Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    समान सैलरी से लेकर मुफ्त कानूनी सेवाओं तक, भारत में महिलाओं को मिलते हैं ये 8 अधिकार

    By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni Upadhyay
    Updated: Mon, 19 Jun 2023 11:31 AM (IST)

    Women Rights In India भारत के संविधान में महिलाओं को कुछ ऐसे भी अधिकार दिए गए हैं जो उनको पुरुषों के समान जिंदगी जीने का हक देते हैं। हालांकि आमतौर पर महिलाओं को इन अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती जिससे वे आज भी कई क्षेत्रों में पीछे हैं।

    Hero Image
    हर भारतीय महिला को मिले हैं कई कानूनी अधिकार

    नई दिल्ली, नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Women Rights In India: भारत में महिलाओं के अधिकार के लिए कानूनों की कोई कमी नहीं है। हमारा संविधान महिलाओं को उनकी सुरक्षा और विकास के लिए विशेष अधिकार प्रदान करता है। हर महिला को सुरक्षा से लेकर समानता से जुड़े इन अधिकारों के बारे में जरूर जानना चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महिलाएं अब किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं है। हर क्षेत्र में बराबर की हिस्सेदार बन रही हैं, लेकिन आज भी महिलाओं को समानता का दर्जा नहीं दिया जाता। भारत के संविधान में महिलाओं को कुछ ऐसे भी अधिकार दिए गए हैं जो उनको पुरुषों के समान जिंदगी जीने का हक देते हैं। हालांकि, आमतौर पर महिलाओं को इन अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती, जिसकी वजह से वे आज भी कई क्षेत्रों में पीछे हैं। आज इस आर्टिकल की मदद से आपको बता रहे हैं उन कानूनी अधिकारों के बारे में जिनके बारे में हर भारतीय महिला को पता होना चाहिए।

    महिलाओं के लिए आरक्षण

    देश के कई जगहों पर महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था है। चाहे वह चुनाव लड़ने या शिक्षा देने की बात हो। पार्लियामेंट में भी पुरुषों के बराबर महिलाओं के लिए चर्चा चल रही है, हालांकि यह आरक्षण अभी तक मिला नहीं है, लेकिन कई जगहों पर महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत का आरक्षण है।

    समान वेतन पाने का अधिकार

    महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर काम कर रही हैं। अपनी मेहनत के बल पर वे हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। लेकिन हमारे देश में लगभग लिंग आधारित भेदभाव हर जगह मौजूद है। समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत महिला और पुरुष कर्मचारियों को एक जैसे काम के लिए समान वेतन देने का प्रावधान है। साथ ही इसका उद्देश्य कार्यक्षेत्र में महिलाओं के खिलाफ होने वाले भेदभाव को खत्म करना है।

    भरण-पोषण का अधिकार

    हमारे देश में एक शादीशुदा महिला तलाक के बाद भी अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार होती है, जब तक वह दूसरी शादी नहीं करती। गुजारा भत्ता में जीने की जरूरी आवश्यकताएं, जैसे- भोजन, रहने के लिए घर, कपड़े, शिक्षा आदि सुविधाएं तलाकशुदा महिला को अपने पति से मिलनी चाहिए। हालांकि ये सारी सुविधाएं पति की परिस्थितियों और आय पर भी निर्भर करता है।

    दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 125 के तहत कोई भी भारतीय महिला चाहे उसकी जाति और धर्म कुछ भी हो, वह अपने पति से अलग होने के बाद भी भरण-पोषण का दावा कर सकती है।

    गरिमा और शालीनता के साथ जीने का अधिकार

    हर महिला को गरिमा और शालीनता के साथ जीने का अधिकार मिला है। अगर कोई भी व्यक्ति इसे भंग करने की कोशिश करता है, तो उसे कानून में सजा देने का प्रावधान है।

    महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराध जैसे यौन उत्पीड़न (धारा 354A), निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला (धारा 354 बी), लज्जा भंग करने के लिए स्त्री पर हमला करना (धारा 354), या महिला की ताक-झांक करना (354 सी ) जैसे अपराधों के लिए दंड का प्रावधान है। अगर कोई व्यक्ति महिला का पीछा करता है, उसके लिए भी धारा 354 डी के तहत सजा दी जा सकती है।

