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    Relationship Tips: इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर कलीग्स के साथ बना सकते हैं रिलेशनशिप को बेहतर

    क्या आप भी उनमें से एक है जिनका रोजाना आधे से ज्यादा वक्त ऑफिस में बीतता है तो ऐसे में आप बखूबी समझते होंगे कि कलीग्स से संबंधों को बेहतर बनाकर रखना कितना जरूरी है। कॉम्पिटिशन प्रमोशन के चक्कर में कई बार कलीग्स से खटपट हो जाती है लेकिन अगर आप ऑफिस में स्ट्रेस में नहीं रहना चाहते तो ध्यान दें इन बातों पर।

    By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Sun, 26 May 2024 04:36 PM (IST)
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    ऑफिस में कलीग्स के साथ ऐसे बनाएं संबंधों को बेहतर (Pic credit- freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिन के 24 घंटों में से 8 से 10 घंटे यानी एक तिहाई से ज्यादा समय हम ऑफिस में ही गुजारते हैं। ऐसे में अगर ऑफिस का माहौल तनाव भरा है, सहकर्मियों से आपके रिलेशन अच्छे नहीं, तो काम करना बोझिल हो सकता है। लंबे समय तक ऐसा चलते रहने से प्रोडक्टिविटी प्रभावित होने लगती है, जो आपकी ग्रोथ पर असर डाल सकती है। ऑफिस मे कलीग्स के साथ हमारे रिलेशन कैसे हैं, इसका हमारे प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों लाइफ पर बहुत प्रभाव पड़ता है। कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर कलीग्स के साथ बना सकते हैं संबंधों को बेहतर।

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    सीमाओं का ध्यान रखें

    वर्किंग प्रोफेशनल्स का आजकल ज्यादातर समय ऑफिस में बीत रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप ऑफिस को अपना घर समझ लें और लोगों से गॉसिप करने लग जाएं। कलीग्स के साथ बातचीत में हमेशा अपनी लिमिट का ध्यान रखें। सहकर्मियों से क्या बात करनी है और क्या नहीं, ये खुद से डिसाइड करें। ऑफिस में बैठकर किसी की पर्सनल लाइफ पर कमेंटबाजी से बचें। अगर कोई ऐसा व्यक्ति आपके ऑफिस में हैं, तो उससे दूरी बनाकर रखें। 

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    न करें ताकझांक

    ऑफिस में कलीग्स के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने में जो चीज सबसे काम आती है वो है उनकी पर्सनल लाइफ से दूर रहना। किसी सहकर्मी के निजी जीवन में ताकझांक करने न करें। अगर वो आपको अपनी कोई निजी बात शेयर कर रहा है, तो उसे हर किसी के साथ शेयर न करें, बल्कि अपने तक ही रखने की कोशिश करें। कई बार ऑफिस में भी अच्छे दोस्त बन जाते हैं, जिनके साथ आपको बहुत कंफर्ट फील होता है, फैमिली वाली फीलिंग आती है, लेकिन इस चक्कर में ये न भूलें कि वो काम करने वाली जगह है न कि गॉसिप करने की। 

    मदद के लिए तैयार रहें

    अपने एक्सपीरियंस और नॉलेज को अपने तक सीमित न रखें। कलीग्स की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। जब तक कि इससे आपका काम प्रभावित न हो रहा हो। अगर आपकी हेल्प से किसी को फायदा हो रहा है, तो इसमें पीछे नहीं हटना चाहिए। अपने से जूनियर कलीग्स का तो खासतौर से सहयोग करें। इसके साथ ही, बातों को सुनने की भी आदत डालें। हर बात पर या आधी-अधूरी बातों पर रिएक्ट न करें। इससे भी आपसी संबंध मजूबत होते हैं।

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