घूमने-फिरने का सस्टेनेबल तरीका है Eco Glamping, पर्यावरण को भी नहीं होता कोई नुकसान
इको ग्लैंपिंग एक ऐसा तरीका है जिससे आप प्रकृति के बीच रहकर भी आरामदायक और शानदार जीवन जी सकते हैं। यह स्लो लिविंग और पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को अपनाने का एक तरीका है। आरती तिवारी के इस लेख में पर्यटन के इस टिकाऊ तरीके के बारे में बताया गया है जिसमें हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।

आरती तिवारी, नई दिल्ली। शहर की लगातार भागती-दौड़ती जिंदगी दिमाग पर इतनी हावी हो जाती है कि दिल की धड़कन कहीं दब जाती है। बरसों हुए झिंगुर की आवाज सुने और तारों के नीचे जुगनुओं को झिलमिलाते नहीं देखा। बचपन का सपना था कि कभी आकाश तले टेंट लगाकर कुछ देर बैठा जाए, मगर आज फोन के नेटवर्क की लाइन एक इंच भी कम हो जाए तो एंग्जाइटी का स्तर बढ़ने लगता है।
अब जरा सोचिए कि आप एक ऐसे वातावरण में हैं जहां कैनवास के बने टेंट की दीवारों से छनकर आने वाली धूप के साथ आपकी सुबह हो, कोरस में पक्षियों की चहचहाहट हो, टेंट की खिड़की से आने वाली हवा में बाहर की नम और हल्की भुरभुरी मिट्टी की सोंधी महक और ठंडक भी साथ हो, यह कोई कल्पना नहीं बल्कि यह है इको ग्लैंपिंग। यानी जहां आप प्रकृति के बीच रहते हुए कैंपिंग तो करेंगे, मगर आपकी सुविधाओं में भी कोई कमी नहीं होगी। ग्रामीण दुनिया के आकर्षण से युक्त यह टूरिज्म का नया तरीका है, जहां जरूरत की सभी विलासिताओं का आनंद लेते हुए भी आप कर सकते हैं प्रकृति के साथ कदमताल। महाराष्ट्र का नासिक शहर, अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और समृद्ध संस्कृति के कारण ईको ग्लैंपिंग के लिए एक उत्कृष्ट गंतव्य बनता जा रहा है।
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ईको ग्लैंपिंग के लिए एक आदर्श स्थान
नासिक अपनी विविध भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यहां हरी-भरी पहाड़ियाँ, शांत झीलें, घने जंगल और उपजाऊ खेत हैं। यह शहर अपनी समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है। नासिक की शांत जलवायु और प्राकृतिक सुंदरता इसे शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर एक शांतिपूर्ण ठिकाना बनाती है, जो ईको ग्लैंपिंग के अनुभव को और भी खास बनाता है। नासिक में ईको ग्लैंपिंग स्थलों पर विभिन्न प्रकार के आरामदायक आवास विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं। नासिक में ईको ग्लैंपिंग स्थल अक्सर प्रकृति से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों की पेशकश करते हैं, जैसे:
- ट्रेकिंग व एडवेंचर गेम: आसपास की पहाड़ियों और जंगलों में प्राकृतिक रास्तों पर चलने के साथ ही पैराग्लाइडिंग, कायाकिंग,पैरासेलिंग आदि शामिल हैं।
- प्रकृति अवलोकन: पक्षियों को देखना, वन्यजीवों को देखना और विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों के बारे में जानना।
- कैंप फायर: तारों भरे आसमान के नीचे आग के चारों ओर बैठना और कहानियां साझा करना।
- स्थानीय संस्कृति का अनुभव: आसपास के गांवों का दौरा करना, स्थानीय लोगों से मिलना और उनकी परंपराओं को जानना।
- योग और ध्यान: शांत वातावरण में प्रकृति के साथ जुड़कर मन को शांति देना।
- झील में नौका विहार: शांत झीलों में नाव की सवारी का आनंद लेना।
यह भी है जीने का तरीका
