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    Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: वास्तुकला का नायाब नमूना हैं शिवाजी द्वारा बनवाए गए ये 6 किले

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Wed, 19 Feb 2020 01:47 PM (IST)

    Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्म दिवस के अवसर पर उनके द्वारा निर्मित किलों को घूमने का बनाएं प्लान। जो हैं वास्तुकला का नायाब नमूना।

    Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: वास्तुकला का नायाब नमूना हैं शिवाजी द्वारा बनवाए गए ये 6 किले

    छत्रपति शिवाजी महाराज को किलों का बहुत शौक था। अपने शासन काल में उन्होंने कई ऐसे किलों के निर्माण करवाए जो आज भी वैसे ही बरकरार हैं। 19 फरवरी 1630 में जन्मे छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी वीरता और बहादुरी के लिए जाना जाता है। तो आज उनके जन्म दिवस के अवसर पर उनके द्वारा बनाए गए किलों के बारे में जानेंगे। जो खासतौर से अपनी विशाल और अद्भुत वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं।

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    प्रतापगढ़ किला

    महाराष्ट्र के सतारा में स्थित प्रतापगढ़ किला शिवाजी के शौर्य की कहानी बताता है | इस किले को प्रतापगढ़ में हुए युद्ध से भी जाना जाता है। शिवाजी ने नीरा और कोयना नदियों की ओर से राज्य की सुरक्षा के लिए यह किला बनवाया था। समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित प्रतापगढ़ का किला 1665 में बनकर तैयार हुआ था। इस किले से 10 नवम्बर 1656 को छत्रपति शिवाजी और अफजल खान के बीच युद्ध हुआ था जिसमें शिवाजी की जीत हुई थी। प्रतापगढ़ किले की इस जीत को मराठा साम्राज्य के लिए नींव माना जाता है |

    लोहागढ़ दुर्ग

    महाराष्ट्र के पहाड़ी किलों में से एक है लोहागढ़ किला। यह पुणे से 52 किमी दूर लोनावाला में स्थित है। किले का इस्तेमाल खासतौर से सूरत से लूटे गए माल को रखने के लिए किया जाता था। बाद में इसका इस्तेमाल रहने के लिए किया गया और किले के अंदर विशाल टैंक और सीढ़ियों का भी निर्माण करवाया गया।

    सिंधु दुर्ग

    छत्रपति शिवाजी ने सिन्धु दुर्ग का निर्माण कोंकण तट पर कराया था। सिंधु दुर्ग का मतलब समुद्र का किला। मुंबई से 450 किमी दूर कोंकण के पास सिंधुदुर्ग किला है। इस किले को बनने में तीन साल का समय लगा था।सिन्धुदुर्ग किला 48 एकड़ में फैला हुआ है। किले का बाहरी दरवाजा इस तरह बनाया गया है कि सुई भी संदर नहीं जा सकती। किले में 3 जलाशय हैं जो कभी नहीं सूखते जबकि गर्मी के मौसम में गांव के जलाशय पूरी तरह सूख जाते हैं। 

    रायगढ़ फोर्ट

    महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड पहाड़ी पर बना है मशहूर रायगढ़ किला। जो समुद्र तल से 820 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ये किला भी छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाए गए शानदार किलों में से एक है जिसका इस्तेमाल अब जेल के तौर पर किया जाता है। शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक भी यहीं हुआ था। किले तक पहुंचने के लिए 1737 सीढ़ियां हैं लेकिन अब यहां तक पहुंचने के लिए रोपवे का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे सिर्फ 20 मिनट में किले को टॉप पर पहुंचा जा सकता है। 

    पुरंदर किला

    पुरंदर का किला पुणे से 50 किमी की दूरी पर सासवाद गांव में है। इसी किले को जीतने के साथ शिवाजी महाराज के शासन की शुरुआत हुई थी। मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1665 में इस किले पर कब्जा कर लिया था जिसे महज पांच सालों बाद शिवाजी ने छुड़ा लिया था और पुरन्दर के किले पर मराठा झंडा लहरा दिया था। इस किले में एक सुरंग है जिसका रास्ता किले के बाहर की ओर जाता है। इस सुरंग का इस्तेमाल युद्ध के समय शिवाजी बाहर जाने के लिए किया करते थे।

    शिवनेरी दुर्ग

    छत्रपति शिवाजी जा जन्म इसी किले में हुआ था। शिवनेरी किला, महाराष्ट्र के पुणे के पास जुन्नर गांव में है | इस किले के भीतर माता शिवाई का मन्दिर है जिनके नाम पर शिवाजी का नाम रखा गया था। इस किले में मीठे पानी के दो स्त्रोत है जिन्हें लोग गंगा -जमुना कहते है। लोगो का कहना है कि इनसे साल भर पानी निकलता है।किले के चारों ओर गहरी खाई है जिससे शिवनेरी किले की सुरक्षा होती थी। इस किले में कई गुफाएं हैं जो अब बंद पड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि इन गुफाओ के अंदर ही शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध का अभ्यास किया था।