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    Origin Of Idli: दक्षिण भारत से नहीं बल्कि इन दो देशों से जुड़ा है इडली का इतिहास!

    Origin Of Idli इडली-सांभर एक ऐसा भारतीय खाना है जिसे हम नाश्ते से लेकर दोपहर और यहां तक कि डिनर में भी खाना पसंद करते हैं। इडली के साथ सांभर और नारियल की चटनी किसे पसंद नहीं आती लेकिन क्या आप जानते हैं कि इडली भारत की देन नहीं है?

    By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Mon, 27 Feb 2023 11:04 AM (IST)
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    Origin Of Idli: दक्षिण भारत से नहीं आई है इडली !

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Origin Of Idli: गरमागरम सांभर और नारियल चटनी के साथ इडली को डुबोकर खाना किसी पसंद नहीं आता। इसकी खासियत यह है कि इसे सुबह के नाश्ते से लेकर दोपहर और रात के खाने में खाया जा सकता है। पोषण से भरपूर इडली पेट तो भर देती है, साथ ही शरीर के लिए इसे पचाना भी मुश्किल नहीं होता। इडली को भाप से पकाया जाता है, जिसका स्वाद सांभर और नारियल की चटनी के साथ और भी बढ़ जाता है।

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    लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इडली-सांभर कब और कैसे ईजाद हुआ? आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन देशभर का यह पॉपुलर मील, असल में भारत की देन नहीं है! तो आइए जानें

    कि आखिर इडली भारत कैसे पहुंची और दक्षिण भारत का अहम भोजन कैसे बन गई।

    कहां से आई इडली

    कर्नाटक के भोजन के मशहूर इतिहासकार, के.टी अचार्य के मुताबिक, इडली का जन्म 7वीं से 12वीं शताब्दी में इंडोनेशिया में देखा जा सकता है, जहां इसे 'केडली' या 'केदारी' के नाम से जाना जाता था। 7वीं से 12वीं शताब्दी तक, कई हिंदू राजाओं ने इंडोनेशिया पर राज किया और वे जब अपने रिश्तेदारों से मिलने या अपने लिए दुल्हन ढूंढ़ने भारत आया करते थे, तो वे अपने साथ शाही खानसामों को भी साथ लाते थे।

    इस तरह इंडोनेशिया की केडली की रेसेपी भारत पहुंची और यहां इडली के नाम से मशहूर हुई। इडली के जन्म से जुड़ी एक और कहानी है, जिसमें इसका रिश्ता अरब से भी देखा गया है।

    'इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फूड हिस्ट्री' और दूसरी किताब 'सीड टू सिविलाइजेशन- द स्टोरी ऑफ फूड' में बताया गया है कि भारत में बसे अरब लोग सख्ती से केवल हलाल खाद्य पदार्थों का ही सेवन करते थे और चावल के गोले उनके पसंदीदा विकल्प थे। चावल के गोल टिकिया का आकार थोड़ा फ्लैट भी होता था और अरब इसे नारियल की चटनी के साथ खाया करते थे।

    भारतीय इडली

    इडली को भारतीय व्यंजन बनने में ज्यादा समय नहीं लगा। यहां तक कि इसे सदियों से भारतीय खाने का हिस्सा माना गया। इडली का उल्लेख विभिन्न प्राचीन भारतीय ग्रंथों में किया गया है, जिसमें 7वीं शताब्दी का कन्नड़ कार्य "वद्दाराधने" भी शामिल है, जिसमें "इडलीगे" को कैसे बनाया जाता है, इसका वर्णन है। इस व्यंजन का उल्लेख 10वीं शताब्दी के तमिल पाठ "पेरिया पुराणम" में भी किया गया है, जो शैव संतों के एक समूह, 63 नयनारों की जीवन कहानी का वर्णन करता है।

    यह भी कहा जाता है कि जब 10वीं शताब्दी ईस्वी में गजनी मोहम्मद ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, तो उसके बाद सौराष्ट्र के व्यापारी दक्षिण भारत चले गए, वहीं इडली की रेसिपी का जन्म हुआ और इसका नाम भी रखा गया।

    अब इडली आई कहीं से भी हो, लेकिन यह सालों से भारत के सबसे ज़्यादा पॉपुलर डिशेज़ में से एक है। यह एक ऐसी डिश, जिसे खाकर हमारा पेट और दिल दोनों खुश हो जाते हैं।

    Picture Courtesy: Freepik