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    National Best Friend Day: जब एक दुकानदार ने सिखाया राजा को दोस्ती का मतलब, पढ़ें मित्रता को दर्शाती ये कहानी

    By Priyanka SinghEdited By: Priyanka Singh
    Updated: Thu, 08 Jun 2023 03:15 PM (IST)

    National Best Friend Day जून माह की 8 तारीख को नेशनल बेस्ट फ्रेंड डे मनाया जाता है। दोस्ती का रिश्ता बहुत ही खास होता है लेकिन उससे पहले दोस्ती की सही परिभाषा क्या है ये जानना ज्यादा जरूरी है।

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    National Best Friend Day: मित्रता की सच्ची परिभाषा

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। National Best Friend Day: कहते हैं हम खून के रिश्तों के साथ पैदा होते हैं और जन्म के साथ ही हमारे रिश्तेदार बन जाते हैं, लेकिन अपने मित्र हम खुद चुनते हैं और यही चुनाव हमें गम या खुशी में एक ऐसा कंधा देता है जो हमारे दिल के करीब होता है। जिगरी दोस्त ही हमारा सच्चा राजदार होता है और भले ही हम अपने मां-बाप-भाई-बहन से कुछ छिपा लें, लेकिन मित्र बिना कहे भी हर बात जान लेता है। आज ऐसे ही जिगरी दोस्त को याद करने वाला नेशनल बेस्ट फ्रेंड डे मनाया जा रहा है और ऐसे में मित्रता की सही परिभाषा क्या है ये जानना सबसे जरूरी है।  

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    माइक्रोब्लॉगिंग साइट, कू ऐप पर राजस्थान टूरिज्म ने नेशनल बेस्ट फ्रेंड डे के मौके पर बहुत ही खूबसूरत पोस्ट शेयर की है। डिपार्टमेंट ने अपनी इस पोस्ट के साथ कई तस्वीरें भी शेयर की हैं, जो किसी का भी मन मोह सकती हैं। राजस्थान टूरिज्म ने इस पोस्ट में कुल आठ तस्वीरें शेयर की हैं, जिसमें सबसे पहली बाघों की है और इसमें एक बाघ-दूसरे बाघ से मस्ती करते हुए अपना कंधा लगाते हुए आ रहा है। इस तस्वीर को देखकर लगता है कि जैसे वो अपने रूठे दोस्त को मना रहा हो।

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    National Best Friend Day is a reminder to celebrate the joy of friendship. Tag your best friend and let them know they're the epitome of an amazing friend. #NationalBestFriendDay #Wildlife #WildlifePhotography #Friends #RajasthanTourism #Rajasthan

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    - Rajasthan Tourism (@my_rajasthan) 8 June 2023

    जबकि दूसरी तस्वीर में भी दो तेंदुए काफी दोस्ताना माहौल में बैठे नजर आ रहे हैं। तीसरी फोटो रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान की है, जहां एक भालू पेड़ पर चढ़ रहा है और दूसरा जीभ निकालकर उसे देख रहा है। चौथी तस्वीर कैमरे की ओर देखकर पोज देते दो काले हिरणों की है। पांचवीं में दो नीलगाय दोस्ती की मिसाल देती नजर आ रही हैं। छठी तस्वीर घाना राष्ट्रीय उद्यान के दो सारस की है। सातवीं में दो मोर एक साथ कुछ देखते नजर दिखाई दे रहे हैं और आठवीं फोटो फिर जबर्दस्त है, जिसमें एक पेड़ की मोटी डाल पर बैठे दो लंगूर बंदर बेहद गंभीर मुद्रा में कुछ चर्चा करते नजर आ रहे हैं।

    मित्रता किसे कहते हैं, सवाल के जवाब की बात करें तो कू ऐप पर मशहूर कथा वाचक और आध्यात्मिक गुरु श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज अपने एक वीडियो में कहते हैं, 'एक राजा थे। वो धर्म श्रेष्ठ राजा थे। बहुत ही अच्छा व्यवहार था। उन राजा का विवाह एक पड़ोसी राज की पुत्री से हो गया। वह बड़े व्यवहार कुशल थे। सात दिन बाद वह अपनी पत्नी को महल में लेकर आए और रानी से पूछा कि बताओ आपको हमारा राज्य कैसा लगा। रानी ने जवाब दिया- आपके राज्य में मित्रता का कोई मोल नहीं है, अपितु हमारे राज्य में प्राणों की बाजी लगाकर भी मित्रता निभाई जाती है। रानी की बातों से प्रभावित होकर वह राजा, इसकी सच्चाई जानने के लिए अपने पड़ोसी राज्य में भेष बदलकर कुछ लोगों को साथ लेकर गुप्त यात्रा में गया और वहां एक सराय में रुका और दो कमरे लिए। एक कमरे में खुद रुका और दूसरे में अपने लोगों को रखा। रात बीतने के बाद सुबह वह राज्य में भ्रमण करने के लिए निकला।

