कहीं आप भी तो नहीं पाल रहे 'आस्तीन का सांप'? नकली दोस्तों की 5 तरीकों से करें पहचान
"दुश्मन के वार से बचना आसान है क्योंकि वो सामने खड़ा होता है, लेकिन उस दोस्त का क्या करें जो बगल में बैठकर मुस्कुरा रहा हो और हाथ में खंजर छिपाए हो?" इ ...और पढ़ें

इन 5 संकेतों से पहचानें कौन कर रहा है दोस्ती का दिखावा (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कहते हैं कि "दोस्त वो परिवार है जिसे हम खुद चुनते हैं।" एक सच्चा दोस्त आपकी जिंदगी को जन्नत बना सकता है, लेकिन अगर वही दोस्त नकली निकले, तो वह किसी 'आस्तीन के सांप' से कम नहीं होता। नकली दोस्त आपके साथ हंसते तो हैं, लेकिन पीठ पीछे आपकी जड़ें काटते हैं।
अक्सर हम भावनाओं में बहकर ऐसे लोगों पर भरोसा कर लेते हैं जो इसके लायक नहीं होते। लेकिन, आप चिंता न करें। मनोविज्ञान और अनुभव के आधार पर, यहां 5 ऐसे पक्के तरीके दिए गए हैं जिनसे आप असली और नकली दोस्त के बीच का फर्क समझ सकते हैं।
मुसीबत के समय 'नेटवर्क कवरेज' से बाहर
नकली दोस्त की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह 'मौसमी पंछी' की तरह होता है। जब आपकी जेब गर्म हो, पार्टी करनी हो या कहीं घूमना हो, तो वे सबसे पहले हाजिर होंगे, लेकिन जैसे ही आप पर कोई मुसीबत आएगी- चाहे वह पैसों की तंगी हो या कोई बीमारी, वे अचानक गायब हो जाएंगे। उनके पास हमेशा कोई न कोई बहाना होगा, जैसे "यार, मैं बहुत बिजी था" या "मेरा फोन स्विच ऑफ था।"
आपकी सफलता पर चेहरे का रंग उड़ना
एक सच्चा दोस्त आपकी जीत को अपनी जीत मानता है, लेकिन एक 'आस्तीन का सांप' आपकी तरक्की देखकर कभी खुश नहीं होगा। जब आपको प्रमोशन मिले या कोई अच्छी खबर आए, तो उनके चेहरे पर ध्यान दें। क्या वे दिल से खुश हैं या वे व्यंग्य मारते हैं कि "तुझे तो बस किस्मत से मिल गया"? अगर उन्हें आपकी सफलता से जलन हो रही है, तो सावधान हो जाएं।
मजाक के नाम पर 'बेइज्जती' करना
दोस्तों के बीच हंसी-मजाक और टांग खिंचाई आम बात है, लेकिन एक नकली दोस्त अक्सर लोगों के सामने आपको नीचा दिखाने की कोशिश करता है। वे महफिल में आपकी कमजोरियों का मजाक उड़ाएंगे और जब आप बुरा मानेंगे, तो कहेंगे- "अरे, तू तो बुरा मान गया, मैं तो बस मजाक कर रहा था।" याद रखें, जो दोस्त आपकी इज्जत नहीं कर सकता, वह दोस्त नहीं हो सकता।
इधर की बात उधर करना
क्या आपका दोस्त दूसरों की सीक्रेट बातें या राज आपको बताता है? अगर हां, तो लिख लीजिए कि वह आपकी बातें भी दूसरों को बताता होगा। एक नकली दोस्त कभी भी राज को राज नहीं रख सकता। उनका काम ही होता है 'डाकिया' बनकर खबरों को इधर से उधर करना। ऐसे लोगों के सामने अपना दिल खोलने से पहले सौ बार सोचें।
सिर्फ अपनी ही 'राम-कहानी' सुनाना
बातचीत हमेशा दोतरफा होनी चाहिए, लेकिन नकली दोस्त को सिर्फ खुद से मतलब होता है। जब आप अपनी समस्या उन्हें बताना चाहेंगे, तो वे उसे काटकर अपनी समस्या सुनाने लगेंगे। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं, उन्हें बस एक सुनने वाला चाहिए जो उनकी तारीफ करे या उनकी बातें सुने।
भीड़ कम करें, लेकिन असली रखें
अगर आपको अपने ग्रुप में ऊपर दी गई निशानियों वाला कोई व्यक्ति नजर आता है, तो तुरंत उनसे दूरी बना लें। याद रखें, 100 नकली दोस्तों से बेहतर है कि आपके पास 1 सच्चा दोस्त हो। अपनी जिंदगी से ऐसे 'जहरीले' लोगों को फिल्टर करें और अपनी मेंटल हेल्थ को सबसे ऊपर रखें।

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