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प्रोफेशनल लाइफ में समझदारी के साथ बढ़ाया कदम देगा संतुष्टि और सफलता दोनों साथ

उम्र के किसी भी मोड़ पर नौकरी बदलने का निर्णय जोखिम भरा हो सकता है इसलिए धैर्य और समझदारी से काम लें। कुछ बातें ध्यान में रखने से आपको संतुष्टि और तरक्की दोनों मिलेगी।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 08:33 AM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 08:33 AM (IST)
प्रोफेशनल लाइफ में समझदारी के साथ बढ़ाया कदम देगा संतुष्टि और सफलता दोनों साथ

यूं तो नौकरी बदलने के कारणों में ज़्यादा सैलरी, छुट्टियां, सुविधाएं, काम की आज़ादी आदि प्रमुख हैं लेकिन कई बार एकरसता, कंपनी में खुद की कमज़ोर होती स्थिति और तरक्की के मौकों की कमी जैसे कारण भी वर्षों से चली आ रही नौकरी बदलने को मजबूर करते हैं। कारण चाहे जो हों, नौकरी बदलते समय कुछ बातों पर ध्यान ज़रूर देना चाहिए। 

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वेतन और सुविधाएं: नौकरी बदलते समय नई कंपनी में सैलरी पर खुलकर बात करें। यही वह समय है, जब आप कंपनी के सामने अपना पक्ष खुल कर रख सकते हैं। एक बार कंपनी में आने के बाद आपको वहां के नियम-कायदों के मुताबिक ही चलना होगा। करियर काउंसलर्स के मुताबिक कभी भी दस से पंद्रह प्रतिशत सैलरी के लिए नौकरी नहीं बदलनी चाहिए। नई नौकरी में कम से कम 30 प्रतिशत ज्यादा मिलना ही चाहिए। अगर आप नौकरी के लिए किसी दूसरे शहर जा रहे हैं तो सैलरी लगभग 50 प्रतिशत होनी चाहिए क्योंकि वहां कॉस्ट ऑफ लिविंग ज़्यादा होगी। आपको नए सिरे से सारे अरेंजमेंट्स करने होंगे। कुछ कंपनियां सीटीसी में तो अच्छी बढ़ोत्तरी दिखाती हैं लेकिन महीने के अंत में उतनी सैलरी खाते में नहीं आती। दरअसल ये कंपनियां बाकी पैसा साल के आखिर में बिज़नेस टारगेट अचीव होने पर देती हैं। टारगेट अचीव न होने की स्थिति में पैसा हाथ से निकल जाता है। इसलिए सीटीसी का स्ट्रक्चर इस तरह तैयार कराएं कि ज़्यादा से ज़्यादा पैसा खाते में आए। वेतन के अलावा अन्य सुविधाओं पर भी ध्यान दें। जैसे मेडिक्लेम पॉलिसी, कैब की व्यवस्था, सब्सिडाइज़्ड फूड, पार्किंग, जिम, फस्र्टऐड आदि सुविधाएं कंपनी देती है या नहीं।

वर्क एन्वायर्नमेंट: नौकरी बदलने से पहले नई कंपनी के वर्क एन्वायर्नमेंट के बारे में भी मालूम करें। उस कंपनी में काम कर रहे दोस्तों और परिचितों से कंपनी की कार्यशैली के बारे में पूछें। जैसे नई कंपनी में काम की आज़ादी कितनी रहेगी, रिपोर्टिंग मैनेजर कौन होंगे, आपके सामने किस तरह की चुनौतियां होंगी, कंपनी के शीर्ष अधिकारियों के सामने खुद को साबित करने के मौके मिलेंगे या नहीं? यह सब जानने के बाद आकलन करें कि आप कंपनी में फिट बैठ पाएंगे या नहीं? इसके अलावा नए संस्थान में कर्मचारियों के कंपनी छोडऩे का प्रतिशत और वजह दोनों पता लगाएं। साथ ही यह भी कि कंपनी किसी नई कंपनी में मर्ज तो नहीं होने जा रही। इन सवालों के जवाब जानना भी बहुत ज़रूरी है।

नीतियां: नई कंपनी में कर्मचारियों से संबंधित नीतियों की जानकारी भी लें। जैसे कंपनी पुराने कर्मचारियों को नियमित वेतन वृद्धि और प्रमोशन देती है या नहीं। सालाना कितने प्रतिशत वेतन वृद्धि होती है। पुराने कर्मचारियों को तरक्की मिलती है या नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि कंपनी जि़म्मेदार पदों पर हमेशा नए कर्मचारी तैनात करती हो। कंपनी में छुट्टियों का प्रावधान क्या है? वर्तमान कंपनी में जितने अवकाश मिलते हैं, क्या नई कंपनी में भी उतने अवकाश मिलेंगे। कंपनी में हफ्ते में पांच दिन काम करना होगा या छह दिन। साप्ताहिक अवकाश का दिन तय है या कंपनी सुविधा के हिसाब से किसी भी दिन अवकाश देती है। मातृत्व अवकाश देने में कंपनी आनाकानी तो नहीं करती या ऐसी स्थिति में किसी बहाने से कर्मचारी की सेवाएं तो समाप्त नहीं कर देती।

इन बातों का खयाल रखें

1. कंपनी में आपका रोल क्या होगा?

2. नई कंपनी का दफ्तर आपके घर से कितनी दूर है?

3. वहां आपको नए चीज़ें सीखने और व्यक्तित्व विकास के कितने मौके मिलेंगे?

4. नई कंपनी में शिफ्ट ड्यूटी तो नहीं है? अगर है तो आपको ज़्यादातर कौन सी शिफ्ट करनी होगी?

5. नए शहर में जॉब ले रहे हैं तो वहां परिवार को शिफ्ट होने में दिक्कत तो नहीं होगी?

 (करियर काउंसलर सुशील कुमार पारे, मुंबई से बातचीत पर आधारित)


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