    राजा कुछ राशन खरीदने सराय के पास की एक दुकान गया और बोला- मित्र मुझे थोड़ा राशन चाहिए। दुकानदार ने हर सामान की पोटली बनाकर दी और कहा ले जाओ। राजा ने उससे पूछा कि कितना धन हुआ मित्र। दुकानदार बोला- जब आपने मित्र कह ही दिया है, तब तो कुछ भी नहीं हुआ। इसलिए सारा समान ले जाइए। राजा ने काफी कहा, दबाव डाला, तब भी वह दुकानदार नहीं माना और कुछ भी धन नहीं लिया। मजबूरन राजा वहां से चला गया और कुछ दूर उसे एक उद्यान मिला। उद्यान के बाहर कई भाषाओं में लिखा हुआ था- जो भी व्यक्ति इस उद्यान का एक भी पुष्प तोड़ेगा, उसे एक हजार जुर्माना देना पड़ेगा। उस राजा ने उद्यान में जाकर एक फूल तोड़ा और तुरंत सैनिकों ने उसे पकड़ लिया और पूछा कि ऐसा क्यों किया। तुम्हें पता है कि एक हजार जुर्माना देना पड़ेगा, राजा बोला- मुझे नहीं पता।'

    इसके बाद वह कहते हैं, “सैनिकों ने पूछा कि यहां कोई तुम्हारा जानकार है। राजा ने कहा कि हां एक है और वह दुकानदार है। सैनिक दुकानदार को लेकर आए और पूरी कहानी पता चलने पर दुकानदार ने हजार दे दिए। राजा ने दूसरे दिन दो फूल तोड़े, तीसरे दिन तीन फूल तोड़े और दुकानदार ने उसे बचाने के लिए सब कुछ बेचकर उसे बचाया। चौथे दिन राजा ने चार फूल तोड़े और दुकानदार ने अपने बेटे को गिरवी रखकर राजा को छुड़वाया। पांचवें दिन राजा ने पांच फूल तोड़े और राजा के मित्र दुकानदार को फिर बुलाया गया, तो उसने अपनी पत्नी को गिरवी रखा और पांच हजार लेकर राजा का दंड भरा और यह सब उसके लिए किया, जिसने केवल एक बार उसे मित्र कह दिया था। राजा को छुड़ाकर लाते वक्त राजा ने दुकानदार के हाथ देखे, जिसमें एक पुड़िया थी। राजा ने पूछा कि यह किस चीज की पुड़िया है, दुकानदार बोला कि यह जहर की है। राजा ने पूछा क्यों- दुकानदार बोला कि मित्रता निभाते-निभाते मेरी दुकान, घर-बार, बेटा-पत्नी सब कुछ चला गया और अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा, जिससे तुम्हें अगली बार बचा सकूं। इसलिए रात्रि में इसे खाकर खत्म हो जाऊंगा। राजा ने पुड़िया छीनकर फेंक दी।'

    कहानी का अंतिम हिस्सा बताते हुए ठाकुर जी कहते हैं, “राजा बोला- कैसी कायरों वाली बात करते हो। चलो मेरे साथ। राजा उसे अपने साथ लेकर गया और 15 हजार सोने की अशर्फियां दीं और कहा कि इन्हें आपने मेरी मित्रता के नाम कुर्बान कर दिया था। मैं पड़ोसी राज्य का राजा हूं और आपके राज्य का दामाद। मैं तो अपनी पत्नी द्वारा इस राज्य की मित्रता की प्रशंसा सुनने के बाद इसे जांचने आया था और आज मुझे पता चल गया कि वाकई मित्रता क्या होती है। मित्रता यानी अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाला।”

    Pic credit- freepik