग के मोटे ब्लैंकेट महिने में सिर्फ एक ही बार धुलते हैं।

loksabha election banner

भारतीय रेल दुनिया की चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है, लेकिन जब बात रेल व्यवस्था की आती है तो इस मामले में भारतीय रेल बैक फुट पर आ जाता है। इस बात की पुष्टि एक RTI से होती है, जिसमें चौकाने वाला खुलासा हुआ है। इससे पता चला है कि भारतीय रेल के ऐसी कम्पार्टमेंट में दी जाने वाली ब्राउन और रेड कलर की ब्लैंकेट की सफाई महीने में सिर्फ एक बार होती है। वहीं, सफ़ेद रंग कि बेडशीट और पिलो कवर की सफाई हर रोज़ होती है।  

इस  RTI की याचिका 64 वर्षीय कार्यकर्ता जतिन देसाई ने दायर की थी, जिसमें उन्होंने भारतीय रेल से सवाल किया था कि भारतीय रेल की सभी प्रमुख रेलों और प्रीमियम रेल में दी जाने वाली ब्राउन और ब्लैक ब्लैंकेट की सफाई कितने दिनों में की जाती है, जिसके जवाब में भारतीय रेल ने बताया कि देश की प्रमुख रेल ( जैसे मुंबई राजधानी, अगस्त क्रांति) सहित सभी प्रीमियम रेल में दी जाने वाली ब्लैक और ब्राउन ब्लैंकेट की सफाई महीने में सिर्फ एक बार की जाती है। वहीं, सफ़ेद रंग के ब्लैंकेट को रोज़ बदला जाता है।

इस बारे में जतिन देसाई का कहना है कि मैं अपने दोस्त के साथ दिल्ली से मुंबई जा रहा था, जब मुझे ब्लैंकेट दिया गया तो उसमें कई जगह पर होल थे। साथ ही ब्लैंकेट मैला था और उससे बदबू भी आ रही थी। वहीं, मेरा दोस्त ब्लैंकेट लेकर आया था, जब उनसे मैंने पूछा कि ऐसा क्यों हैं, तो उन्होंने कहा कि मुझे इन पर भरोसा नहीं है। इसके बाद मैंने  RTI डालकर भारतीय रेल से जवाब मांगा। 

आपको बता दें कि एक्टिविस्ट जतिन देसाई ने फरवरी में RTI डाली थी, जिसका जवाब अब आया है। अगर भारतीय रेल के जवाब पर नज़र डाले तो पता चलता है कि महीने दिन में प्रीमियम अथवा राजधानी रेल औसतन 83 हजार किलोमीटर की यात्रा तय करती है और तब तक ब्लैंकेट को केवल एक बार धोया जाता है। जब पश्चिम रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशन ऑफिसर से इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि क्योंकि ब्लैंकेट ऊनी होते हैं इसलिए उन्हें सिर्फ 50 बार ही धोया जा सकता है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.