International Yoga Day 2022: अद्वितीय वैश्विक उत्सव, योग सूर्य को अखिल विश्व का नमस्कार
International Yoga Day 2022आज विश्व का कोई भी देश ऐसा नहीं है जहां योग सूर्य की रश्मियां न पहुंच रही हों। अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता की वजह से योग आज अनेक देसी-विदेशी प्रशिक्षकों के लिए स्वावलंबन का विराट आधार बन चुका है

योग की अतुलनीय विवेचना के साथ स्वामी विवेकानंद ने विश्व पटल पर भारत के जिस स्वाभिमान को जागृत किया था, वह आज सूर्य की भांति दैदीप्यमान है। यह भी योग का ही संयोग है कि अनुशीलन समिति के रूप में 20वीं शताब्दी में भारत के स्वातंत्र्य यज्ञ की विशाल वेदी एक योगी ने ही तैयार की, जिन्हें कालांतर में श्री अरविंद के नाम से जाना गया। उस कालखंड में कोलकाता से लेकर कानपुर तक स्वाधीनता सेनानियों के लिए योगशालाएं और अखाड़े शारीरिक बल तथा भावनात्मक संबल का केंद्र थे। इसका अतीत जितना गौरवशाली है, वर्तमान उतना ही वैश्विक विस्तार वाला।आयुर्वेद के साथ इसकी उपादेयता बढ़ जाने की वजह से उभरी है एक हरित तथा प्रकृतिमित्र अर्थव्यवस्था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ( 21 जून) अद्वितीय वैश्विक उत्सव है भारत की इस विरासत का, डा. प्रणव पण्ड्या का विश्लेषण...
योग, भारतीय प्राच्य विद्या एवं प्राचीन भारतीय संस्कृति का हिस्सा ही नहीं, बल्कि भारतीय सनातन संस्कृति में रचा-बसा व गुंथा हुआ है और हमारी जीवनशैली का अनिवार्य हिस्सा है। प्राच्य विद्या एवं भारतीय संस्कृति का उल्लेख योग के बिना पूरा नहीं हो सकता। कई ऋषि-मुनियों के लिए साधना के उच्चतम शिखर तक पहुंचने का मार्ग योग ही रहा है। योग तन और मन को इतना सुदृढ़ और परिपक्व बना देता है कि व्यक्ति मानव से महामानव बनता है। भारतीय प्राच्य संस्कृति में शारीरिक एवं मानसिक रूप से खुद को सुदृढ़ और बलिष्ठ बनाने के लिए योग एकमात्र उपाय के तौर पर इस्तेमाल होता था और अब भी हो रहा है। मनवांछित इच्छित मार्ग पर अग्रसर होने का एकमात्र साधन योग ही है। श्रीमद्भगवद्गीता (6/46) में योगेश्वर श्रीकृष्ण कहते हैं-
तपस्विभ्यो धिको योगी ज्ञानिभ्यो पिमतो धिक:।
कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवार्जुन:॥
अर्थात्- ‘योगी तपस्वियों से श्रेष्ठ है, शास्त्र ज्ञानियों से भी श्रेष्ठ माना गया है और सकाम कर्म करने वालों से भी योगी श्रेष्ठ है। इसलिए हे अर्जुन, तुम योगी ही बनो।’ यहां कहने का तात्पर्य इतना भर है कि योग साधना एवं विद्या से अपने आपको इतना निष्णात बना लो कि भविष्य में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान सहजता से निकाल सको।
प्राच्य आर्षग्रंथों में योग
योग एक पूर्ण शास्त्र है, जो किसी जाति विशेष की धरोहर न होकर, विश्वमानव की विरासत है। श्रीमद्भगवद्गीता में समत्व और कर्म में कुशलता को योग कहा गया है। महर्षि पतंजलि के अनुसार चित्त वृत्तियों का निरोध ही योग है। ‘योग वासिष्ठ’ में योग शब्द का अर्थ- संसार सागर से पार होने की युक्ति है। युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य योग को जीवन साधना के रूप में स्वीकार करते हैं। जीवन साधना अर्थात् योग पहले से हठयोग, राजयोग आदि प्रणालियों से भिन्न तो जरूर है, लेकिन इसकी समग्रता में इन सभी के सार तत्वों का समावेश है।
एते गुणा: प्रवर्तन्ते योगाभ्यासकृतश्रमै:।
तस्माद्योगं समादाय सर्वदु:खबहिष्कृर्त:।
अर्थात्- ‘योगाभ्यास में जो श्रम किया जाता है, वह निरर्थक नहीं जाता। प्रयत्नपूर्वक की हुई साधना समस्त दु:ख शोकों का निवारण कर देती है।’
योगेन रक्षते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते।
अर्थात्- ‘ योग से धर्म और विद्या दोनों की रक्षा होती है।’ तन और मन की अस्वस्थता के कारण मनुष्य इच्छित मनोकामना पूर्ण नहीं कर पाते। भारतीय योग, ध्यान साधना की विविध उपचार पद्धतियां इसी प्रयोजन के लिए हैं, ताकि मन की वृत्तियां परिमार्जित-परिष्कृत हो जाएं और तन स्वस्थ रहकर इच्छित कार्य को पूर्णता तक पहुंचा सके।
हर नजर भारत की ओर
