कब और कैसे मिलता है Mutual Divorce? दिल्ली हाईकोर्ट के वकील से समझिए इससे जुड़े कानूनी दांव-पेंच
जब पति-पत्नी दोनों आपसी सहमति से अलग होने का फैसला करते हैं तो इसे Mutual Divorce यानी आपसी सहमति से तलाक कहते हैं। आइए इस आर्टिकल में दिल्ली हाईकोर्ट के वकील दीपांशु कौशिक से समझते हैं कि म्यूचुअल डिवोर्स कब और कैसे मिलता है और इस तरह के तलाक में किन कानूनी बारीकियों का ध्यान रखा जाता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। शादी एक पवित्र बंधन है, लेकिन कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं कि दो लोग एक छत के नीचे साथ नहीं रह पाते। ऐसे में, अलग होने का फैसला लेना, भले ही मुश्किल जरूर लगे, लेकिन यह रिश्तों को और ज्यादा कड़वाहट से बचाने का एक समझदारी-भरा तरीका हो सकता है।
अगर दोनों पति-पत्नी इस फैसले पर सहमत हों कि अब साथ रहना संभव नहीं है, तो वे Mutual Divorce यानी 'आपसी सहमति से तलाक' ले सकते हैं। भारत में यह प्रक्रिया अलग-अलग धर्मों के अनुसार अलग-अलग कानूनों के तहत संचालित होती है। आइए समझते हैं कि हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, पारसी और विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) के तहत आपसी सहमति से तलाक कैसे होता है।
भारत में म्यूचुअल डिवोर्स (Mutual Divorce in India)
हिंदू कानून के तहत आपसी तलाक
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13B के तहत अगर पति-पत्नी कम से कम एक साल से अलग रह रहे हों और उनके बीच मतभेद ऐसे हों कि अब साथ रहना मुमकिन न हो, तो वे अदालत में संयुक्त याचिका दाखिल कर सकते हैं।
इस याचिका को दाखिल करने के बाद, दोनों को एक दूसरी याचिका (Second Motion) दाखिल करनी होती है जो पहली याचिका के 6 महीने बाद और 18 महीने के भीतर होनी चाहिए। अदालत अगर यह पाती है कि दोनों की सहमति वास्तविक है और शादी वैध थी, तो वह तलाक की डिक्री (आदेश) पारित कर देती है।
मुस्लिम कानून में आपसी तलाक
इस्लामिक कानून में आपसी सहमति से तलाक दो तरीकों से हो सकता है: खुला (Khula) और मुबारात (Mubarat)।
- खुला: इसमें पत्नी तलाक की पहल करती है और पति को कुछ मुआवजा (जैसे मेहर छोड़ना) देकर रिश्ता समाप्त करने की बात करती है।
- मुबारात: इसमें दोनों पक्ष इस बात पर सहमत होते हैं कि अब साथ नहीं रह सकते। तलाक का प्रस्ताव कोई भी दे सकता है और अगर दूसरा पक्ष उसे स्वीकार कर लेता है तो तलाक अंतिम हो जाता है।
सुन्नी परंपरा में यह प्रक्रिया निजी मानी जाती है और अदालत की जरूरत नहीं होती। शिया परंपरा में थोड़ी सख्ती है- यहां तलाक की औपचारिक घोषणा और दस्तावेजीकरण जरूरी होता है। दोनों ही मामलों में "इद्दत" (Iddat) अवधि पूरी करना जरूरी होता है, जो तलाक के बाद पत्नी को एक निर्धारित समय तक विवाह नहीं करने की बाध्यता होती है।
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ईसाई कानून के तहत तलाक
ईसाई जोड़ों के लिए, 1869 के डिवोर्स एक्ट की धारा 10A के तहत आपसी सहमति से तलाक का प्रावधान है। इसमें मुख्य शर्त यह थी कि पति-पत्नी कम से कम दो साल से अलग रह रहे हों।
हालांकि, केरल हाई कोर्ट ने इसे अनुचित मानते हुए 2010 में कहा कि एक साल की अवधि भी पर्याप्त है। इसके बाद 2022 में एक और ऐतिहासिक फैसले में कोर्ट ने यहां तक कहा कि कुछ विशेष मामलों में एक साल का इंतजार भी जरूरी नहीं है। ध्यान दें कि यह निर्णय केवल केरल राज्य में लागू है और पूरे देश में इसके लागू होने के लिए सुप्रीम कोर्ट या संसद का दखल जरूरी है।
पारसी विवाह में आपसी तलाक
पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 की धारा 32B के अनुसार, अगर पति-पत्नी कम से कम एक साल से अलग रह रहे हैं और दोनों तलाक के लिए सहमत हैं, तो वे अदालत में एक संयुक्त याचिका दाखिल कर सकते हैं।
यह भी देखा जाता है कि शादी वैध थी, याचिका में दी गई बातें सही हैं और सहमति किसी जोर-जबरदस्ती या धोखे से हासिल नहीं की गई। इन बातों की पुष्टि होने पर अदालत तलाक की डिक्री पारित कर देती है।
विशेष विवाह अधिनियम के तहत तलाक (Special Marriage Act)
यह अधिनियम मुख्यतः अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाहों के लिए है। इसकी धारा 28 के तहत भी वही प्रक्रिया अपनाई जाती है- कम से कम एक साल का अलगाव, आपसी सहमति और फिर संयुक्त याचिका।
पहली याचिका के 6 महीने बाद और 18 महीने के भीतर दूसरी याचिका दायर करनी होती है। अदालत जांच कर यह सुनिश्चित करती है कि शादी वैध थी और दोनों का निर्णय अपनी इच्छा से है। इसके बाद तलाक का आदेश पारित किया जाता है।
भारत में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग विवाह और तलाक के कानून हैं, लेकिन जब बात आपसी सहमति से तलाक की हो, तो मूल भावना सभी में एक जैसी है- अगर दो व्यक्ति साथ नहीं रह सकते और दोनों इस निर्णय पर सहमत हैं, तो कानून उन्हें सम्मानपूर्वक अलग होने का अधिकार देता है। हर धर्म की प्रक्रिया में कुछ विशेषताएं हैं, लेकिन सभी में यह जरूरी है कि फैसला स्वेच्छा से और गंभीर विचार के बाद लिया गया हो।
(बातचीत- दीपांशु कौशिक, वकील, दिल्ली हाईकोर्ट)
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