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    World Literacy Day: 60 लाख बच्चे आज भी स्कूल से दूर, झारखंड की साक्षरता दर सबसे कम, जानें ऐसे ही कुछ फैक्ट्स

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Wed, 08 Sep 2021 09:48 AM (IST)

    World Literacy Day यूनेस्को दुनिया में लिट्रेसी के प्रति अवेयरनेस लाने में जुटा हुआ है। हालांकि सिर्फ यूनेस्को के प्रयास काफी नहीं हैं। इसके लिए हमें और आपको भी मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि हम एक पढ़े-लिखे समाज का निर्माण कर सकें।

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    क्लास में बच्चों को पढाता हुआ टीचर

    नेल्सन मंडेला ने कहा था कि दुनिया को बदलने के लिए शिक्षा सबसे ताकतवर हथियार है। निश्चित रूप से पढ़ा-लिखा होना न सिर्फ खुद के लिए बल्कि समाज और देश के निर्माण और उसकी बेहतरी के लिए भी बेहद जरूरी है। हालांकि, तमाम अवेयरनेस कैंपेन और मूवमेंट के बाद भी देश और दुनिया में एक तबका इस टूल को लेकर अंजान है। कोरोना काल ने इस मुश्किल को और बढ़ाया है, जिसके चलते पूरा फोकस चेंज हो गया है। आज इंटरनेशनल लिट्रेसी डे के मौके पर हम आपको ऐसे ही कुछ फैक्ट्स से रूबरू कराएंगे।

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    दुनिया में लिट्रेसी

    वर्ल्ड एजुकेशन मॉनीटरिंग बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में हर 5 में 1 व्यक्ति व 2/3 महिलाएं अनपढ़ हैं।

    माली, बुर्किना फासो और नाइजर जैसे देशों में सबसे कम लिट्रेसी रेट है।

    67 करोड़ बच्चे या तो स्कूल नहीं जा पा रहे या उन्हें किसी कारण से स्कूल छोड़ना पड़ा है।

    77 करोड़ 30 लाख एडल्ट्स न तो पढ़ सकते हैं और न ही लिख सकते हैं।

    25 करोड़ बच्चों में बेसिक लिट्रेसी स्किल्स भी नहीं।

    भारत के हालात

    2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत का लिट्रेसी रेट 75.06 था।

    वहीं दुनिया का लिट्रेसी रेट इससे काफी ज्यादा यानी 84 परसेंट है।

    भारत में पुरुष लिट्रेसी रेट 96 परसेंट है जबकि महिला लिट्रेसी रेट 92 परसेंट।

    सबसे कम लिट्रेसी रेट (63.8) वाला राज्य बिहार है।

    महिलाओं के लिट्रेसी रेट में भारत 135 देशों में 123वें स्थान पर है।

    60 लाख भारतीय बच्चे आज भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।

    भारत में हर 50 बच्चे पर सिर्फ एक टीचर ही उपबल्ध है।

    लैंग्वेज लिट्रेसी की बात करें तो भारत में कुल 121 भाषाएं हैं।

    42.63 परसेंट हिंदी में ही बातचीत करते हैं। 92 परसेंट सरकारी स्कूलों में पूरी तरह से आरटीई लागू नहीं हो सका है।

    लानी होगी अवेयरनेस

    यूनेस्को दुनिया में लिट्रेसी के प्रति अवेयरनेस लाने में जुटा हुआ है। हालांकि, सिर्फ यूनेस्को के प्रयास काफी नहीं हैं। इसके लिए हमें और आपको भी मिलकर प्रयास करने होंगे, ताकि हम एक पढ़े-लिखे समाज का निर्माण कर सकें। आइए जानिए, इसके लिए क्या करना होगा?

    बचपन से ही बच्चों की एजुकेशन के लिए मजबूत फाउंडेशन बनाना होगा।

    सभी बच्चों के लिए क्वालिटी बेसिक एजुकेशन की व्यवस्था करनी होगी।

    जो लोग अनपढ़ रह गए हैं, उनकी शिक्षा की व्यवस्था के प्रयास करने होंगे।

    अपने आस-पास लिट्रेट इनवायरमेंट डेवलप करना होगा।

    Pic credit- pexels