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Autism Disorder: मानसिक विकारों की पहचान में रोबोट हो सकते हैं उपयोगी

शोध के सह-लेखक डा. मिकोल स्पिटेल ने कहा कि बच्चों के मन की बात को समझने और और साझा करने में रोबोट मददगार उपकरण हो सकते हैं। कभी-कभी बच्चे पहली बार में अपनी परेशानी साझा करने में सहज नहीं होते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 09 Sep 2022 06:42 AM (IST)Updated: Fri, 09 Sep 2022 06:42 AM (IST)
Autism Disorder: मानसिक विकारों की पहचान में रोबोट हो सकते हैं उपयोगी
अध्ययन : मानसिक स्तर पर सूक्ष्म बदलाव को भी पकड़ पाने से सटीक हो सकेगी जांच

कैम्ब्रिज, एएनआइ : बच्चों में मानसिक विकारों का पता लगाना बड़ा ही कठिन होता है। लेकिन अब इसमें रोबोट की मदद मिल सकती है। इससे जांच सटीक भी होगी। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के रोबोटिक विज्ञानियों, कंप्यूटर विज्ञानियों और मनोचिकित्सकों की टीम ने आठ से 13 वर्ष की उम्र के 28 बच्चों पर इस संबंध में अध्ययन किया है। प्रत्येक प्रतिभागी के मानसिक स्वास्थ्य के आकलन के लिए एक बच्चे के आकार का ह्यूमनाइड रोबोट का उपयोग किया गया। रोबोट के इस्तेमाल से मनोवैज्ञानिक प्रश्नावली से बच्चों की मानसिक अवस्था का आकलन किया गया। यह पहली बार है, जब बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल किया गया है।

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शोधकर्ताओं का कहना है कि रोबोट मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन के लिए उपयोगी हो सकते हैं, हालांकि उनका इरादा पेशेवर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ का विकल्प तैयार करना नहीं है। इस शोध के निष्कर्ष को इटली के नेपल्स में एक सितंबर को 31वें आईईई इंटरनेशनल कांफ्रेंस में रोबोट और ह्यूमन इंटरएक्टिव संचार के तहत प्रकाशित किया गया।

विज्ञानियों ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान होम स्कूलिंग, वित्तीय संकट और साथियों से अलगाव ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाला है। हालांकि यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि कोविड काल से पहले भी बच्चों में अवसाद के मामले तेजी से बढ़े हैं।

कैम्ब्रिज के कंप्यूटर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में इफेक्टिव इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स लेबोरेट्री का नेतृत्व करने वाली प्रोफेसर हैटिस गन्स अध्ययन कर रही हैं कि कैसे सामाजिक रूप से सहायक रोबोट वयस्कों के लिए मानसिक कल्याण 'कोच' के रूप में उपयोग किए जा सकते हैं। इसके अगले चरण में उन्होंने यह भी अध्ययन किया कि ऐसे रोबोट बच्चों के लिए कैसे फायदेमंद हो सकते हैं।

गन्स ने कहा कि मां बनने के बाद, मुझे इस बात में बहुत अधिक दिलचस्पी थी कि बच्चे बड़े होने पर खुद को कैसे व्यक्त करते हैं और यह कैसे रोबोटिक्स में मेरे काम के साथ ओवरलैप हो सकता है। बच्चे काफी संवेदनशील होते हैं और वे आधुनिक टेक्नोलाजी के प्रति आकर्षित होते हैं। रोबोट से संवाद संभव है और बच्चों की दिलचस्पी आधुनिक तकनीक में अमूमन होती ही है। कैम्ब्रिज के मनोचिकित्सा विभाग में सहयोगियों के साथ, गन्स और उनकी टीम ने यह देखने के लिए एक प्रयोग तैयार किया कि क्या रोबोट बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए एक उपयोगी उपकरण हो सकता है?

अध्ययन के प्रथम लेखक निदा इतरत अब्बासी ने कहा कि कभी-कभी पारंपरिक तरीके बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की खामियों को पकड़ने में सक्षम नहीं होते हैं। क्योंकि कभी-कभी बदलाव अविश्वसनीय रूप से सूक्ष्म होते हैं। हम यह देखना चाहते थे कि क्या रोबोट ऐसी स्थिति में मदद कर सकते हैं?

इस शोध में शामिल प्रतिभागियों को तीन अलग-अलग समूहों में विभाजित किया गया था। प्रतिभागियों ने पूरे सत्र में रोबोट के साथ बात की। रोबोट के हाथों और पैरों पर लगे सेंसर को छूकर उसके साथ मन की बातें साझा कीं। अतिरिक्त सेंसर ने सत्र के दौरान प्रतिभागियों के दिल की धड़कन, सिर और आंखों की गतिविधियों को ट्रैक किया। प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें रोबोट के साथ बात करने में मजा आया। कुछ बच्चों ने रोबोट को ऐसी जानकारी भी दी, जिसे उन्होंने व्यक्तिगत रूप से या आनलाइन प्रश्नावली पर साझा नहीं किया था।

शोधकर्ताओं ने पाया कि अलग-अलग तरह की चिंताओं या समस्याओं वाले बच्चों ने रोबोट के साथ अलग तरह से बातचीत की। रोबोट के साथ बातचीत करने से प्रश्नावली के लिए अधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया रेटिंग मिली। जिन बच्चों को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, रोबोट ने उन्हें अपनी वास्तविक भावनाओं और अनुभवों को प्रकट करने में सक्षम बना दिया है।

अब्बासी ने कहा कि हम जिस रोबोट का उपयोग करते हैं वह बच्चों के आकार का है और पूरी तरह से सुरक्षित है। बच्चे रोबोट को एक विश्वासपात्र के रूप में देख सकते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि अगर वे इसके साथ रहस्य साझा करते हैं तो वे परेशानी में नहीं पड़ेंगे। शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके परिणाम बताते हैं कि रोबोट बच्चों के मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए उपयोगी उपकरण हो सकते हैं, हालांकि वे मानव संपर्क का विकल्प बिल्कुल नहीं हैं।

शोध के सह-लेखक डा. मिकोल स्पिटेल ने कहा कि बच्चों के मन की बात को समझने और और साझा करने में रोबोट मददगार उपकरण हो सकते हैं। कभी-कभी बच्चे पहली बार में अपनी परेशानी साझा करने में सहज नहीं होते हैं। शोध का उद्देश्य मनोचिकित्सक या मानसिक रोग विशेषज्ञ का विकल्प तैयार करना कतई नहीं है।


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