Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गर्मी में घूमने और एन्जॉय के लिए कर रहे हैं जगहों की तलाश, तो सिलवासा का करें प्लान

    केंद्र शासित प्रदेश दादरा व नगर हवेली की राजधानी सिलवासा नेचर लवर्स कल्चर और हिस्ट्री हर किसी के लिए है बेहतरीन शहर। और क्या खास है यहां जानेंगे इसके बारे में।

    By Priyanka SinghEdited By: Updated: Wed, 29 May 2019 12:47 PM (IST)
    गर्मी में घूमने और एन्जॉय के लिए कर रहे हैं जगहों की तलाश, तो सिलवासा का करें प्लान

    तपती गर्मियों से राहत पाने के लिए जगहों की तलाश कर रहे हैं तो देश के उन जगहों का जिक्र लाजिमी है, जो घूमने के लिहाज से अनुकूल होने के साथ-साथ अनूठे भी हों। केंद्रशासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली इस मामले में खरा उतरता है। इसके ज्यादातर हिस्से पहाड़ी हैं और हरियाली से सजे हुए। दरअसल, इसके पूर्व दिशा में सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला है। कुदरत प्रेमियों को भला और क्या चाहिए। जब घने जंगल के बीचो-बीच इकोफ्रेंडली रिजॉर्ट में दिन बीते और चांदनी रात की शीतल छांव में रातें, भीड़-भाड़ वाली आपाधापी से दूर नदी का किनारा हो, रंगों से भरी तितलियों की दुनिया हो और जहां दूर-दूर तक बस नजर आए हरियाली से आच्छादित पहाडियां। वैसे सिलवासा आज एक औद्योगिक शहर भी है, लेकिन दूसरी तरफ इसे 'गार्डन सिटी' भी कहा जाता है यानी प्रकृति संग आधुनिकता का संगम।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नाम में भी है आकर्षण

    सिलवासा के बारे में अगर यह कहें कि बस नाम ही काफी है तो गलत नहीं हेागा। वास्तव में, सिलवासा पुर्तगाली नाम है, जिसका अर्थ ही है- वह जंगल, जिसमें कमाल का चुंबकीय आकर्षण है। आप चाहे प्रकृतिप्रेमी हों या फिर रोमांचक अनुभवों को संजोने के शौकीन अथवा इतिहासप्रेमी, सिलवासा हर किसी स्वागत करता है।

    वर्ली जनजाति के लोगों से मुलाकात

    दादरा और नगर हवेली नामक दो अलग भौगोलिक क्षेत्रों के मिलने से बना है यह केंद्रशासित प्रदेश। महाराष्ट्र और गुजरात की सीमाएं लगती हैं इस शहर से। इन दो राज्यों के वीकएंड डेस्टिनेशन के तौर पर भी यह लोकप्रिय है। यहां के मूल निवासी वर्ली जनजाति हैं। इनकी बोली में गुजराती, मराठी, कोंकणी का मिश्रण दिखता है। वैसे ये आज भी खेती पर निर्भर हैं, जिनकी जीवनशैली बड़ी सरल है। इस सरल जीवन को और सरस बनाता है चित्रकला का उनका हुनर। यहां की दीवारों पर उकेरे उनके हुनर को देखकर मन खुशनुमा एहसास से भर जाता है। ताज्जुब होता है कि एक तरफ जहां लोग प्राचीन परंपरा और संस्कृति से दूर हो रहे हैं, वहीं वर्ली जनजाति के लोग इसे बचाए रखने की कवायद में जुटे हैं।

    जीवन से ताल मिलाते नृत्य

    वर्ली जनजाति के लोग कला साधक होते हैं। यही वजह है कि चित्रांकन ही नहीं, बल्कि नृत्य भी उनके जीवन का अभिन्न अंग है। नृत्य के बिना मानो इनका जीवन अधूरा है। अलग-अलग समय पर ये विभिन्न प्रकार की नृत्य शैलियों के जरिए जीवन से कदमताल करते हैं। जैसे-यहां का वरोपा नृत्य फसल कटाई के समय किया जाता है। दिन के अलावा रात के समय भी महिला व पुरुष दोनों मिलकर यह नृत्य करते हैं। फसल कटाई के समय ही ढोल नृत्य को देखना कमाल का अनुभव हो सकता है। दरअसल, इस नृत्य में कलाकार मानव पिरामिड बनाकर सामूहिक रूप से नृत्य करते हैं। गर्मी की रात में ये अधिकतर 'भावड़ा नृत्य' करते हैं। यह एक प्रकार का मुखौटा नृत्य है, जिसमें कलाकारों को झूमते देखना सुखद है। वर्ली जनजाति के घरों में विवाह या कोई अन्य उत्सव हो तो ये 'तूर थाली' नृत्य करते हैं।

    पुर्तगाली संस्कृति की महक

    सिलवासा शहर पुर्तगालियों की यादों को बड़ी खूबसूरती से समेटे हुए है। शहर घूमते हुए आप इन यादों से कहीं भी टकरा सकते हैं। जैसे यहां के रोमन कैथोलिक चर्च जाकर देखें, जहां आगंतुकों की भीड़ लगी रहती है। खास तौर पर इसकी वास्तुकला दर्शनीय है।'द चर्च ऑफ अवर लेडी पिटी' नामक यह चर्च शहर के बीचो-बीच स्थित है। इसे साल 1897 में तैयार कराया गया था। चर्च के भीतर लकड़ी के तख्तों पर सुंदर चित्रकारी की गई है। हां, यदि आप पुर्तगाली संस्कृति को और करीब से देखना चाहते हैं तो पुरानी पुर्तगाली कॉलोनी चले जाएं। यहां से बहुत सारी खुशनुमा यादें साथ ले जा सकते हैं।

    कब जाएं

    वैसे तो साल के किसी भी समय यहां आया जा सकता है, लेकिन मार्च से नवंबर तक यहां का मौसम काफी सुहावना रहता है। तटीय इलाका होने के कारण यहां की रातें बड़ी सुहानी होती हैं। बारिश में यह पूरा इलाका हरियाली से सज जाता है।

    कैसे जाएं

    राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 (वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे) यहीं से होकर गुजरता है। यह पश्चिमी भारत के प्रमुख सड़क मार्ग से जुड़ा है। रेल से यहां पहुंचने के लिए गुजरात का वापी सबसे करीबी रेलवे स्टेशन है। हवाई मार्ग के लिए मुंबई एयरपोर्ट का रुख कर सकते हैं, जो यहां से सबसे करीब है।

     

    लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप