महाराष्ट्र के इन 8 मंदिरों में आकर देखें गणेशोत्सव का अद्भुत नजारा
गणेश चतुर्थी हिंदुओं का बहुत ही खास पर्व है जिसकी शुरूआत 2 सितंबर से हो रही है। मुंबई और उसके आसपास अष्टविनायक की इन 8 जगहों पर आकर देखें इस उत्सव का अद्भुत नजारा।
महाराष्ट्र में पुणे के नज़दीक अष्टविनायक के 8 पवित्र जगह हैं, जो लगभग 20 से 110 किलोमीटर की दूरी में स्थित हैं। तो 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव में इन जगहों पर आने का बनाएं प्लान क्योंकि उस दौरान यहां अलग और बहुत ही अद्भुत रूप देखने को मिलता है।
1. मोरेश्वर- यह मंदिर पुणे से 80 किमी. की दूरी पर स्थित है। इन्हें मयूरेश्वर भी कहा जाता है। यहां स्थित चार द्वार सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग के प्रतीक हैं। यहां गणपति जी की चार भुजाएं एवं तीन नेत्र हैं। मोर पर सवार होकर इन्होंने सिंधुरासुर नामक राक्षस से युद्ध किया था, इसी वजह से इन्हें मोरेश्वर कहा जाता है।
2. सिद्धिविनायक - भीम नदी के निकट स्थित यह मंदिर पुणे से 200 किमी. दूर है। यहां मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर है। यह मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। इसी स्थल पर भगवान विष्णु ने मधु-कैटभ नामक राक्षसों का संहार किया था।
3. बल्लालेश्वर विनायक - रायगढ़ जिले के अंतर्गत पाली नामक गांव में बल्लाल विनायक का मंदिर है। इस स्थान पर गणपति जी ने एक युवा भक्त बल्लाल की रक्षा की थी। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां सूर्य की पहली किरण गणेश जी की मूर्ति पर पड़ती है।
4. श्री वरदविनायक - यह मंदिर कोल्हापुर क्षेत्र के महड़ नामक गांव में स्थित है। पहाड़ों के बीच बसे इस गांव की प्राकृतिक सुंदरता अद्भुत है। कहा जाता है कि इस मंदिर में एक अखंड ज्योति वर्षों से प्रज्ज्वलित है।
5. चिंतामणि गणपति - यह मंदिर पुणे के हवेली क्षेत्र में मुला-मुठा नदियों के किनारे बसे थेऊर नामक स्थान पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस गणपति के दर्शन मात्र से समस्त चिंताएं दूर हो जाती हैं। प्रचलित कथा के अनुसार अपने विचलित मन को शांत करने के लिए ब्रह्मïा जी ने भी यहीं तपस्या की थी।
6. गिरिजात्मक गणपति - यह मंदिर पुणे से 90 किमी.दूर लेण्याद्री नामक पहाड़ी पर स्थित है। इसे चट्टानों को काटकर बनाया गया है। यहां तक जाने के लिए 300 सीढिय़ों की चढ़ाई चढऩी पड़ती है। ऐसी मान्यता है कि गणेशजी को पुत्र के रूप में प्राप्त करने के लिए गिरिजा (पार्वती) ने यहीं पर तपस्या की थी, इसीलिए इसे गिरिजात्मक गणपति कहा जाता है।
7. विघ्नेश्वर गणपति - यह मंदिर पुणे के ओझर जिले के जूनर क्षेत्र में स्थित है। प्राचीन कथा के अनुसार गणेशजी ने विघ्नासुर नामक राक्षस का वध इसी क्षेत्र में किया था। इसी वजह से इन्हें विघ्नेश्वर कहा जाता है।8. महागणपति - महागणपति मंदिर पुणे के पास स्थित रांजणगांव में स्थित है। मंदिर का प्रवेशद्वार पूर्व दिशा की ओर है, इसका भव्य स्वरूप पर्यटकों का मन मोह लेता है। प्राचीन कथानुसार यहीं पर शिव जी ने त्रिपुरासुर को मारने से पूर्व श्रीगणेश का ध्यान किया था।