जिंंदगी में आगे बढ़ने और खुश रहने के लिए पॉजिटिव एटीट्यूड रखना है बहुत जरूरी
एटीट्यूड से व्यक्ति की पहचान बनती है। उसी से पता चलता है कि आपकी सोच क्या है प्राथमिकता क्या है और सबसे बढ़कर निर्णय लेने की कितनी क्षमता है। तभी सफलता की राह आसान होती है।
इस बारे में मनोविश्लेषकों का मानना है कि कई लोग एटीट्यूड को अकड़ मान बैठते हैं, जबकि ऐसा नहीं हैं। दोनों शब्दों में बुनियादी फर्क है। एटीट्यूड से व्यक्ति की पहचान बनती है। उसी से पता चलता है कि आपकी सोच क्या है, प्राथमिकता क्या है और सबसे बढ़कर निर्णय लेने की कितनी क्षमता है। ऐसे व्यक्ति में सिर्फ निर्णय लेने की क्षमता ही नहीं देखी जाती, बल्कि यह भी देखा जाता है कि वह उस निर्णय पर कायम कितना रहता है। स्थायी निर्णय लेने वाला या स्थिर और दृढ़ रहने वाला व्यक्ति ही किसी भी क्षेत्र की नौकरी में विश्वसनीय और सफल माना जाता है। ऐसे व्यक्ति को सकारात्मक सोच तथा खुले दिमाग वाला होना चाहिए, जिसके कारण वह अपने साथियों से सलाह-मशविरा करके सही निर्णय ले सकता है।
जरूरी है एहतियात: एटीट्यूड धारण करने में यह भी जरूरी है कि आप जैसे हैं वैसे ही अपने को प्रस्तुत करें। अपने व्यक्तित्व का विकास अलग बात है, लेकिन दिखावा या किसी की नकल तुरंत पकड़ी जाती है। ऐसे में स्थिति हास्यापद हो जाती है और असफलता ही हाथ लगती है। व्यक्ति को संयत एवं सरल स्वभाव का होना चाहिए। दिक्कत तब खड़ी हो जाती है जब एडीट्यूड के तहत व्यक्ति गलत निर्णय लेने लगता है।
स्व-विवेक का उपयोग: आपको हर छोटे काम के लिए अपने बॉस से अनुमति नहीं लेना चाहिए। अपने अधिकार और विवेक का उपयोग भी करें। ऐसी स्थिति में जब आवश्यक हो तभी बॉस से अनुमति लें। इसके अलावा, एटीट्यूड के तहत व्यक्ति को अपनी तुलना किसी अन्य के काम से नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपना काम अच्छे से अच्छे ढंग से करना चाहिए। हो सकता है शुरू में आपकी योग्यता की तुलना में छोटा काम मिले, लेकिन छोटे काम को भी पूरी लगन एवं ईमानदारी से करने पर ही बुलंदियों को छुआ जा सकता है। क्योंकि काम कोई छोटा-बड़ा नहीं होता, बल्कि उसे करने का तरीका छोटा-बड़ा होता है। यही सफलता और असफलता के बीच का महत्वपूर्ण फर्क भी है।
काम में पारदर्शिता: अगर आपको सही रूप में प्रोफेशनल बनना है तो जरूरी है कि आप अपनी प्रोफेशनल लाइफ में पर्सनल लाइफ का दखल न होने दें। काम में पूरी पारदर्शिता बहुत जरूरी है। अपनी उपलब्धियों का उल्लेख करना भी गलत नहीं है, पर इस पर घमंड न करें। नहीं तो इससे आपकी अपने सहयोगियों से दूरियां बढ़ेंगी।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. सभी सहयोगियों से समान व्यवहार करें और प्रत्येक कार्य को समबद्धता तथा प्रसन्नता से करें।
2. बहुत सारा काम होने के बावजूद यह महसूस न होने दें कि आप काम के बोझ से दबे चले जा रहे हैं।
3. किसी कठिन काम को अंजाम देने के लिए सही समय का इंतजार न करें, बल्कि स्वयं आगे बढ़कर उसे करने का रास्ता खोजें।
4. काम के प्रति यदि आपका नजरिया सकारात्मक होगा, तो मुश्किल काम भी आसान हो जाएंगे।
रेणु जैन