नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Aids Day 2022: एचआईवी संक्रमण यानी एड्स एक गंभीर बीमारी है, जिसे लेकर आज भी कई तरह की गलत धारणाएं मौजूद हैं। समाज में आज भी इस बीमारी से ग्रसित लोगों को हीन भावना से देखा जाता है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 के अंत तक दुनियाभर में करीब 3 करोड़ 39 लाख लोग इस संक्रमण से संक्रमित थे। जबकि सिर्फ इसी साल करीब 0.15 करोड़ लोगों को यह बीमारी हुई। वहीं, बात करें इससे जान गंवाने वालों की तो सिर्फ साल 2021 में ही करीब 6 लाख 50 हजार लोगों की इस संक्रमण की वजह से जान चली गई। ऐसे में लोगों के बीच इसे लेकर जागरूकता लाना बेहद जरूरी है। लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही हर साल वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है।
एड्स डे का महत्व
हर साल एक दिसंबर को दुनियाभर में वर्ल्ड एड्स डे के रूप में मनाया जाता है। इन दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के लिए जागरूक करना है। साथ ही यह दिन उन लोगों की याद में भी मनाया जाता है,जिन्होंने इस गंभीर बीमारी की वजह से दुनिया को अलविदा कह दिया। वर्ल्ड एड्स डे मनाने का एक अलग महत्व है। इस दिन को मनाने के पीछे का मकसद यह कि लोगों को यह याद दिलाया जा सके कि अब भी लोग इस गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। यह दिन दुनियाभर में इस रोग से पीड़ित लोगों के प्रति अपना समर्थन दिखाने का मौका देता है।
वर्ल्ड एड्स डे का इतिहास
वहीं, बात करें इस दिन के इतिहास की तो एड्स डे मनाने की शुरुआत साल 1988 में हुई थी। उस साल डब्ल्यूएचओ (WHO) ने इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाने का एलान किया था। दरअसल, साल 1981 में एड्स का पहला केस सामने आने के बाद लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत थी। ऐसे में लोगों को इस गंभीर और भयावह बीमारी के प्रति जागरूक करने और शिक्षित करने के मकसद से डब्ल्यूएचओ हर साल एड्स डे मनाने का एलान किया। इस दिन लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करने के लिए तरह-तरह की गतिविधियां आयोजित की जाती है। साथ ही इस दिन लोग लाल रंग का रिबन पहनकर इस बीमारी से पीड़ित लोगों का समर्थन करते हैं।
वर्ल्ड एड्स डे 2022 की थीम
लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करने के मकसद से मनाए जाने वाले इस दिन के लिए हर साल कोई थीम तय की जाती है। वहीं, बात करें इस साल की थीम की तो इस एड्स डे के लिए समानता थीम तय की गई है। इस साल की यह थीम एड्स को लेकर समाज में फैली असमानताओं को उजागर करते हुए इन्हें दूर कर एड्स को जड़ से खत्म करने पर जोर देता है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो एड्स, एचआईवी नाम के वायरस से फैलता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति की प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता खत्म हो जाती है। यह संक्रमण असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित व्यक्ति के रक्त या गर्भावस्था में प्रसव के दौरान संक्रमित मां से बच्चे तक फैल सकता है।
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