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    Effects of Teasing in Kids: बच्चों को चिढ़ाने की आदत, हो सकती है उनके मेंटल हेल्थ के लिए बेहद खराब

    Effects of Teasing in Kids बच्चे दिल और दिमाग से बहुत कोमल होते हैं। बढ़ती उम्र में उनके साथ की जाने वाली बातें व बर्ताव का उनके आने वाली लाइफ पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए बच्चों के सामने ऐसी कोई चीज़ें न करें जिसका नकारात्मक प्रभाव पड़े। उनके लुक्स वजन को लेकर चिढ़ाने की गलती तो बिल्कुल न करें। ये कैसे डालती है प्रभाव जान लें यहां।

    By Priyanka SinghEdited By: Priyanka SinghUpdated: Sat, 07 Oct 2023 05:35 PM (IST)
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    Effects of Teasing in Kids: बच्चों को चिढ़ाने से किस तरह का पड़ सकता है असर

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Effects of Teasing in Kids: बच्चों को चिढ़ाए जाने पर कुछ बच्चे तो इसे बड़ी ही आसानी से इग्नोर कर देते हैं या जवाब देकर बात को रफा-दफा कर देते हैं, लेकिन कुछ बच्चे इस दिल पर ले लेते हैं। वो इसके बारे में इतना ज्यादा सोचने लग जाते हैं कि इससे वो कई बार स्ट्रेस में आ जाते हैं। बढ़ती उम्र में किसी भी तरह का नेगेटिव बर्ताव उनके आगे की लाइफ को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। वैसे ऐसा बिल्कुल भी नहीं कि चिढ़ाए जाने का सामना वो घर से बाहर ही करते हैं, कई बार घर के सदस्य भी बच्चों में तरह-तरह की खामियां निकालकर उन्हें चिढ़ाते व परेशान करते हैं। हाइट, दुबलापन, रंग-रूप ऐसी चीज़ें हैं, जिनका बच्चे बाहर के लोगों से बाद में पहले घर के लोगों से ही सामना करने में परेशान हो जाते हैं। जो उन्हें डिप्रेशन का भी शिकार बना सकती है, तो बेहद जरूरी है कि चिढ़ाने की आदत को गंभीरता से लिया जाए और इसकी वजहों के साथ परिणामों पर भी ध्यान दिया जाए।

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    आपके अंदर की कमी को दर्शाता है चिढ़ाना

    ये आपके अंदर की कमी को दर्शाता है। अगर आपको किसी को परेशान करने में मजा आ रहा है, तो इसका सीधा मतलब है कि कमी आप में है। आप में बिल्कुल भी संवेदना नहीं है। किसी की इमोशन से आपको कोई मतलब नहीं ये एकदम क्लीयर है। इस स्थिति को समझने की जरूरत है और साथ ही साथ सुधार की भी। 

    बच्चे के अंदर हो सकती है कॉन्फिडेंस की कमी 

    एक्सपर्ट्स के अनुसार बच्चे की किसी भी बात को लेकर उसे चिढ़ाने से वो खुद को हीन समझने लगता है। हीन भावना के चलते उसके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी होने लगती है। भले ही उसका रंग-रूप उसके पढ़ाई और करियर में कोई बाधा न बने, लेकिन वो मानसिक रूप से बहुत कमजोर हो जाता है जिसका प्रभाव उसके पढ़ाई में भी देखने को मिल सकता है। 

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    साइबर बुलिंग है चिढ़ाने का नया प्लेटफॉर्म

    जिन बच्चों को अकसर ही इस सिचुएशन का सामना करना पड़ता है, वो धीरे-धीरे लोगों से कटने लगते हैं। उन्हें अपने में रहना ही पसंद आता है। उन चीज़ों के साथ अपना वक्त बिताना पसंद करते हैं जहां उन्हें जज न किया जाए जिसमें से एक है सोशल मीडिया। लेकिन उनके साथ यहां भी इस बात की आशंका हमेशा बनी रहती है कि सोशल मीडिया पर उनकी इन फीलिंग्स का कोई फायदा न उठा ले। जैसे- उनके पर्सनल सीक्रेट को दोस्त बनकर जानना और फिर एक समय के बाद उन्हें परेशान और ब्लैकमेल करना। पेरेंट्स को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।

     

    Pic credit- freepik