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    Golgappe: जापान के पीएम को खूब भाया गोलगप्पे का स्वाद, जानें इस पॉपुलर स्ट्रीट फूड का दिलचस्प इतिहास

    By Harshita SaxenaEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Thu, 23 Mar 2023 01:33 PM (IST)

    हाल ही में भारत दौरे पर आए जापान के पीएम फुमियो किशिदा यहां गोलगप्पे खाते नजर आए। गोलगप्पा एक ऐसा भारतीय व्यंजन है जिसे पूरे देश में बड़े चाव से खाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गोलगप्पे की शुरुआत कैसे हुई अगर नहीं तो चलिए जानते हैं।

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    जापानी पीएम ने खाया गोलगप्पा, जानें क्या है इस व्यंजन का इतिहास

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Golgappa History: भारत दुनियाभर में न सिर्फ अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए मशहूर है, बल्कि यहां का खाना भी पूरी दुनिया को आकर्षित करता है। हाल ही में भारत दौरे पर आए जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भारत के व्यंजनों का लुत्फ उठाते नजर आए। इस दौरान उन्होंने यहां के मशहूर व्यंजन गोलगप्पे का भी स्वाद चखा। गोलगप्पा भारत का एक ऐसा स्ट्रीट फूड है, जिसे पूरे देश में बड़े चाव से खाया जाता है।

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    अलग-अलग नामों से मशहूर यह व्यंजन लगभग हर भारतीय को पसंद है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन गोलगप्पों को आप चटकारे लेकर खाते हैं, उसकी उत्पत्ति आखिर कैसे हुई। अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे गोलगप्पे के दिलचस्प इतिहास के बारे में, जिसके तार महाभारत और मगध से जुड़े हुए हैं।

    द्रौपदी ने सबसे पहले बनाए थे गोलगप्पे

    गोलगप्पे की उत्पत्ति को लेकर एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। कहा जाता है कि गोलगप्पे की शुरुआत महाभारत के दौर में हुई थी। दरअसल, जब पांडवों से शादी के बाद जब द्रौपदी घर आईं, तो उन्हें उनकी सास कुंती ने परीक्षा लेने के लिए उन्हें एक काम सौंपा। उस दौरान पांडव वनवास में थे, ऐसे में वह भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करते हैं। साथ ही खाने के लिए उनके पास संसाधन भी काफी सीमित होते थे। कुंती ने द्रौपदी को परखने के मकसद से कुछ सब्जियां और थोड़ा सा आटा देते हुए कहा कि वह इससे कुछ ऐसा बनाएं, जिससे पांडवों का पेट भर जाए।

    इस बारे में कुछ देर तक सोच-विचार करने के बाद द्रौपदी को एक तरकीब सूझी और उन्होंने गोलगप्पे बनाने का फैसला किया। बस फिर क्या था द्रौपदी ने थोड़े से आटे और सब्जियों की मदद से गोलगप्पे बनाकर पांडवों को खिलाया, जिससे उनका पेट आसानी से भर गया। साथ ही वह कुंती की इस परीक्षा में भी सफल हो गईं।

    मगध से भी जुड़े हैं गोलगप्पे के तार

    पौराणिक कथा के बाद अब बात करते हैं गोलगप्पे की एतिहासिक कहानी के बारे में। गोलगप्पों को लेकर यह भी कहा जाता है कि इसकी शुरुआत मगध में हुई थी। हालांकि, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि इसे पहली बार किसने बनाया था। लेकिन इस बात में सच्चाई भी हो सकती हैं, क्योंकि गोलगप्पे में इस्तेमाल होने वाली मिर्च और आलू दोनों ही 300 से 400 साल पहले मगध काल में भारत आए थे। खैर इसकी शुरुआत जैसे भी हुई हो, लेकिन आज इसका स्वाद भारत के लगभर हर शहर में चखने को मिलता है। हालांकि, जगह बदलने के साथ ही इसे बनाने का तरीका और इसका नाम भी बदल जाता है।

    गोलगप्पा एक, नाम अनेक

    गोलगप्पा भारत में प्रचलित एक बेहद लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है। हालांकि, अलग-अलग राज्यों में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। साथ ही इसे बनाने का तरीका और इसका स्वाद भी जगह के मुताबिक बदल जाता है। हरियाणा में जहां इसे 'पानी पताशी' के नाम से जानते हैं, तो वहीं मध्य प्रदेश में इसे 'पानी पूरी' या 'फुल्की' कहा जाता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 'पानी के बताशे' या 'पड़के', असम में 'फुस्का' या 'पुस्का', ओडिशा में 'गुप-चुप' और बिहार, नेपाल, झारखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में 'पुचका' नाम से जाना जाता है।

    Picture Courtesy: Freepik