बच्चों के मन को चोट पहुंचाता है शरीर या रंग पर किया कमेंट, इन तरीकों से बढ़ाएं उनका आत्मविश्वास
कभी पियर प्रेशर तो कभी माता-पिता द्वारा जाने-अनजाने दिए गए उलाहने से बच्चों में घर कर जाती है अपने ही शरीर के प्रति नकारात्मक भावना। आत्मविश्वास पर आघात पहुंचाने वाली इस स्थिति से बचाने में कैसे मदद कर सकते हैं पैरेंट्स और किस तरह बच्चों को अपनी शारीरिक बनावट के प्रति बना सकते हैं आश्वस्त बता रही हैं पैरेंटिंग काउंसलर रितु सिंगल।

आरती तिवारी, नई दिल्ली। 13 साल का अयाज कई दिनों से खाने-पीने को लेकर अनमना हो गया है। जंकफूड और मीठे का शौकीन अयाज अब दिन का भोजन तो कम कर ही रहा है, डिनर के समय तो बिल्कुल ही खाना बंद कर चुका है। अयाज की मम्मी परेशान हैं और पापा हैरान। दरअसल, अयाज को अपने वजन से परेशानी है।
वह अपने सभी दोस्तों और चचेरे भाइयों में सबसे वजनदार है। बीते महीने जब परिवार में शादी थी तो रिश्तेदारों से लेकर भाई-बहनों तक ने उसको बहुत टोका और मजाक भी बनाया। उदास अयाज अब सिर्फ अपना वजन कम करना चाहता है। मगर महीने भर में उसके वजन से ज्यादा असर व्यवहार और पढ़ाई पर पड़ा है, वह भी नकारात्मक।
बच्चों के मन में घर कर जाती है टीका-टिप्पणी
कभी स्वजन की टीका-टिप्पणी तो कभी पियर प्रेशर; कारण कोई भी हो, बच्चे कितनी जल्दी अपने अधिक या कम वजन तो कभी गहरी रंगत या हाइट के प्रति संकोची हो जाते हैं, पता नहीं चल पाता। अचानक ही खाना-पीना छोड़कर या चेहरे के लिए तरह-तरह के सौंदर्य प्रसाधनों व रासायनिक सामग्रियों का उपयोग कर कम समय में शरीर को समाज के तय पैमाने में लाने की जद्दोजहद होने लगती है। जो इसमें असफल रहते हैं, उनमें आत्मसंदेह की स्थिति बन जाती है। बेहतर होगा कि समय रहते बच्चों को अपने शरीर के प्रति सकारात्मक नजरिया रखने के बारे में समझाएं। अगर वे वाकई शरीर पर ध्यान देना चाहते हैं तो सही दिशा दिखलाएं।
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सकारात्मकता का दें साथ
बीते दिनों अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना ने साझा किया कि जब लोग उनके दोनों बच्चों की रंगत की तुलना करते हैं तो उन्होंने कैसे सकारात्मक तरीके से अपनी बेटी को गहरी रंगत के फायदे समझाकर उसके आत्मविश्वास को डगमगाने से बचा लिया। बच्चों में कम
उम्र से ही उनके शरीर के प्रति आत्मविश्वास विकसित करें। बाडी पाजिटिविटी यानी आप जैसे आकार, रंगत, ऊंचाई या वजन के हैं, उसके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखें। जिससे वे अपने शरीर से ज्यादा अपने कौशल पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
बॉडी पाजिटिविटी सिर्फ स्वीकृति नहीं, बल्कि सशक्तीकरण का मार्ग है। आत्मविश्वास से क्षमताओं और व्यक्तित्व को बल मिलता है। बतौर माता-पिता आप बच्चों को सुंदरता की सही परिभाषा को, अपनी क्षमता को समझने और चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस दे सकते हैं।
जब सामने आएं मुश्किलें
आप अपनी तरफ से सकारात्मक प्रयास कर रहे हैं, मगर कई बार बच्चों तक नकारात्मकता पहुंच ही जाती है। बच्चे सामाजिक सौंदर्य मानकों के प्रति दबाव महसूस करने लगते हैं, वहीं इंटरनेट मीडिया की फिल्टर वाली आभासी दुनिया भी गहरा असर डालती है। ऐसे में बच्चों को वास्तविकता व विज्ञान बताएं। उन्हें समझाएं कि इंटरनेट मीडिया या बड़े-बड़े सितारों को प्रस्तुत करने के लिए किस तरह स्क्रीन पर फिल्टर व वीएफएक्स की मदद ली जाती है। जिससे उन्हें यह समझने में मदद मिले कि ऐसी कृत्रिम तुलना करना बेकार है। बच्चों को रंगत या वजन के कारण कोई स्कूल या रिश्तेदारी में बुली करता है, तो सुनिश्चित करें कि घर उनके लिए वह सुरक्षित स्थान बने जहां वे अपनी भावनाएं साझा कर सकते हों।
उन्हें सुने, सांत्वना दें और उनकी उपलब्धियों के बारे में बात करें। इसके साथ ही उनके साथ चर्चा करें कि विभिन्न संस्कृतियों में सौंदर्य के मानक कैसे अलग-अलग होते हैं। ऐसे प्रेरणादायक व्यक्तियों की कहानियां साझा करें, जिन्होंने लोगों के उलाहनों को अपनी सफलता से चुप कराया। ये संवाद बच्चों को सामाजिक मानदंडों के पीछे भागने के बजाय व्यक्तित्व को निखारने के प्रति प्रेरित कर सकते हैं!
- रोज सुबह उठकर बच्चों को अपने बारे में तीन सकारात्मक बातें दोहराने के लिए कहें।
- माता-पिता भी एक-दूसरे को शारीरिक सौंदर्य या आकार को लेकर उलाहना न दें। यह बच्चों के अंतर्मन को नकारात्मक तौर पर
- प्रभावित कर जाता है।
- कभी अपने बारे में भी नकारात्मक टिप्पणी न करें, बच्चे किसी आदर्श की तरह इसे भी अपना लेते हैं।
- जिन बातों के लिए लोग बच्चों पर टिप्पणी करते हैं, उनसे जुड़े वैज्ञानिक व सकारात्मक कारण साझा करते हुए बच्चों को जागरूक करें।
- यदि कभी आपसे भी ऐसी कोई टिप्पणी या संवाद हो और बच्चे नकारात्मक तौर पर प्रभावित हों तो माफी मांग लें।
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