भारतीय संस्कृति योग और प्राच्य विद्या के उत्पादन, उत्थान और परीक्षण प्रयोग का क्षेत्र रही है। इसलिए जब योग, प्राच्य विद्या की बात सोची जाती है, तो उसे समझने के लिए भारत की ओर सहज ही सबका ध्यान चला जाता है। तब और भी अधिक प्रसन्नता होती है, जब विदेश में कोई भारतीय योग प्रचारक योगी के रूप में पहुंचता है। वे घर आए उस योगी से बहुत कुछ जानने, सीखने और पाने की आशा करते हैं। जबसे भारत सरकार की पहल पर विश्व समुदाय से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता मिली है, तब से लेकर अब तक भारतीय योग को देश-विदेश में इतनी सफलता मिली, जिसकी कल्पना किसी को नहीं थी।
मुमकिन है हर जीत
जब दुनिया वैश्विक महामारी कोविड-19 की चपेट में थी, तब दुनियाभर ने माना कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए दिनचर्या में योग को शामिल किया जाए। एक अध्ययन से पता चला कि जिन्होंने भी उस समय भारतीय योग को अपनी दैनिक जीवनचर्या का अंग बनाया, वे कोरोना संक्रमण को मात देकर सकुशल परिवार के पास लौटे। योग व्यायाम पद्धति पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि शरीर पर अधिक दबाव डालने वाले या बहुत अधिक थका देने वाले भारी योग पहलवानों के लिए उपयुक्त हैं, पर जो साधारण व्यक्ति अपना व्यापार, नौकरी या अन्य कार्य करते हुए स्वास्थ्य रक्षा की दृष्टि से चौथाई या आधा घंटा ही इस कार्य में लगा सकने की स्थिति में है, उनके लिए सर्वथा हल्के योग व्यायाम की आवश्यकता होती है। इस आधार पर शरीर तत्व विशारदों ने सामान्य योग, आसन, प्राणायाम, व्यायाम को उपयोगी बताया है। यद्यपि प्राचीनकाल में इनका आविष्कार आत्मिक उन्नति के लिए शरीर को स्वस्थ और निरोग बनाए रखने की दृष्टि से ही किया गया था।
सौ से अधिक शोधों में हुआ साबित
हरिद्वार के उत्तरी क्षेत्र में विद्या के आलोक केंद्र के रूप में स्थापित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में योग को लेकर 100 से अधिक शोध हो चुके हैं। इसमें योग पर विशेष अध्ययन किए गए। शोधार्थियों ने योग को एक चिकित्सा पद्धति के रूप में रखकर लंबे समय तक अध्ययन किया और पाया कि तन और मन को स्वस्थ रखने में योग का महत्वपूर्ण स्थान है और कई रोगियों को योगाभ्यास से ठीक करने में सफलता भी मिली है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में योग पर सबसे अधिक पीएचडी हुई हैं। योग केवल तन और मन को ही पुष्ट नहीं करता वरन् आजीविका के साधन के साथ भौतिक सुरक्षा भी देता है। इन दिनों खासकर युवा वर्ग योग को आजीविका के रूप में अपनाने लगे हैं। देशभर में कई हजार युवा इसे आजीविका के रूप में स्वीकार कर चुके हैं। आज वैश्विक स्तर पर भारतीय योग का व्यापार खरबों रुपए के साथ स्थापित है।
विदेश तक योग का वैभव
इन दिनों भारतीयों द्वारा चलाए जाने वाले योग शिक्षा केंद्रों की संख्या लाखों तक पहुंच गई है। वे विभिन्न देशों में काम कर रहे हैं। अमेरिका में गायत्री परिवार के अलावा स्वामी योगानंद का सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप काम कर रहा है। यहां उच्च वर्ग के अलावा उद्योगपतियों, अभिनेताओं ने जबसे योग साधना में दिलचस्पी लेनी शुरू की है, तबसे इस मिशन के प्रति जनता में और उत्साह बढ़ा है। इसी तरह महर्षि महेश योगी का ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन, दक्षिण भारत के स्वामी सच्चिदानंद ने न्यू यार्क के योग शिक्षा सेंटर, संत प्रभुपाद जी के इंटरनेशनल सोसाइटी फार कृष्ण कांससनेस योग साधना के शिविर चलाए जा रहे हैं। इसी तरह अखिल विश्व गायत्री परिवार के उच्च प्रशिक्षित योगाचार्य की टीम भारत सहित अमेरिका, कनाडा, रूस, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, लिथुआनिया सहित दो दर्जन देशों में लोगों को
योगाभ्यास का प्रशिक्षण देती है।
(लेखक देवसंस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलाधिपति व अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख हैं )
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