World Book and Copyright Day 2023: जानें कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत व महत्व के साथ इस साल की थीम
World Book and Copyright Day 2023 हर साल 23 अप्रैल का दिन विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस के रूप में मनाया जाता है। तो किस उद्देश्य के साथ हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत और क्या है इस साल की थीम जानेंगे यहां।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Book and Copyright Day 2023: हर साल April माह की 23 तारीख को दुनियाभर में विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस मनाया जाता है। बदलते समय के साथ अब कम्प्यूटर और इंटरनेट ने पुस्तकों की जगह ले ली है। जिस वजह से लोग अब पढ़ने के लिए किताबों का इस्तेमाल कम ही करते हैं। तो लोगों को किताबों का महत्व बताने और के मकसद से यूनेस्को ने 23 अप्रैल के दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस का इतिहास
विश्व पुस्तक दिवस की शुरुआत सर्वेंट्स पब्लिशिंग हाउस के निर्देशन विसेंट क्लेवेल द्वारा सन् 1922 में की गई थी। उन्होंने मिगुएल डे सर्वेंट्स को सम्मानित करने के मकसद के साथ इस दिन को मनाने की पहल की थी। उसके बाद ही 1926 में बार्सिलोना में पहला विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया था। ये पुस्तक दिवस मिगुएल डे सर्वेंट्स की जन्मदिन 7 अक्टूबर को मनाया गया था। लेकिन बाद में इस दिवस को मनाने के लिए मिगुएल डे सर्वेंट्स की मृत्यु का दिन यानी कि 23 अप्रैल चुना गया।
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस की थीम
विश्व पुस्तक दिवस हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल 2023 की थीम है 'इंडिजेनस लैंग्वेजेज' यानी स्वदेशी भाषाएं। इस थीम को रखने का मकसद देश और दुनिया में मौजूद अलग-अलग भाषाओं का महत्व को समझना है। इस थीम को रखने की एक और वजह है स्वदेशी भाषा को मजाक न उड़ाएं उसकी कद्र करें और उन्हें विलुप्त होने से बचाएं।
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस का महत्व
• विश्व पुस्तक दिवस पर लोगों को पुस्तकों और लेखकों का सम्मान करना सिखाता है। ये दिवस उन लोगों के लिए तो बहुत ही खास होता है जिन्हें पढ़ने का शौक होता है।
• विश्व पुस्तक दिवस दुनिया भर के लोगों, खासतौर से मीडिया, लेखकों और शिक्षाविदों जैसे पुस्तक उद्योग को बढ़ावा देने में योगदान वालों को भी सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
• विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस यह सुनिश्चित करता है कि साक्षरता को सभी रूपों में बढ़ावा दिया जाना चाहिए और लोगों तक शैक्षिक संसाधनों की हर तरह से पहुंच होनी चाहिए।
Pic credit- freepik
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