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    Bodi Tribe: इस जनजाति में मोटापा है सम्मान की निशानी, तोंद निकालने के लिए जानवरों का खून तक पी जाते हैं लोग

    दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लोग सुंदरता बढ़ाने को लेकर तरह-तरह की कोशिशें करते हैं और इसमें मोटापे को सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि अफ्रीका की बोदी जनजाति (Bodi Tribe Culture) में लोग मोटे होने की कोशिशें करते हैं और इसके लिए जानवरों का खून पीने से भी पीछे नहीं हटते हैं। आइए जानें इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Mon, 02 Dec 2024 07:07 PM (IST)
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    Bodi Tribe: बोदी जनजाति में मोटे लोगों को मिलता है सबसे ज्यादा सम्मान (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Bodi Tribe Culture: दुनिया भर में कई आदिवासी समुदाय रहते हैं, जिनकी अपनी अनूठी संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं। ये समुदाय सदियों से अपने जंगलों और भूमि पर रहते आए हैं। कई बार इनकी परंपराएं (Ethiopian Bodi Tribe Rituals) हमें अजीब लग सकती हैं, लेकिन ये उनके लिए बेहद खास होती हैं। इथियोपिया में रहने वाली बोदी जनजाति भी ऐसी ही एक जनजाति है, जिसमें लोग एक अनोखी प्रतियोगिता आयोजित करते हैं। इस प्रतियोगिता में सबसे मोटा व्यक्ति जीतता है। जीतने वाले व्यक्ति को समुदाय का हीरो माना जाता है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लोग वजन बढ़ाने के लिए (Bodi Tribe Weight Gain) छह महीने तक खास डाइट लेते हैं, जिसमें गाय का दूध और खून भी शामिल होता है। आइए जानें।

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    तोंद निकालने के लिए लेते हैं खास डाइट

    अफ्रीका के इथियोपिया में ओमो घाटी के घने जंगलों में रहने वाली बोदी जनजाति एक अनोखी परंपरा का पालन करती है। इस जनजाति में, बड़ी तोंद वाले पुरुषों को ज्यादा सम्मान दिया जाता है, बता दें यहां उन्हें सुपरस्टार जैसा दर्जा प्राप्त है। यह मान्यता है कि बड़ी तोंद सेहत और समृद्धि का प्रतीक है। इस अनोखे रीति-रिवाज को बनाए रखने के लिए, पुरुष विशेष डाइट लेते हैं जिसमें जानवरों का दूध और खून भी शामिल होता है। वे लंबे समय तक एकांत में रहकर इस आहार का सेवन करते हैं जिससे उनका वजन बढ़ता है और तोंद निकल आती है।

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    जंगल के राजा बनने की अनोखी परीक्षा

    ओमो घाटी के जंगलों में रहने वाली एक आदिवासी जनजाति की अनोखी परंपरा है। वे गाय के दूध के साथ-साथ उसका खून भी पीते हैं। इस प्रथा के अनुसार, वे जानवर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि उसकी नस काटकर सावधानी से खून निकालते हैं। दूध और खून को मिलाकर एक विशेष मिश्रण बनाया जाता है जिसे वे नियमित रूप से पीते हैं। हर साल नए साल के मौके पर यहां एक अद्भुत उत्सव मनाया जाता है जिसे 'कोयल' कहते हैं। इस उत्सव का मुख्य आकर्षण कुंवारे पुरुषों के बीच एक प्रतियोगिता होती है। इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को गाय के दूध और खून के मिश्रण को सबसे ज्यादा मात्रा में पीना होता है।

    छह महीने की कठिन साधना

    इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले पुरुष छह महीने पहले से ही अपनी तैयारी शुरू कर देते हैं। इस दौरान उन्हें एक सख्त अनुशासन का पालन करना होता है। उन्हें किसी भी महिला के साथ कोई भी संबंध बनाने से और घर से बाहर निकलने से मना किया जाता है। उनकी दिनचर्या का एक जरूरी हिस्सा है जानवरों का खून और दूध पीना। उन्हें हर रोज सूर्योदय के समय एक बर्तन में दो लीटर दूध पीना होता है।

    प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लोग अक्सर छह महीने की कड़ी मेहनत के बाद इतने मोटे हो जाते हैं कि चलना तक मुश्किल हो जाता है। इस प्रतियोगिता का आखिरी लक्ष्य है सबसे मोटे व्यक्ति को चुनना। विजेता का चुनाव होने के बाद, एक पवित्र पत्थर से पशु की बलि दी जाती है और इस तरह प्रतियोगिता का समापन होता है। इसके बाद, पुरुष अपने सामान्य जीवन की ओर लौट जाते हैं।

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