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World Food Day 2021: आज है 'वर्ल्ड फूड डे', जानें-इसका इतिहास और महत्व

इतिहासकारों की मानें तो 16 अक्टूबर सन 1945 में खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization FAO) की स्थापना की गई है। यह संगठन कृषि और खाद्य सुरक्षा पर कार्य करती है। साथ ही संगठन का मुख्य कार्य कुपोषण को रोकना है।

By Pravin KumarEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 10:48 AM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 10:48 AM (IST)
World Food Day 2021: आज है 'वर्ल्ड फूड डे', जानें-इसका इतिहास और महत्व
वर्तमान समय में विश्व में कई देश गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हैं।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Food Day 2021: आज विश्व खाद्य दिवस है। यह हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसे पहली बार साल 1981 में मनाया गया था। उस समय से यह हर साल दुनियाभर के 150 देशों में एक साथ 16 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य भुखमरी से पीड़ित लोगों की मदद करना और खाद्य यानी अन्न के महत्व के प्रति जागरुक करना है। इस साल की थीम (Our actions are our future- Better production, better nutrition, a better environment and a better life) अर्थात हमारा कार्य ही हमारा भविष्य है-बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहदर पर्यावरण और बेहतरीन जीवन है। भारत में भी आज विश्व खाद्य दिवस मनाया जा रहा है। आइए, इसके इतिहास और महत्व को जानते हैं-

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विश्व खाद्य दिवस का इतिहास

इतिहासकारों की मानें तो 16 अक्टूबर, सन 1945 में 'खाद्य एवं कृषि संगठन' (Food and Agriculture Organization, FAO) की स्थापना की गई है। यह संगठन कृषि और खाद्य सुरक्षा पर कार्य करती है। साथ ही संगठन का मुख्य कार्य कुपोषण को रोकना है। साल 1979 में 'खाद्य एवं कृषि संगठन' ने दुनियाभर में भुखमरी और कुपोषण से पीड़ित लोगों के प्रति चिंता प्रकट कर विश्व खाद्य दिवस मनाने की घोषणा की। इसके बाद साल 1981 से 'खाद्य एवं कृषि संगठन' की स्थापना दिवस पर विश्व खाद्य दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

विश्व खाद्य दिवस का महत्व

वर्तमान समय में विश्व में कई देश गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हैं। इन देशों में लोगों को रोजाना संतुलित आहार मिलना मुश्किल है। संतुलित आहार न लेने के चलते लोग कुपोषण सहित कई अन्य बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इससे असमय बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है। इसके लिए विश्व खाद्य दिवस का महत्व बढ़ गया है। सबल लोगों को अपने आसपास गरीबी रेखा से जीवन बसर कर रहे उनलोगों की मदद करनी चाहिए, जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती है।


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