DIWALI : जब गांव में आईं लक्ष्मी...
लड़कियों ने फूलों और पत्तियों से घरों को सजाना शुरू कर दिया। महिलाएं घरों के बाहर दीये सजाने लगीं। देखते ही देखते पूरा गांव जगमग हो उठा। लोग बहुत खुश थे बच्चों की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं रहा।
गढ़ी गांव से एक महात्मा गुजर रहे थे। दोपहर का समय था, उन्हें बहुत प्यास लगी थी। उन्होंने सोचा कि गांव में किसी से पानी मांगते हैं। गांव में घुसते ही उनका सामना बिखरे हुए कूड़े-कचरे से हुआ। सड़कें पूरी तरह सूनसान और लोग अपने-अपने घरों के अंदर, वे सोचने लगे- कैसा गांव है यह!
दूर-दूर तक सड़क पर कोई टहलता-घूमता भी नजर नहीं आ रहा था।
उन्होंने एक बड़ा सा झाड़ू उठाया,
और जुट गए सड़कों व गलियों की सफाई में।
सफाई करते-करते शाम हो गई।
अब लोग अलसाए हुए घरों से बाहर निकलने लगे। बाहर वे देख रहे हैं कि आज तो सड़कें बिल्कुल साफ हैं।
महात्मा जी पानी मांगने के लिए एक घर की तरफ बढ़े ही थे कि उधर से गांव का मुखिया आ धमका।
अनजान आदमी को देखते ही वह चिल्लाया, तुम कौन हो, यहां क्या कर रहे हो?
महात्मा बोले, भाई आज नाराज नहीं होना है. तुम्हारे गांव में लक्ष्मी जी आ रही हैं। मुखिया बोला- लक्ष्मी जी? वो क्यों आएंगी मेरे गांव में।
यहां तो कोई भी बाहरी नहीं आता। अधिकारी, पुलिस, पोस्टमैन तक नहीं आते, तो वे क्यों आएंगी?
महात्मा बोले- लक्ष्मी जी आज आपके गांव में आ रही हैं।
ग्रामीण आपस में फुसफुसाने लगे- लगता है कि कोई बड़े महात्मा हैं।
वे मुखिया को भी समझाने लगे कि भाई, इन्हें नाराज करना ठीक नहीं होगा।
महात्मा ग्रामीणों से कहने लगे- गांव में अगर गंदगी रहेगी, तो क्या लक्ष्मी जी इसे पसंद करेंगी?
वे लोगों से बात कर ही रहे थे कि एक बुजुर्ग महिला उठी और अपने घर के आगे सफाई शुरू कर दी। उन्हें देखकर और लोग भी सफाई में जुए गए। कुछ लोगों ने तो सड़कों पर पानी का छिड़काव भी शुरू कर दिया।
इधर, महात्मा जी एक घर के सामने बैठकर बच्चों से बात कर रहे थे। कुछ बच्चे भागकर रंगोली पाउडर ले आए। लड़कियों ने फूलों और पत्तियों से घरों को सजाना शुरू कर दिया। महिलाएं घरों के बाहर दीये सजाने लगीं। देखते ही देखते पूरा गांव जगमग हो उठा। लोग बहुत खुश थे, बच्चों की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं रहा।
बच्चे महात्मा जी के साथ ऐसे घुल मिल गए कि जैसे उनका वर्षों पुराना परिचय हो।
लेकिन, मुखिया को अभी चैन कहां था।
वह महात्मा से बोला- कहां हैं तुम्हारी लक्ष्मी देवी, अभी तक क्यों नहीं आईं?
महात्मा बोले- आंखें खोलिए, वे आ गईं हैं।
वह इधर-उधर देखना लगा...
हर तरफ बच्चे उछल रहे थे, चारों तरफ से बच्चों के हंसने-खेलने की आवाजें आ रही थीं।
वह देखा, गांव में सजाए गए दीयों से निकलती रौशनी से पूरा माहौल खुशनुमा हो गया है।
मुखिया बिल्कुल भी शांत था और लोगों के देखे जा रहे था।
महात्मा जी मुस्करा बोले- भाई, यही हैं लक्ष्मी देवी।
यह कहते हुए वे गांव से बाहर निकल गए।
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-ब्रह्मानंद मिश्र
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