International Women's Day 2021: महान पुरुष जिन्होंने महिलाओं के सम्मान और अधिकार के लिए लड़ी समाज से लड़ाई
International Womens Day 2021 महिलाओं के अधिकारों जरूरतों के लिए आवाज उठाने में पुरुष वर्ग भी पीछे नहीं रहा। बल्कि कुछ रूढ़िवादी प्रथाओं का अंत ही पुरुषों के द्वारा हुआ। तो आज हम ऐसे ही महान पुरुषों के बारे में जानेंगे।
असली मर्द वही है, जो महिलाओं की रक्षा करे और उनके अधिकारों के लिए भी लड़े। आज इंटरनेशनल वूमेंस डे है। इस खास दिन अक्सर उन महिलाओं का जिक्र होता है, जिन्होंने अपने दम पर समाज में अहम मुकाम हासिल किया हो। मगर, इस बार हम बात करेंगे उन पुरुषों की,जिन्होंने महिलाओं के लिए लड़ाई लड़ी। महिला अधिकारों से लेकर जरूरी बुनियादी सुविधाओं का इतंजाम करवाने के लिए न सिर्फ प्रयास किए, बल्कि उन्हें हकीकत का अमली जामा भी पहनाया। ऐतिहासिक हस्तियों से शुरू हुआ ये सिलसिला वर्तमान में भी बदस्तूर जारी है।
1. राजा राम मोहन राय (1774-1833)
- सती, भारत की सबसे घृणित प्रथाओं में से एक थी जिसमें एक विधवा को अपने मृत पति के अंतिम संस्कार की चिता में खुद को बलिदान करने के लिए मजबूर किया जाता था।
- इस बर्बर प्रथा के खिलाफ उठने वाली आवाजों में प्रमुख राजा राम मोहन राय थे। जिन्होंने इस व्यवस्था को खत्म करने की लड़ाई लड़ी।
- राममोहन राय ने ब्राम्ही समाज का निर्माण किया। जिसने जाति व्यवस्था की बेड़ियों को तोड़ने की कोशिश की और सती के खिलाफ लड़ाई ने कई महिलाओं की जान बचाई।
- उन्होंने महिलाओं के लिए संपत्ति के अधिकारों की भी वकालत की और बाल विवाह के खिलाफ भी आवाज बुलंद की।
2. मनोकजी कोवासजी (1808-1887)
- रॉयल एशियाटिक सोसाइटी और रॉयल जियोग्राफिकल सोसायटी के सदस्य के रूप में कोवासजी ने पाया कि महिलाओं के साथ सालों से शैक्षिक और व्यावसायिक क्षेत्र में भेदभाव होता रहा है।
- 1859 में उन्होंने मुंबई में महिलाओं के लिए पहला अंग्रेजी स्कूल शुरू किया। इस स्कूल में उनकी घर की गवर्नेस और बेटियों ने पढ़ना पढ़ाना शुरू किया।
- इस स्कूल का नाम एलेक्जेंड्रा नेटिव गर्ल्स इंग्लिश रखा गया। स्कूल सभी जातियों की लड़कियों के लिए था।
- 1887 में उनकी मृत्यु तक कोवासजी स्कूल के अध्यक्ष बने रहे। बाद में इस स्कूल के नाम से नेटिव शब्द को हटा लिया गया।
- 2013 में इस स्कूल ने अपनी 150वीं वर्षगांठ मनाई थी।
3. ज्योतिराव गोविंदराव फुले (1827-1890)
- ज्योतिराव गोविंदराव फुले एक भारतीय समाजसेवी और सुधारक थे। उन्होंने समाज में महिलाओं के जीवन में व्यापक बदलाव लाया।
- उनके समय में निचली जातियों की महिलाओं को स्कूल जाने और शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी।
- उन्होंने इसे बदलने की कसम खाई और इसकी शुरुआत अपनी पत्नी को शिक्षित करके किया।
- एक साथ उन्होंने अपने परिवार के विरोध के बावजूद लड़कियों के लिए अपना पहला स्कूल शुरू किया।
- उन्होंने विधवा पुनर्विवाह की वकालत की और साथ ही कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं को कम करने के लिए एक अनाथालय शुरू किया।
4. डॉ. भीमराव अंबेडकर (1891-1956)
- डॉ. बीआर अंबेडकर, भारतीय संविधान के वास्तुकार दलितों के अधिकारों और समाज में उनके उत्थान के लिए प्रसिद्ध है।
- इसके अलावा वह हिंदू कोड बिल की शुरूआत के लिए जिम्मेदार थे।
- इस बिल में महिलाओं को तलाक की याचिका दायक करने का अधिकार दिया और साथ ही विरासत का अधिकार भी दिया।
- संसद की रूढिवादी सदस्यों द्वारा मजबूत विरोध के बावजूद उन्होंने समाज में पुरुषों और महिलाओं के व्यक्तिगत और समान अधिकारों की स्वतंत्रता को व्यापक बनाने की अनुमति देने की वकालत की।
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