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    Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: मराठा गौरव शिवाजी महाराज जयंती के लिए स्पीच

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Wed, 19 Feb 2020 12:37 PM (IST)

    छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को मराठा परिवार में हुआ था। इन्हें मराठा गौरव भी कहा जाता है।

    Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: मराठा गौरव शिवाजी महाराज जयंती के लिए स्पीच

    छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से शायद ही कोई अपरिचित होगा। भारत के सबसे निडर, बुद्धिमान और साहसी राजाओं की श्रेणी में इनका नाम सबसे ऊपर आता है। 19 फरवरी को मराठा परिवार में शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था।

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    शिवाजी महाराज के माता-पिता

    शिवाजी के पिता का नाम शहाजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था।

    जन्म स्थान

    इनका जन्म पुणे स्थित शिवनेरी दुर्ग में हुआ था।

    विवाह

    इनका विवाह सइबाई के साथ हुआ था।

    स्पीच-1

    शिवाजी पिता शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे। उनका जन्म स्थान पुणे के पास स्थित शिवनेरी का दुर्ग है। राष्ट्र को विदेशी और आतताई राज्य-सत्ता से स्वाधीन करा सारे भारत में एक सार्वभौम स्वतंत्र शासन स्थापित करने का एक प्रयत्न स्वतंत्रता के अनन्य पुजारी वीर प्रवर शिवाजी महाराज ने भी किया था। इसी प्रकार उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्रता-सेनानी स्वीकार किया जाता है। महाराणा प्रताप की तरह वीर शिवाजी राष्ट्रीयता के जीवंत प्रतीक एवं परिचायक थे।

    स्पीच-2

    शिवाजी महाराज का बचपन उनकी माता जिजाऊ के मार्गदर्शन में बीता। माता जीजाबाई धार्मिक स्वभाव वाली होते हुए भी गुण-स्वभाव और व्यवहार में वीरंगना नारी थीं। इसी कारण उन्होंने बालक शिवा का पालन-पोषण रामायण, महाभारत तथा अन्य भारतीय वीरात्माओं की उज्ज्वल कहानियां सुना और शिक्षा देकर किया था। दादा कोणदेव के संरक्षण में उन्हें सभी तरह की सामयिक युद्ध आदि विधाओं में भी निपुण बनाया था। धर्म, संस्कृति और राजनीति की भी उचित शिक्षा दिलवाई थी। उस युग में परम संत रामदेव के संपर्क में आने से शिवाजी पूर्णतया राष्ट्रप्रेमी, कर्त्तव्यपरायण एवं कर्मठ योद्धा बन गए।

    स्पीच-3

    छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सन् 14 मई 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल, पुना में हुआ था। उनके पुत्र का नाम सम्भाजी था। सम्भाजी (14 मई, 1657– मृत्यु: 11 मार्च, 1689) शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी थे, जिसने 1680 से 1689 ई. तक राज्य किया। सम्भाजी  में अपने पिता की कर्मठता और दृढ़ संकल्प का अभाव था। सम्भाजी की पत्नी का नाम येसुबाई था। उनके पुत्र और उत्तराधिकारी राजाराम थे।