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    Bihu 2019: जानें इस पर्व का महत्व, सेलिब्रेशन और अन्य रोचक बातें

    बिहू को असम का नेशनल फेस्टिवल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। तीन तरह के बिहू फेस्टिवल में आप यहां की संस्कृति की अलग-अलग झलक देख सकते हैं। जानेंगे इसके महत्व और सेलिब्रेशन के बारे में।

    By Priyanka SinghEdited By: Updated: Mon, 15 Apr 2019 12:39 PM (IST)
    Bihu 2019: जानें इस पर्व का महत्व, सेलिब्रेशन और अन्य रोचक बातें

    बिहू असम का सबसे खास त्योहारों में से एक है। जब मौसम की पहली फसल को असम के लोग अपने देवता शबराई को अर्पित करते हैं। जिससे उनका घर हमेशा अनाज से भरा रहे। यह फसल पकने की खुशी में मनाया जाने वाला त्योहार है। जिसे असम के अलावा ओड़िशा, पंजाब, नेपाल, तमिल नाडु और केरल में भी मनाया जाता है। इस दिन नहा-धोकर, नए कपड़े पहनने का रिवाज़ है।
    कब
    15-21 अप्रैल 2019 
    कहां
    असम
    बिहू का महत्व 
    नए साल की शुरूआत के साथ ही फसल कटाई, शादी-ब्याह के शुभ मुहुर्त की होती है शुरूआत और यही इसे बनाते हैं खास। 
    कैसे मनाते हैं बैसाख बिहू
    बैसाख महीने से शुरू होता है असम का नया साल। 7 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। इसे बोहाग बिहू के नाम से भी जाना जाता है। बिहू के पहले दिन गाय की पूजा होती है। सुबह-सुबह नदी में ले जाकर उसे स्नान कराया जाता है। नहलाने के लिए कच्ची हल्दी और कलई दाल का इस्तेमाल किया जाता है। उनके आसपास मच्छर-मक्खी को भगाने के लिए औषधि वाले पौधों से धुआं किया जाता है। गायों को बांधने के लिए नई रस्सी होती है। इस दिन लोग दिन में दही-चिवड़ा खाते हैं।  
    असमिया लोग इस नए साल की खुशी में तमाम तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। पकवानों के साथ ही हरी पत्तियों वाली साग-सब्जी खाई जाती है। बिहू में लोग बिहू डांस करते हैं जो यहां का पारंपरिक नृत्य है। ढोल, बांसुरी, पेपा, ताल की थाप पर नाचते महिला-पुरुषों का परिधान भी पारंपरिक होता है। 

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    शादी-ब्याह की होती है शुरूआत
    बिहू फेस्टिवल के साथ ही यहां शुरू होता है शादी-ब्याह का दौर। जब महिलाएं अपनी पसंद से अपना जीवन साथी चुनती हैं। इस माह में यहां ज्यादातर शादी-ब्याह संपन्न होते हैं। रंगारंग कार्यक्रम त्योहार के उत्सव को बढ़ाए और बनाए रखने का काम करते हैं।   

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    तीन तरह का होता है बिहू फेस्टिवल  
    बिहू फेस्टिवल साल में एक नहीं बल्कि तीन बार आता है। जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। अप्रैल में मनाए जाने वाले बिहू को रोंगाली और बोहाग के नाम से जाना जाता है वहीं अक्टूबर के बिहू को कंगाली और काती के नाम से, तो जनवरी में मनाए जाने वाले को भोगाली और माघ बिहू के नाम से जाना जाता है।     
    बिहू में बनने वाले पकवान
    इस दिन घरों में नारियल लड्डू, मच्छी पीतिका, बेनगेना खार, घिला पीठा बनाने का रिवाज़ है।