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    सिंगल और हैप्पी मदर होने के सारे गुण हैं इस ब्रम्हांड सुंदरी में, क्या है इनकी लाइफ का फलसफा

    By Srishti VermaEdited By: Srishti Verma
    Updated: Wed, 01 Feb 2017 04:13 PM (IST)

    25 साल की इस छोटी उम्र में किसी भी लड़की के किसी बच्चे को गोद लेना एक बहुत ही बड़ा फैसला हो सकता है। कोई इतना बड़ा साहस नहीं कर सकता है।

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    ब्रम्हांड सुंदरी सुष्मिता सेन ने चाहे पर्दे की बात हो या पर्दे के पीछे की बात, उन्होंने हमेशा लीक से हटकर काम किया है। वो एक इंडिपेंडेट महिला है जो किसी मुद्दे पर अपनी बात को कहीं भी रखने में हिचक महसूस नहीं करती हैं। और सबसे बड़ी बात कि ये एक गॉर्जियस मदर हैं जो सिंगल हैं। उन्होंने अपनी लाइफ को किसी शख्स से शादी करके नहीं बल्कि गोद ली हुई दो बच्चियों के साथ हैप्पीली बनाया है।

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    उनकी लाइफ को देखा जाए तो ये काफी इंस्पायरिंग है। वो कौन सी बाते हैं जो किसी भी महिला को सुष्मिता सेन से सीख लेनी चाहिए।

    सिंगल लेकिन हैप्पी पेरेंट

    एक मां होने का एहसास और आनंद पाने के लए किसी महिला का शादीशुदा होना आवश्यक नहीं है। सन 2000 में सुष्मिता सेन 25 साल की थीं जब उन्हें फिल्म बीवी नंबर वन में उनके सपोर्टिंग रोल के लिए अवॉर्ड और काफी सराहना मिली। इतना ही नहीं इतनी छोटी उम्र में जब एक आम लड़की को एक मां होने का शायद ज्यादा मतलब और ना ज्यादा एक्सपीरीयंस होता है ऐसे में उन्होंने एक बेबी गर्ल को गोद लिया जो एक मेनस्ट्रीम इंडियन एक्ट्रेस के लिए करना शायद नामुमकिन है। उन्होंने अपने करियर के साथ ही अपने गोद लिए बच्चे की जिम्मेदारी लेने का फैसला किया। दस सालों के बाद उन्होंने ये इतिहास फिर से दोहराया जब उन्होंने सिंगल रहते हुए एक दूसरे बच्चे को भी गोद लिया। जब कोर्ट ने उन्हें दूसरे बच्चे की कस्टडी सौंपी तो उनके चेहरे पर विजय और खुशी की एक अलग ही मुस्कान थी। उन्होंने कहा था- मैं खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रही हूं। उन्होंने उसका नाम अलीशा रखा जिसका ग्रीक मतलब होता है आनंद से भरपूर। उन्होंने कहा था कि अलीशा काफी प्यारी बच्ची है जो मिनटों में आपका दिल जीत लेगी।

    उर्जा और जोश से भरपूर

    साधारणत एक सिंगल पेरेंट को काफी मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ता है। उनमें सबसे कॉमन सवाल उनके बच्चे द्वारा पूछा गया ये सवाल होता है- उनके डैड कहां है। सुष्मिता भी उनमें से एक थीं। एक बार उनकी बड़ी बेटी रिनि ने स्कूल से वापस आकर उनसे अपने डैड के बारे में पूछा इस पर सुष्मिता ने शिवलिंग की तरफ इशारा करते हुए बताया कि वे उसके फादर हैं। वे अपने लिए पार्टनर की तलाश करेंगी जब उनके बच्चों की परमीशन होगी। उनका मानना है कि एक सिंगल पेरेंट होने का मतलब काफी सारे सवालों का सामना करना होता है। खास करके बच्चों के क्यूट औऱ इनोशेंट सवालों के सवालों का सामना करना। इन सबका बेस्ट तरीका होता है कि उनसे सच कहें इसके बाद वे आपके जवाब का और आपका उतना ही रेस्पेक्ट करेंगे।

    खुद को संतुष्ट करना सीखें

    जब सुष्मिता के रिंग फिंगर में रिंग देखा गया तो ये अफवाह उठी कि उन्होंने इंगेजमेंट कर ली है। लेकिन इसके लिए उनका बड़ा ही सिंपल जवाब था, कि उन्होंने 22 कैरेट की गोल्ड रिंग खुद के लिए खरीदी है। वे बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहती हैं कि उन्हें एक डायमंड रिंग के लिए उनके लाइफ में किसी मर्द की जरुरत नहीं है वे इसे खुद ही खरीद सकती हैं। उनका मानना है कि खुश रहें, आजाद रहें, खुद पर गर्व करें और खुद को संतुष्ट करने से कभी हिचकें नहीं। वे मानती हैं कि सिंगल मदर होने के कई मुश्किलें हैं लेकिन उनमें एक अलग ही सूकून है।

    मि. राईट का इंतजार करने में कोई बुराई नहीं है

    कॉमन गर्ल्स 20साल की उम्र पार करते ही अपने लिए मि. राइट की तलाश करना शुरु कर देती हैं। उनमें से कुछ को पूरी लाइफ सिंगल रह जाने का डर होता है तो कुछ को सामाजिक दबाव का डर रहता है। और इसी उलझन में उन्हें शादी के बंधन में बांध दिया जाता है जिसके बारे में वो श्योर भी नहीं होती और कंफ्युज्ड रहती हैं।

    इस मामले में सुष्मिता का मानना है कि शादी एक च्वाइस की बात है। उनका मानना है कि समाज ने ये तय कर दिया है कि ग्रेजुएशन पूरा करते करते एक लड़की की शादी हो जानी चाहिए और 25 तक आते आते उन्हें एक बच्चे की मां बन जाना चाहिए जबकि ये गलत है। खुद की शादी को लेकर कहती हैं कि सामाजिक जबाव में आकर शादी कर लेने से अच्छा मि. राइट का इंतजार करना ही सही है।

    सुष्मिता का मानना है कि खुद के साथ वफादार रहें और अपने दिल की सुनें और करें। साथ ही अपने लिए मि. राइट को ढ़ूंढ़ने में कभी भी हार ना मानें औरये मान कर चलें कि अपनी लाइफ में खुशियां और अकेलापन को दूर करने के लिए किसी मर्द की जरुरत नहीं होनी चाहिए।