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    ज्यादा लाड़-प्यार से भी बिगड़ जाते हैं बच्चे, समझें सिक्स पॉकेट सिंड्रोम का कैसा होता है बच्चों पर असर

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 10:05 AM (IST)

    सोशल मीडिया पर कौन बनेगा करोड़पति शो पर आए एक बच्चे की वीडियो तेजी से वायरल हो रही है। इस वीडियो को देखकर लोग बच्चे को बिगड़ा हुआ और ओवर-कॉन्फिडेंट बता रहे हैं। लेकिन वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इसमें बच्चे की गलती नहीं है, बल्कि वह सिक्स पॉकेट सिंड्रोम (Six Pocket Syndrome) का शिकार है।  

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    कहीं आपके बच्चे को भी तो नहीं है सिक्स पॉकेट सिंड्रोम? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आजकल सोशल मीडिया एक बच्चे की वीडियो (KBC Kid's Video) तेजी से वायरल हो रही है। यह वीडियो कौन बनेगा करोड़पति शो का है, जिसमें यूजर्स बच्चे को व्यवहार को देखकर सवाल उठा रहे हैं। कुछ का कहना है कि बच्चा बिगड़ा हुआ, या वह बहुत ओवर कॉन्फिडेंट है। 

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    लेकिन वहीं कुछ लोग इसके पीछे बच्चे की गलती न बताकर पेरेंटिंग पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चा सिक्स पॉकेट सिंड्रोम के कारण ऐसा व्यवहार कर रहा है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि सिक्स पॉकेट सिंड्रोम (Six Pocket Syndrome) होता क्या है और इससे बच्चे के व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ सकता है। आइए जानते हैं सीनियर साइकोलॉजिस्ट मोनिका शर्मा से इस बारे में।

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    (Picture Courtesy: Freepik)

    "सिक्स पॉकेट" का मतलब क्या है?

    सिक्स पॉकेट छह अलग-अलग सोर्स के बारे में बताता है जिनसे एक बच्चा आज के समय में ज्यादा अटेंशन और रिसोर्स हासिल कर सकता है। ये सोर्स हैं- माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी। इन सभी की "जेबें" बच्चे की हर इच्छा को तुरंत पूरा करने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। चाहे वह कोई नई खिलौना हो, मनपसंद खाना हो, बिना मांगी मदद हो या फिर हर छोटे काम पर बहुत ज्यादा तारीफ।

    यह सिंड्रोम सिर्फ ओनली चाइल्ड तक सीमित नहीं है। बल्कि, यह तब विकसित होता है जब बच्चे के आसपास के सभी वयस्क, अक्सर अच्छे इरादों से, बच्चे की हर मांग को तुरंत पूरा करते हैं और उसे जीवन की छोटी-छोटी परेशानियों और निराशाओं का सामना करने से बचाते हैं।

    सिक्स पॉकेट सिंड्रोम के लक्षण कैसे होते हैं?

    • ज्यादा निर्भरता- वे छोटे-छोटे काम, जैसे खुद का बैग लेकर चलना, खाना खाना, या जूते बांधने के लिए भी वयस्कों पर निर्भर रहते हैं।
    • धैर्य की कमी- उन्हें किसी चीज का इंतजार करना बिल्कुल पसंद नहीं होता। उनकी हर इच्छा तुरंत पूरी होनी चाहिए।
    • चीजें शेयर करने में परेशानी- उनके लिए अपनी चीजें दूसरों के साथ बांटना मुश्किल होता है। उनमें शेयर करने की भावना बहुत कम होती है।
    • निराशा सहन न कर पाना- जब चीजें उनकी इच्छानुसार नहीं होतीं, तो वे जल्दी गुस्सा हो जाते हैं या अग्रेसिव बर्ताव करते हैं, रोते हैं या स्ट्रेस में आ जाते हैं।
    • प्रशंसा की भूख- उन्हें हर छोटे-बड़े काम के लिए तारीफ और वैलिडेशन की जरूरत होती है। बिना तारीफ के उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है।

    बच्चों के विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?

    • जिम्मेदारी की भावना की कमी- क्योंकि बच्चे को कभी भी अपने कामों के परिणाम भुगतने नहीं दिए जाते, इसलिए उनमें जिम्मेदारी की भावना विकसित नहीं हो पाती। वे यह नहीं सीख पाते कि उनके फैसलों का असर खुद पर और दूसरों पर पड़ता है।
    • भावनात्मक रूप से कमजोर होना- सिक्स पॉकेट सिंड्रोम से पीड़ित बच्चा निराशा और चुनौतियों के लिए तैयार नहीं होता। थोड़ी सी भी नाकामयाबी या आलोचना उसे तोड़कर रख सकती है।
    • सोशल स्किल का विकास न होना- दोस्तों के साथ खिलौने शेयर करना, बारी-बारी से खेलना और समझौता करना सीखना जरूरी होता है। ऐसे बच्चे अक्सर जिद्दी और स्वार्थी बन जाते हैं, जिस कारण उन्हें दोस्त बनाने और रिश्ते निभाने में मुश्किल होती है।
    • आत्म-विश्वास की कमी- वयस्क उनकी हर समस्या का समाधान कर देते हैं, जिसके कारण बच्चे आत्मनिर्भर नहीं बन पाते। उसे अपनी क्षमताओं पर विश्वास ही नहीं होता।
    • अवास्तविक अपेक्षाएं- ऐसा बच्चा दुनिया को एक ऐसी जगह समझने लगता है जो हमेशा उसकी इच्छाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। वास्तविक दुनिया, जहां कॉम्प्टीशन और चुनौतियां हैं, उसके लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है।

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