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    गर्भावस्था के दौरान क्यों जरूरी है टीकाकरण, पढ़े गायनकोलाजिस्‍ट की राय

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Thu, 14 Jul 2022 05:59 PM (IST)

    सेंटर फार डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार कुछ टीके गर्भावस्था से एक महीने या उससे पूर्व लगवाए जाने चाहिए जैसे - एम.एम.आर. (मीजल्स मम्प्स रुबेला) व हेपेटाइटिस-बी। कुछ टीके जहां गर्भवती महिलाओं में एंटीबाडी का निर्माण करते हैं वहीं गर्भावस्था के दौरान शिशु को संक्रमण से भी बचाते हैं।

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    गर्भावस्था के दौरान स्वयं व शिशु के स्वास्थ्य का रखें खयाल और टीकाकरण को न करें नजरअंदाज...

    डा शिराली सुधा रुनवाल। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इससे मां और शिशु, दोनों में ही विभिन्न बीमारियों व संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए चिकित्सक की सलाह पर टीके जरूर लगवाने चाहिए। अक्सर इनकी अनदेखी गंभीर स्थिति उत्पन्न करती है। सरकार भी गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण अभियान चलाती ही रहती है। गर्भावस्था में टीकाकरण से कई तरह की बीमारियों से सुरक्षा होती है। 

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    यदि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं समय पर टीका लगवा लेती हैं तो जन्म लेने वाला शिशु कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा रहता है। यदि कोई विरोधाभासी तथ्य न हो तो गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 से बचाव हेतु टीके दिए जा सकते हैं। शोधों से यह बात स्पष्ट हो गई है कि गर्भावस्था के दौरान कोरोना वैक्सीन लेने वाली महिलाओं के नवजात शिशुओं में काफी समय तक एंटीबाडी पाई गई, जो बिना वैक्सीन लगवाने वाली महिलाओं के नवजात शिशुओं की तुलना में ज्यादा थी।

    गर्भावस्था के दौरान निम्न टीके लगवाएं: टी-डैप वैक्सीन-टिटनेस, डिप्थीरिया और पर्ट्यूसिस। गर्भवती महिलाओं व शिशु को इनसे बचाने के लिए हर गर्भावस्था के दौरान ये वैक्सीन जरूर देनी चाहिए। इस टीके को लगवाने से शिशु को एक साथ टिटनेस, काली खांसी और डिप्थीरिया से बचाया जा सकता है। इसके अलावा गर्भवती स्त्री को टिटनेस टाक्साइड (टी.टी.) के दो टीके लगाए जाते हैं। गर्भावस्था के प्रारंभिक दिनों में टीटी-एक और इसके चार हफ्ते के बाद टीटी-दो लगाया जाता है। इसके बाद अगर अगले तीन वर्ष के अंदर महिला फिर से गर्भवती होती है तो उसे बूस्टर टी.टी. की आवश्यकता पड़ती है।

    एंफ्लुएंजा वैक्सीन: फ्लू के कारण गर्भवती महिला की प्रतिरक्षा प्रणाली, हृदय व फेफड़े प्रभावित हो सकते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली फ्लू वैक्सीन छह महीने की आयु तक शिशुओं में एंफ्लुएंजा के खतरे को 60 फीसद तक कम कर देती है।