एक जैसे होकर भी क्यों अलग हैं बाटी, लिट्टी और गक्कड़, जानें इन व्यंजनों से जुड़ी दिलचस्प बातें
भारत अपने खानपान के लिए दुनियाभर मशहूर है। यहां के हर व्यंजन का अलग स्वाद और अलग कहानी है। जिस तरह यहां कदम-कदम पर बोली बदलती है उसी तरह यहां जगह-जगह खाना भी बदल जाता है। एक जैसे होते हुए भी कई व्यंजन एक-दूसरे से काफी अलग होते हैं।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। भारत विविधता का देश है। यहां कई तरह की भाषाएं, संस्कृति और पहनावा प्रचलित है। एकता में अनेकता का संदेश देता यह देश अपने खानपान के लिए भी काफी मशहूर है। अलग-अलग राज्यों और प्रांतों में तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन लोगों को खूब पसंद आते हैं। यूं तो हर राज्य और जगह की अपनी अलग खासियत होती है। अलग बोली और रहन-सहन के अलावा हर जगह का अपना अलग खाना भी होता है। लेकिन अलग होने के बाद भी कुछ व्यंजनों में समानता दिखाई देती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में प्रचलित दाल-बाटी बिहार तक आते-आते लिट्टी चोखा में बदल जाती है। इसी तरह गक्कड़-भर्ता,दाल-पनिया जैसे व्यंजन भी एक जैसे होकर भी काफी अलग होते हैं। तो चलिए जानते हैं इन व्यंजनों के बारे में-
दाल-बाटी
मूलत: राजस्थान का पारंपरिक भोजन दाल-भाटी का इतिहास लगभग 1300 साल पुराना है। इस खास व्यंजन की शुरुआत आठवीं शताब्दी में हुई थी। मेवाड़ राजवंश की शुरुआत करने वाले बप्पा रावल के शासन काल के दौरान युद्ध क्षेत्र में इस व्यंजन की शुरुआत हुई थी। बाद में धीरे-धीरे यह व्यंजन मध्य प्रदेश के निमाड़ और मालवा क्षेत्र में भी काफी लोकप्रिय हो गया।
गक्कड़-भर्ता
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से ताल्लुक रखने वाला गक्कड़-भर्ता राज्य के महाकौशल में काफी प्रचलित है। गक्कड़ दिखने में बिल्कुल बाटी की ही तरह होता है। हालांकि, इसका आकार बाटी से थोड़ा छोटा होता है। इसके अलावा गेंहू के मोटे आटे से बनने वाले इस व्यंजन के साथ दाल की जगह भर्ता खाया जाता है, जो बैंगन, प्याज, टमाटर, अदरक, लहसुन और हरी मिर्च को मिलाकर बनाया जाता है।
लिट्टी-चोखा
बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखण्ड का पारम्परिक और बेहद लोकप्रिय व्यंजन लिट्टी-चोखा आज देशभर में काफी मशहूर हो चुका है। गक्कड़ या बाटी की ही तरह इसे भी गेंहू के आटे से सेंककर बनाया जाता है। हालांकि, इसमें सत्तू से बने मिश्रण की स्टफिंग की जाती है, जो इसे बाकी व्यंजनों से अलग बनाती है। वहीं, चोखा भर्ते से मिलता-जुलता होता है, जिसे बनाने के लिए बैंगन, आलू, टमाटर का इस्तेमाल किया जाता है।
दाल पानीये
दाल पानीये मध्य प्रदेश के अलीराजपुर क्षेत्र का एक पारंपरिक भोजन है। हालांकि, अब इस व्यंजन की लोकप्रियता पूरे प्रदेश में फैल चुकी है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पसंद किया जाने वाला दाल पानीये मध्य प्रदेश के अन्य जगहों में भी मशहूर हो चुका है। बाटी, गक्कड़ या लिट्टी के विपरीत पानीये को मक्के के आटे से बनाया जाता है। साथ ही इसे सेंकने से पहले उबाला जाता है। इसे बनाने के लिए झाबुआ-अलीराजपुर क्षेत्र में उगने वाले सफेद मक्का का इस्तेमाल किया जाता है।
दाल-बाफला
दाल-बाटी की ही तरह दाल- बाफला भी एक मशहूर व्यंजन है, जो दिखने में बिल्कुल बाटी की ही तरह लगता है। हालांकि, बाटी और बाफले में एक बेहद छोटा अंतर होता है। एक तरफ जहां बाटी को सीधे ओवन या कंडों पर सेंका जाता है, तो वहीं बाफले को सेंकने से पहले पानी में उबाला जाता है। इसके बाद इसे कंडो या ओवन में सेंकते हैं। बाफले को गेंहू या मक्के दोनों के आटे बनाया जा सकता है। बाफला, बाटी की तुलना में पचाने में ज्यादा आसान और नरम होता है।
Picture Courtesy: Freepik

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