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देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे खास है बदरीनाथ, जहां पांडवों की तपस्या से प्रकट हुए थे भगवान शिव

महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पापों का प्रायश्चित करने केदारनाथ पहुंचे और भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव बैल के रूप में प्रकट हुए।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 03 May 2019 02:38 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 11:05 AM (IST)
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे खास है बदरीनाथ, जहां पांडवों की तपस्या से प्रकट हुए थे भगवान शिव
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे खास है बदरीनाथ, जहां पांडवों की तपस्या से प्रकट हुए थे भगवान शिव

रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 3553 मीटर (11654 फीट) की ऊंचाई पर मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर स्थित केदारनाथ धाम का देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में विशिष्ट स्थान है। कथा है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पापों का प्रायश्चित करने केदारनाथ पहुंचे और भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव बैल के रूप में प्रकट हुए। तब से यहां बैल रूपी शिव के पृष्ठ भाग की पूजा होती आ रही है। 2013 की आपदा में केदारपुरी पूरी तरह तहस-नहस हो गई थी। सिवाय मंदिर के वहां कुछ भी नहीं बचा, लेकिन तेजी से हुए पुनर्निर्माण कायरें के चलते अब केदारपुरी पहले से भी खूबसूरत हो गई है। लगता ही नहीं कि आपदा ने यहां भारी तबाही मचाई होगी। केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी. की चढ़ाई पैदल तय करनी पड़ती है। 

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केदारनाथ यात्रा मार्ग: केदारनाथ की यात्रा भी ऋषिकेश से शुरू होती है, लेकिन रुद्रप्रयाग से इसका मार्ग अलग हो जाता है। इस मार्ग पर ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग के मध्य पड़ने वाले तीथरें के अलावा अगस्त्यमुनि में महर्षि अगस्त्य मंदिर, गुप्तकाशी में भगवान विश्र्वनाथ, कालीमठ में महाकाली, त्रियुगीनारायण में भगवान त्रियुगीनारायण और गौरीकुंड में मां गौरा माई के दर्शन कर सकते हैं। 

ऐसे कराएं फोटो मीट्रिक पंजीकरण 

चारधाम यात्रा के लिए यात्रियों के फोटो मीट्रिक पंजीकरण की व्यवस्था की है। इसके लिए कुल नौ केंद्रों में दस काउंटर लगाए जा रहे हैं। इनमें से दो-दो केंद्र हरिद्वार व ऋषिकेश और बाकी यात्रा रूट पर होंगे। फोटो मीट्रिक पंजीकरण की जिम्मेदारी त्रिलोक सिक्योरिटी सिस्टम संभाल रहा है। 

चौलाई के लड्डू का प्रसाद 

इस बार भी चारों धाम में प्रसाद योजना के तहत चौलाई के लड्डू प्रसाद के रूप में दिए जाएंगे। इन्हें श्रद्धालुओं को रिंगाल की टोकरी में परोसा जाएगा। टोकरी में चौलाई का चूरा व पूजा सामाग्री भी रहेगी। इसे स्थानीय स्वयं सहायता समूह तैयार कर रहे हैं।

ऐसे पहुंचें चारधाम

चारधाम दर्शनों को आने वाले यात्री हवाई जहाज से सीधे जौलीग्रांट एयरपोर्ट अथवा रेल से सीधे ऋषिकेश पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति की देखरेख में यात्रा का संचालन होता है। समिति में नौ परिवहन कंपनियां शामिल हैं, जिनके पास 1549 बसों का बेड़ा है। 

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