पढ़ाई के नाम पर आप भी डराते हैं अपने बच्चों को, आज से ही ऐसा करना करें बंद- ये हैं इसके नुकसान
कई बार कई माता-पिता अपने बच्चों से सीधे तौर पर कह देते हैं कि अगर तुम पढ़ोगे नहीं तो सब्जी बेचोगे या कुछ ऐसा काम करोगे जो समाज में अच्छी नजर से नहीं देखा जाता। ध्यान रखें अगर आप भी अपने बच्चों को इस तरह की बातें कहते हैं तो यह बातें आपके बच्चे में हीनभावना पैदा कर सकती हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पढ़ाई के नाम पर बच्चों को डराना एक आम बात है, लेकिन यह बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है। बच्चों को डराने से उनमें डर और चिंता की भावना पैदा हो सकती है, जो उनके मानसिक और भावनात्मक विकास को प्रभावित कर सकती है।
कई बार कई माता-पिता अपने बच्चों से सीधे तौर पर कह देते हैं कि अगर तुम पढ़ोगे नहीं तो सब्जी बेचोगे, या कुछ ऐसा काम करोगे जो समाज में अच्छी नजर से नहीं देखा जाता। अगर आप भी अपने बच्चों को इस तरह की बातें कहते हैं तो यह बातें आपके बच्चे में हीनभावना पैदा करती हैं।
बच्चों को डराने के नुकसान
1. डर और चिंता: बच्चों को डराने से उनमें डर और चिंता की भावना पैदा हो सकती है, जो उनके मानसिक और भावनात्मक विकास को प्रभावित कर सकती है। अगर आप लगातार बच्चे को पढ़ाई के नाम पर डराते हैं तो उसके अंदर डर और चिंता पैदा हो जाती है।
2. आत्मविश्वास की कमी: बच्चों को डराने से उनमें आत्मविश्वास की कमी हो सकती है, जो उनके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकती है। ऐसा कभी बच्चों से न कहें कि अगर वह पढ़ाई नहीं करेंगे तो उनको बुरे दिन देखने पड़ेंगे ऐसा करके बच्चों में आप आत्मविश्वास की कमी को पैदा कर देते हैं। इसलिए ऐसा कहने से बचना चाहिए।
3. पढ़ाई में रुचि की कमी: बच्चों को डराने से उनमें पढ़ाई में रुचि की कमी हो सकती है, जो उनके शैक्षिक विकास को प्रभावित कर सकती है। जब आप बच्चों को लगातार पढ़ाई के नाम पर डराने लगते हैं तो उनकी पढ़ाई में रूचि कम होने लगती है। बच्चा पढ़ाई में फिर रूचि नही दिखाता। इससे उसकी शिक्षा काफी प्रभावित होती है।
बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के तरीके:
1. प्रेरणा और समर्थन: बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के लिए उन्हें प्रेरणा और समर्थन दें।
2. पढ़ाई को मजेदार बनाएं: पढ़ाई को मजेदार बनाने के लिए बच्चों को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में शामिल करें।
3. प्रगति की प्रशंसा करें: बच्चों की प्रगति की प्रशंसा करें और उन्हें उनकी मेहनत के लिए पुरस्कृत करें।
4. पढ़ाई के लिए समय और स्थान दें: बच्चों को पढ़ाई के लिए समय और स्थान दें और उन्हें पढ़ाई के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करें।
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