बीते दिनों से चर्चा में है कि 1901 के बाद इस वर्ष मार्च सबसे गर्म माह रहा। ऐसे में यही सबसे जरूरी है कि हम अपने संसाधनों और प्रकृति के बीच संतुलन बिठाना सीख लें। यही तरीका बताता है इको ग्लैंपिंग टूरिज्म। प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाते हुए किस प्रकार हम अपनी सुविधाओं का भी आनंद ले सकते हैं, यहां हर कदम पर इसके उदाहरण हैं। इको ग्लैंपिंग में रहने के लिए मौजूद टेंट, सुइट्स और पाड्स आपको बिजली, एसी आदि का सुख तो देते हैं, मगर ये सौर ऊर्जा से संचालित हैं।
जल संरक्षण के लिए भी यह जगह आदर्श है। पेड़ों, जंगलों और नदियों के मुहाने पर बनाए गए इन अस्थायी रिजार्ट में महाराष्ट्र टूरिज्म की तरफ से नासिक और उत्तराखंड के कनाताल में समय बिता चुके ट्रेवल ब्लागर कार्तिक अपना अनुभव साझा करते हुए बताते हैं, ‘इन दिनों हर किसी की चर्चा में है इको फ्रैंडली जीवनशैली। ऐसे में अगर इको फ्रैंडली टूरिज्म हो तो क्या कहना! नासिक इको ग्लैंपिंग जहां गोदावरी नदी के किनारे स्थित था तो वहीं उत्तराखंड में पहाड़ों और जंगलों के बीच जीवन जीने का अनुभव मिला।
इतने बड़े स्केल पर सरकार टूरिज्म के इस तरीके को प्रस्तुत कर रही है, वह मेरे लिए रोचक अनुभव था। यहां का फूड, कल्चरल डांस प्रेजेंटेशन, फोटोग्राफी व ट्राइबल आर्ट वर्कशाप से लेकर एडवेंचर गेम्स और स्टारगेजिंग सब कुछ इतना बेहतरीन कांबिनेशन था, जो मेरे लिए मनोरंजक और राहत देने वाला अनुभव तो था ही, साथ ही यह प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना जीवन को कैसे जी सकते हैं, इसकी भी सीख दे गया।’ निस्संदेह इको-ग्लैपिंग आराम की हमारी इच्छा और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी के बीच की खाई को पाटने की क्षमता रखता है।
स्लो लिविंग की करें शुरुआत
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से महज चार घंटे की दूरी पर मौजूद नासिक में महाराष्ट्र सरकार की तरफ से आयोजित किए गए इको ग्लैंपिंग में प्रवेश करते ही आप स्लो लिविंग की दुनिया से दो-चार हो सकते हैं। नदी और खेतों से घिरे इस स्थान में योग करना और नेचर वाक आपकी सुबह ही स्लो लिविंग के साथ शुरू होती है। स्थानीय वनस्पतियों और मसालों से तैयार भोजन का अपना स्वाद है तो वहीं शाम को गोदावरी नदी में सूरज ढलते देख महसूस होता है कि हर वक्त भागना-तनाव लेना ही जिंदगी नहीं। यह यात्रा आपकी मानसिक –शारीरिक सेहत के लिए पोषण तो है ही साथ ही पृथ्वी को राहत देने में भी सहायक साबित होती है, प्रकृति के साथ मनुष्य के सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने का तरीका बता सकती है। टूरिज्म का यह प्रकार विलासिता, स्थिरता और रोमांच का ऐसा आदर्श मिश्रण है, जो इसे प्रकृतिप्रेमियों और शहर से शांतिपूर्ण पलायन की तलाश करने वालों के लिए आदर्श बनाता है।
नासिक में ईको ग्लैंपिंग प्रकृति प्रेमियों और शांति की तलाश करने वालों के लिए एक शानदार विकल्प है। यह आपको प्रकृति की गोद में आराम करने, स्थानीय संस्कृति का अनुभव करने और पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने का अवसर प्रदान करता है। यदि आप एक अद्वितीय और टिकाऊ यात्रा अनुभव की तलाश में हैं, तो नासिक में ईको ग्लैंपिंग निश्चित रूप से आपके लिए एक यादगार अनुभव साबित होगा।
इन जगहों पर उपलब्ध है इको ग्लैंपिंग
- लद्दाख
- उत्तराखंड
- राजस्थान
- मध्य प्रदेश
- नासिक
- केरल
- कर्नाटक
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