जानें, क्यों लोग रहते हैं हमेशा दुखी और क्या है खुश रहने के उपाय
हमारे दुखों का बड़ा कारण है स्वयं को नकार कर दूसरों में उलझे रहना। अक्सर देखा गया है कि जो हो गया उसे हम स्वीकार नहीं कर पाते। और जो नहीं मिला उसे छोड़ नहीं पाते। अधूरी इच्छाओं का दुख हमें उस सुख से भी दूर कर देता है।

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। जीवन को भरपूर जीना है तो सबसे पहले स्वयं के प्रति दृष्टिकोण सकारात्मक बनाना होगा। कभी-कभी व्यक्ति लक्ष्यविहीन हो जाता है। उसे कुछ सूझता ही नहीं है कि क्या करे और क्या नहीं। वह ऊहापोह की स्थिति में रहता है। ऐसी स्थिति जीवन की प्रसन्नता को निगल जाती है। आपके सकारात्मक सोच से जीवन में ऐसा परिवर्तन घटित होता है, जो आपके दामन में खुशियों के फूल बरसाता है तथा जीवन से कटुता को निकाल कर उसमें सुगंध भर देता है। चिंता से भागकर कभी नहीं बच सकते, परंतु यदि उसके प्रति स्वयं की मानसिकता को बदला जाए तो चिंता को दूर भगाया जा सकता है।
मानव दुखी क्यों है? साधारणत: देखा जाता है कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को प्रसन्न देखकर जल-भून जाता है। उसके मन में ईष्या और जलन की उत्पत्ति होने लगती है। वह सोचने लगता है कि यह व्यक्ति कितना प्रसन्न है और मैं कितना दुखी हूं। इस तरह की विचारधारा मन में कदापि न पलने दें।
दूसरे को खुश देखकर स्वयं भी खुश होने की कोशिश करें, दूसरे की खुशियों में सहभागी बनें। और खुशियों में ही क्यों, दूसरे के दुख में भी सहभागी बनें। जहां तक बन पड़े, दुखी व्यक्तियों की मदद करें। यह जरूरी नहीं है कि आप रुपये-पैसे से ही उनकी मदद कर सकते हैं। आप उनकी मदद अच्छी सलाह, मधुर वचन, कोई काम एवं सेवा करके भी कर सकते हैं। आप शीघ्र ही पाएंगे कि प्रसन्नता आपके पीछे पड़ी हुई है।
हमारे दुखों का बड़ा कारण है स्वयं को नकार कर दूसरों में उलझे रहना। अक्सर देखा गया है कि जो हो गया, उसे हम स्वीकार नहीं कर पाते। और जो नहीं मिला, उसे छोड़ नहीं पाते। अधूरी इच्छाओं का दुख हमें उस सुख से भी दूर कर देता है, जो हमारा हो सकता था। याद रखें कि खुशी का एक दरवाजा बंद होता है, तो दूसरा खुल जाता है। हम बंद दरवाजे को ही देखते रह जाते हैं। उसे नहीं देख पाते, जिसे हमारे लिए खोला गया था।
(ललित गर्ग)
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