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    बच्चों की भावनाओं और भोजन के विकल्पों के बीच गहरा है रिश्ता

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Sat, 16 Jul 2022 02:53 PM (IST)

    विज्ञानियों ने बताया कि बच्चों की भावनाओं और भोजन के विकल्पों को समझने के लिए और अधिक अध्ययन की जरूरत है। हालांकि यह बहुत अच्छी पहल है कि किसी व्यक्ति की भावनाओं को समझते हुए कैसे भोजन विकल्पों को अपनाया जाए।

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    नकारात्मक भावनाएं अत्यधिक कैलोरी सेवन और खराब आहार गुणवत्ता का कारक हैं

    वाशिंगटन, एएनआइ : बच्चों के खाने-पीने को लेकर अभिभावक बहुत सजग रहते हैं। पौष्टिक आहार से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। विज्ञानियों ने भी कई शोध में यह बताया है कि शारीरिक-मानसिक विकास के लिए संतुलित आहार ही बच्चों को देना चाहिए। एक नए अध्ययन में विज्ञानियों ने पता लगाया है कि बच्चों की भावनाओं और उनके भोजन विकल्पों में गहरा रिश्ता होता है। यही उनकी पसंद और नापसंद को तय करता है।

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    अध्ययन से पता चलता है कि नकारात्मक भावनाएं अत्यधिक कैलोरी सेवन और खराब आहार गुणवत्ता का कारक हैं। अध्ययन में इस बात पर मंथन किया गया कि साप्ताहांत में किस तरह भावनात्मक कारणों से बच्चे स्वास्थ्य के लिए अहितकारी भोजन विकल्प को चुनते हैं। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी आफ साउदर्न कैलिफोर्निया के डिपार्टमेंट आफ पापुलेशन एंड पब्लिक हेल्थ साइंस के क्रिस्टीन होतारू नाया ने बताया कि स्कूल दिनों की तुलना में साप्ताहांत में बच्चे जंक फूड खाने की अधिक इच्छा रखते हैं। अमूमन ऐसे खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होते। शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने इस बिंदु पर भी विचार किया जब बच्चे खाने से संबंधित अपने निर्णय स्वयं करते हैं।

    इस शोध के लिए विभिन्न पृष्ठभूमि के 195 बच्चों को शामिल किया गया जो तीसरी से छठी कक्षा के छात्र थे। इन बच्चों से मोबाइल एप के माध्यम से दिन में सात बार संपर्क किया गया और सवालों के जवाब पूछे गए। उनसे सवाल किया गया कि क्या वे उदास या तनावग्रस्त महसूस कर रहे हैं। इस दौरान गत दो घंटों में उन्होंने तले हुए खाद्य पदार्थ, मिठाई और अन्य मीठे पेय पदार्थ का विकल्प चुना है। इन सभी खाद्य पदार्थों के नमूने लिए गए। बच्चों ने बताया कि 40 प्रतिशत दिनों में वे दिन में कम से कम एक बार वे मिठाई या पेस्ट्री खाते हैं। 30 प्रतिशत दिनों में वे दिन में एक बार चिप्स या फ्राइड चीजें खाते हैं। इसके अलावा 25 प्रतिशत दिनों में मीठे पेय पदार्थ का सेवन करते हैं।

    शोधकर्ताओं ने एक दिन के दौरान तीन नकारात्मक मूड पैटर्न की पहचान की। शोध टीम ने पाया कि तले हुए भोजन की खपत कम नकारात्मक मूड वाले दिनों की तुलना में अधिक परिवर्तनशील भावनात्मक पैटर्न वाले दिनों में अधिक होती है। यूनिवर्सिटी आफ साउदर्न कैलिफोर्निया के डिपार्टमेंट आफ पापुलेशन एंड पब्लिक हेल्थ साइंस के डेनियल चू ने बताया कि इस अध्ययन से कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए। बच्चों के लिए गुणवत्ता से युक्त भोजन का चुनाव करना बेहद जरूरी है। इससे स्वस्थ बचपन के निर्माण में मदद मिलती है। इस शोध का उद्देश्य बच्चों के आहार परिणामों और खाने के व्यवहार में सुधार है।