इंडिया के इन 4 बायोस्फियर रिजर्व में छिपा है कुदरत का अनोखा का खजाना, ये नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा
कुदरत के अनोखे खजाने को देखना हो तो इंडिया के इन 4 बायोस्फियर रिजर्व आने का करें प्लान। जहां पेड़-पौधे ही नहीं खत्म होने की कगार पर पहुंच चुके जीव-जंतुओं को भी देखने का मिलता है मौका।
इंडिया में ऐसी कई घूमने-फिरने वाली जगहें हैं जो खूबसूरती के साथ ही कई सारी विविधताएं भी समेटे हुए हैं। पहाड़, झील, नदियों और बीच से अलग यहां के जंगल भी एडवेंचर से भरे हुए हैं। भारत में कुल 18 बायोस्फियर रिजर्व हैं जिन्हें खास बनाते हैं यहां मौजूद पेड़-पौधे और पशु-पक्षी।
बायोस्फियर रिजर्व एक खास पारिस्थितिकी तंत्र या वनस्पति और जीवों का वातावरण होता है जिसे सुरक्षा के साथ ही पोषण की भी जरूरत होती है। पूरी तरह से व्यवस्थित इन रिजर्व को खासतौर से जीवों के संरक्षण के लिए ही बनाया जाता है।
भारत में स्थापित बायोस्फियर रिजर्व में केवल जानवरों को ही सुरक्षा प्रदान नहीं किया जाता, बल्कि ट्राइबल जन-जातियों और उनकी जीवनशैली को भी बनाए रखने और बढ़ाए जाने में मदद किया जाता है। तो आज ऐसी ही 4 रिजर्व के बारे में जानेंगे जहां आकर देख सकते हैं प्रकृति का अनोखा खजाना।
नीलगिरी बायोस्फियर रिजर्व
मशहूर बायोस्फियर रिजर्व होने के साथ ही दक्षिण भारत का नीलगिरी, नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ सेंचुरी भी है। साथ ही देश का पहला बायोस्फियर रिजर्व है। पश्चिमी और पूर्वी घाटों के मिलान पर नीलगिरी पहाड़ों पर स्थित है यह रिजर्व। जहां आकर आप लगभग 350 तरह के पक्षी, 39 तरह की मछलियां, 316 तरह की तितलियां, 80 तरह के सरीसृप और भी कई खूबसूरत प्रकृति निर्मित चीज़ों को देख सकते हैं। यहां तक कि लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके नीलिगिर ताहर और शेर-पूंछ मकाक को भी यहां आकर देखा जा सकता है।
वैसे तो नीलगिरी की प्राकृतिक खूबसूरती और सुहाना मौसम हमेशा से ही टूरिस्टों को अपनी ओर अट्रैक्ट करता रहा है लेकिन एडवेंचर पसंद लोगों के लिए बायोस्फियर रिजर्व घूमना अच्छा एक्सपीरियंस साबित होगा।
नंदा देवी बायोस्फियर रिजर्व
उत्तराखंड में नंदा देवी के चोटी पर स्थित है यह बायोस्फियर रिजर्व। समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस जगह को घूमना अलग ही अचीवमेंट होता है। इसकी खूबसूरती के आज भी बरकरार होने की एक बड़ी वजह यह है कि यहां हर किसी का पहुंच पाना पॉसिबल नहीं। तकरीबन 300 प्रकार के पेड़-पौधे से सजा ये रिजर्व पक्षियों, तितलियों और कई जानवरों का घर है। गर्मियों के महीने में यहां आने का प्लान बनाएं जब आप इनका सबका दीदार आसानी से कर पाएंगे।
पचमढ़ी बायोस्फियर रिजर्व
1999 में वाइल्डलाइफ के संरक्षण और सुरक्षा हेतु इसे स्थापित किया गया। मध्यप्रदेश के सतपुड़ा रेंज का पचमढ़ी बायोस्फियर रिजर्व यहां का बहुत ही मुख्य भू-भाग है। जिसके अंतर्गत पचमढ़ी, बोरी सेंचुरी और सतपुड़ा तीन वाइल्डलाइफ आते हैं। तमाम तरह के पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों के साथ ही जलवायु और यहां रहने वाली जनजातियां इस जगह को बनाती हैं खास। यहां प्रकृति निर्मित चट्टानों और मैदानों को देखने और उन्हें एक्सप्लोर करने के लिए समय निकालकर आएं तभी एन्जॉय कर पाएंगे।
सुंदरबन बायोस्फियर रिजर्व
वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल सुंदरबन नेचर को एक्सप्लोर करने के लिए है बेहतरीन जगह। मैंगरोव जंगल तमाम तरह के पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों को बढ़ने के लिए देते हैं मौका। इतना ही नहीं ये एक बहुत बड़ा टाइगर रिजर्व भी है जहां आप बंगाल टाइगर्स को देख सकते हैं। हर साल हजारों की संख्या में टूरिस्ट यहां आते हैं। पहाड़ों और बीच से अलग इस बार सुंदरबन आने का बनाएं प्लान, अगर एडवेंचर का है शौक।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।