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    Teachers Day 2020: सर्वपल्ली राधाकृष्णन के ये 10 अनमोल वचन सबके लिए हैं प्रेरणा स्रोत

    By Umanath SinghEdited By:
    Updated: Fri, 04 Sep 2020 07:00 AM (IST)

    Teachers Day 2020 शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें।

    Teachers Day 2020: सर्वपल्ली राधाकृष्णन के ये 10 अनमोल वचन सबके लिए हैं प्रेरणा स्रोत

    दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Teachers Day 2020: भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर को हुआ था। वे महान विचारक, शिक्षाविद और दार्शनिक थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनके अविस्मरणीय योगदान और उनके सम्मान के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार स्वंय डॉ॰ राधाकृष्णन ने उनके जन्मदिन पर  शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा था-"ये मेरा सौभग्य होगा यदि 5 सितम्बर को मेरे जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाए"। आइए, डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के उन अनमोल वचनों को जानते हैं, जिन्हें जानकर आप अपने जीवन में सफल हो सकते हैं-

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    1.

    भगवान् हम सबके भीतर रहता है, महसूस करता है और कष्ट सहता है, और समय के साथ उसके गुण, ज्ञान, सौन्दर्य और प्रेम हममें से हर एक के अन्दर उजागर होंगे।

    2.

    पुस्तकें वह साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।

    3.

    केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है। स्वयं के साथ ईमानदारी आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है।

    4.

    शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें।

    5.

    हिन्दू धर्म सिर्फ एक आस्था नहीं है. यह तर्क और अन्दर से आने वाली आवाज़ का समागम है जिसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है परिभाषित नहीं।

    6.

    हमें मानवता को उन नैतिक जड़ों तक वापस ले जाना चाहिए जहाँ से अनुशाशन और स्वतंत्रता दोनों का उद्गम हो।

    7.

    यदि मानव दानव बन जाता है तो ये उसकी हार है, यदि मानव महामानव बन जाता है तो ये उसका चमत्कार है। यदि मनुष्य मानव बन जाता है तो ये उसके जीत है।

    8.

    ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है

    9.

    कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती,जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो। किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धांत को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए।

    10.

    अपने पड़ोसी से खुद की तरह प्रेम करो क्योंकि तुम खुद अपने पड़ोसी हो. ये भ्रम है जो तुम्हे ये सोचने पर विवश करता है कि तुम्हारा पड़ोसी तुम्हारे अलावा कोई और है।