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    Subhas Chandra Bose Jayanti 2023: सुभाष चंद्र बोस को इस तानाशाह ने दी थी नेताजी की उपाधि, पढ़ें दिलचस्प किस्सा

    By Harshita SaxenaEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Thu, 19 Jan 2023 01:19 PM (IST)

    नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इस साल 126वीं जयंती मनाई जाएगी। आजाद हिंद फौज से लेकर आजाद हिंद रेडियो की स्थापना करने तर नेताजी से भारत की आजादी में बेहद अहम भूमिका निभाई थी। जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-

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    जानें किसने दी सुभाष चंद्र बोस को नेताजी की उपाधि

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Subhas Chandra Bose Jayanti 2023: देश की आजादी में अहम किरदार निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस आज भी अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले नेताजी का नाम देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में शामिल है। देश के लोगों में आजादी को लेकर नया जोश और उर्जा भरने के लिए सुभाष चंद्र बोस ने ही 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा दिया था। उनका यह नारा आज भी लोगों में एक अलग उत्साह भर देता है। गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले नेताजी की इस साल 126वीं जयंती है। इस खास मौके पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में-

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    23 जनवरी को हुआ जन्म

    नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ बोस और माता प्रभावती देवी थीं। बचपन से ही तेज बुद्धि के धनी सुभाष चंद्र बोस ने इंग्लैंड की क्रैंब्रिज यूनिवर्सिटी से सिविल परीक्षा पास की थी। लेकिन साल 1921 में जब उन्होंने भारत पर अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे जुल्मों के बारे में पढ़ा, तो उन्होंने उसी वक्त इंग्लैंड में प्रशासनिक सेवा की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ दी। इतना ही नहीं यह इस बात से इस कदर प्रभावित हुए कि वह तुरंत अपने देश लौट आए और भारत की आजादी की मुहिम में लग गए।

    कई बार जेल भी गए नेताजी

    दरअसल, जलियांवाला बाग में हुए दिल दहला देने वाले हत्याकांड से नेताजी काफी विचलित हो गए थे। इस हत्याकांड के बाद ही वह भारत की आजादी संग्राम में जुड़े थे। इस दौरान 1921 से 1941 के बीच में वह 11 बार देश के अलग-अलग जेल में कैद भी किए गए। उन्होंने साल 1943 में बर्लिन में आजाद हिंद रेडियो और फ्री इंडिया सेंट्रल की स्थापना की। इसी साल आजाद हिंद बैंक ने 10 रुपए के सिक्के से लेकर 1 लाख रुपए तक के नोट जारी किए थे। इस दौरान एक लाख रुपए के नोट में नेताजी सुभाष चंद्र जी की तस्वीर छपी थी।

    इस तानाशाह ने दी नेताजी की उपाधि

    देश की आजादी के लिए नेताजी का जुनून इतना बड़ा था कि वह भारत को आजाद करने का प्रस्ताव लेकर साल 1942 में जर्मन के तानाशाह अडोल्फ हिटलर के पास गए थे। हालांकि, उस समय हिटलर ने भारत की आजाद में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि हिटलर ने ही सबसे पहले सुभाष चंद्र बोस को ‘नेताजी’ कहकर बुलाया था। इसके बाद से ही वह इस नाम से मशहूर हो गए। नेताजी के अलावा उन्हें देश नायक भी कहा जाता है,जिसकी उपाधि सुभाष चंद्र बोस को रवीन्द्रनाथ टैगोर से मिली थी।

    आज भी रहस्य है नेताजी की मौत

    इतना ही नहीं सुभाष चंद्र बोस को दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। शायद ही आप यह जानते होंगे कि सुभाष चंद्र बोस ने ही पहली बार महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ कह कर संबोधित किया था। देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले नेताजी को आजाद भारत देखने को सुख प्राप्त न हो सका और साल 1945 में उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन आज तक उनकी मौत की गुत्थी सुलझ नहीं पाई है। दरअसल, 1945 में जापान जाते समय सुभाष चंद्र बोस का विमान ताईवान में क्रेश हो गया। हालांकि, इन दौरान उनका शव नहीं मिला थै, जिसकी वजह से आज भी उनकी मृत्यु एक रहस्य बनी हुई है।

    Picture Courtesy: Instagram