पिता गुलशन कुमार की हत्या से डर गई थीं खुशाली कुमार की मां। फिल्मों में न आने की दी थी हिदायत
कई म्यूजिक वीडियो में नजर आ चुकीं खुशाली कुमार ‘धोखा राउंड द कार्नर’ फिल्म से अभिनय में कदम रख रही हैं। स्व. गुलशन कुमार की बेटी खुशाली के लिए बड़े पर्दे पर आना ही सबसे बड़ी चुनौती थी।

दीपेश पांडेय
हिंदी सिनेमा और संगीत की दुनिया में कैसेट किंग के नाम से प्रख्यात गुलशन कुमार की बेटी खुशाली कुमार फिल्म ‘धोखा: राउंड द कार्नर’ से बतौर अभिनेत्री अभिनय सफर की शुरुआत कर रही हैं। खुशाली के साथ आर. माधवन, अपारशक्ति खुराना और दर्शन कुमार अभिनीत यह फिल्म 23 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। अभिनय में आने से पहले खुशाली फैशन डिजाइनर रह चुकी हैं और उन्होंने कुछ म्यूजिक वीडियो में भी काम किया है।
फिल्म दिखाकर ली इजाजत
अभिनेत्री बनने और इस फिल्म को पाने के सफर को लेकर खुशाली बताती हैं, ‘यहां तक पहुंचना बहुत ही चुनौतीपूर्ण सफर रहा। मम्मी नहीं चाहती थीं कि मैं एक्टिंग में आऊं, लेकिन पापा का सपना था कि मैं एक्टर बनूं। पापा ही थे, जो मुझे हमेशा सपोर्ट करते थे, उनके गुजरने के बाद मम्मी बहुत डर गई थीं। वह नहीं चाहती थीं कि हम कुछ भी ऐसा करें, जो पर्दे पर सामने आए। पर्दे के पीछे हम कुछ भी कर लें, उससे उन्हें कोई समस्या नहीं थी। इसलिए वह मुझे और तुलसी (खुशाली की बहन) को दिल्ली लेकर गई थीं। जहां उन्होंने मुझे डिजाइनिंग के क्षेत्र में डाला। मैं डिजाइनिंग की क्लास बीच में छोड़कर एक्टिंग क्लास में जाती थी। मुझे मम्मी को मनाने में आर. माधवन सर की फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ से काफी मदद मिली, मैंने वह फिल्म मां को दिखाई। उन्हें मनाने में काफी समय लगा। उनके मानने के बाद भी मेरे लिए आगे बढ़ना आसान नहीं था। अच्छी पटकथा मिलना सबसे बड़ी चुनौती थी। मैं कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा से मिली। इस फिल्म की पटकथा के लिए निर्माता-निर्देशक एक नए चेहरे की तलाश में थे। मुकेश जी ने इसके लिए मेरा आडिशन कराया और बताया कि यह फिल्म टी सीरीज के साथ बन रही है। किसी तरह भैया (भूषण कुमार) तक भी यह बात पहुंच गई कि मैं फिल्म कर रही हूं। उन्होंने कहा कि अगर निर्देशक को आपका काम पसंद आता है और फिल्म के बाकी के कलाकार चाहते हैं कि आप यह फिल्म कर सकती हैं, तो यह फिल्म कर लो। फिल्म के निर्देशक कुकी गुलाटी को मेरे अंदर सांची (फिल्म का किरदार) दिखी और वहीं से इस फिल्म के साथ मेरा सफर शुरू हुआ।’
जी-जान से की तैयारी
इस किरदार की तैयारियों के बारे में खुशाली आगे बताती हैं, ‘सांची का किरदार इतना आसान भी नहीं है। उसको और उसके व्यवहार को समझना जटिल है। उसके व्यक्तित्व के कई पहलू हैं। मुझे पता था कि यह मौका मुझे बहुत मुश्किल से मिला है। इसलिए मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की। मैंने बहुत चीजें पढ़ी और ऐसी कई लड़कियों से भी मिली, जिन्हें स्प्लिट पर्सनालिटी डिसआर्डर की समस्या थी। यह एक ऐसी मानसिक समस्या है, जिसमें एक ही व्यक्ति दो या उससे भी ज्यादा अलग-अलग व्यक्तित्व होने की स्थिति महसूस कर सकता है। जिस दिन मैं सेट पर पहुंची, मैं पूरी तरह सांची बन चुकी थी। हम सभी के अलग-अलग तरह के मूड होते हैं, लेकिन जब वह नियंत्रण के बाहर हो जाते हैं तो वह बीमारी बन जाती है।’
क्षमा करो और आगे बढ़ो
निजी जिंदगी में धोखे से उबरने पर खुशाली कहती हैं, ‘सबसे बेहतर तरीका यही है कि भूल जाओ, क्षमा कर दो और आगे बढ़ो। इससे आपको मानसिक शांति मिलती है।’ भविष्य की योजनाओं और महत्वाकांक्षाओं पर खुशाली कहती हैं, ‘मैं चाहती हूं कि मुझे इसी तरह के अच्छे रोल मिलते रहें। अगर भविष्य में मौका मिलता है तो मैं श्रीराम राघवन और आर. माधवन सर के निर्देशन में काम करना चाहूंगी। माधवन सर ने फिल्म ‘राकेट्री : द नंबि इफेक्ट’ में कमाल का निर्देशन किया है।’
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