    अगर किसी मामले में महिला खुद आरोपी है या कोई मेडिकल ट्रीटमेंट चल रहा है, तो यह काम किसी दूसरी महिला की मौजूदगी में ही होना चाहिए।

    बलात्कार के मामलों में, अगर संभव हो, तो एक महिला पुलिस अधिकारी को ही एफ आई आर दर्ज करानी चाहिए। इसके अलावा किसी आरोपी महिला को महिला पुलिस अधिकारी की विशेष अनुमति के बिना उसे सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।

    महिलाओं को मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार

    अगर किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार हुआ हो, तो वह मुफ्त कानूनी सलाह पाने की अधिकार है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत पीड़ित महिलाओं को मुफ्त कानूनी सेवा का मान्यता प्राप्त है।

    कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकार

    महिलाएं जिन स्थानों पर काम करती हैं, वहां महिला शौचालय होना आपका अधिकार है। अगर किसी स्थान पर 30 से अधिक महिला कर्मचारी हों, वहां बच्चों की देखभाल और भोजन की सुविधा भी अनिवार्य है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट और सरकार कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रखा था। सर्वोच्च न्यायालय ने विशाखा बनाम राजस्थान राज्य में, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष दिशा निर्देश निर्धारित किए थे। जिसके बाद सरकार ने 2013 में एक विशेष कानून बनाया।

    कार्यस्थल पर अगर कोई व्यक्ति महिला को देखकर अश्लील टिप्पणी करता है, सीटी बजाता है या आपको देखकर अश्लील गाने गाता है या किसी भी तरह का गलत हरकत करता है, तो उसके खिलाफ शिकायत करने पर कानूनी सजा मिल सकता है।

    इसके लिए प्रत्येक जिला में जिला अधिकारी को एक स्थानीय शिकायत समिति का गठन करना जरूरी है। इसके अलावा, IPC भी 354A के तहत 1-3 साल की कैद की सजा देकर यौन उत्पीड़न की सजा देती है।

    दहेज के खिलाफ अधिकार

    दहेज लेना और देना, दोनों ही कानूनी अधिकार है। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज के लिए सजा का प्रावधान है। अगर आप दहेज देते हैं, लेते हैं या लेने के लिए उकसाते हैं, तो आपको कम से कम 5 साल की कारावास और कम से कम 15000 रुपए देने का जुर्माना लगाया जाएगा।

    घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार

    2005 में घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाए गए। इस अधिनियम के आधार पर हर महिला घरेलू हिंसा के खिलाफ शिकायत करने की हकदार है। घरेलू हिंसा में न केवल शारीरिक शोषण बल्कि मानसिक, यौन और आर्थिक शोषण भी शामिल है।

    इसलिए, अगर आप एक बेटी, पत्नी या लिव-इन पार्टनर हैं और आपके साथी, पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा आपके साथ कोई भी दुर्व्यवहार किया जाता है, तो आप घरेलू हिंसा अधिनियम के प्रावधानों के तहत उसे सजा दिला सकती हैं।

    इसके अलावा आप महिला हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। "1091" पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं । वे आपके मामले के बारे में पुलिस को सूचित करेंगे। आप अपने क्षेत्र के वीमेन सेल से भी संपर्क कर सकते हैं, जिसे आप गूगल की मदद से ढूंढ सकते हैं। ये ऐसी महिलाओं को विशेष सेवाएं प्रदान करते हैं और उचित तरीके से उनकी शिकायतों की चिट्ठी तैयार करने के बाद मजिस्ट्रेट को भेजते हैं। आप घरेलू हिंसा के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए पुलिस से भी संपर्क कर सकते हैं।

    जो महिलाएं पति या उसके रिश्तेदारों द्वार घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। भारतीय दंड संहिता ऐसी महिलाओं को भी सुरक्षा प्रदान करती है। धारा 498A के तहत पति या उसके रिश्तेदारों को 3 साल की कारावास की सजा मिल सकती है और जुर्माना भी भरना हो सकता है।