International Day of Sign Languages 2020: जानें-कब और कैसे हुई इसकी शुरुआत और क्या है थीम
International Day of Sign Languages 2020 सांकेतिक भाषा बधिर व्यक्तियों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र ने 23 सितंबर 2018 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाने की घोषणा की थी। जानिए इससे जुड़ी अन्य जरूरी बातें-
जो लोग सुन या बोल नहीं सकते, उनके हाथों, चेहरे और शरीर के हाव-भाव से बातचीत की भाषा को सांकेतिक भाषा यानी Sign Language कहा जाता है। दूसरी भाषा की तरह सांकेतिक भाषा के भी अपने व्याकरण और नियम हैं। सांकेतिक भाषा बधिर व्यक्तियों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे ही मूक-बधिर लोगों की मातृ भाषा भी कहा जा सकता है।
इतिहास
संयुक्त राष्ट्र ने 23 सितंबर 2018 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाने की घोषणा की थी। 23 सिंतबर 1951 को विश्व मूक फेडरेशन की स्थापना हुई थी। इसी उपलक्ष्य में हर साल अंतर्राष्ट्रीय साइन लैंग्वेज दिवस मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस की महत्व
सांकेतिक भाषा (Sign Languages) का प्रारम्भिक प्रमाण 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में प्लेटो की क्रेटीलस में मिलता है, जहां सुकरात कहते हैं कि “अगर हमारे पास आवाज या जुबान नहीं होती है और हम एक-दूसरे से विचार व्यक्त करना चाहते हैं तो क्या हम अपने हाथों, सिर और शरीर के अन्य अंगों द्वारा संकेत करने की कोशिश करते हैं, जैसा कि इस समय मूक लोग करते है ”। 1620 में जुआन पाब्लो बोनेट ने मेड्रिड में मूक-बधिर लोगो के संवाद को समर्पित पहली पुस्तक प्रकाशित की। इसके बाद 1680 में जोर्ज डालगार्नो ने भी एक ऐसी ही पुस्तक प्रकाशित की। 1755 में अब्बे डी लिपि ने Paris में बधिर बच्चों के लिए प्रथम विद्यालय की स्थापना की। 19वी सदी में अमेरिका तथा कुछ अन्य देशो में भी अनेक ऐसे स्कूलों की स्थापना होने लगी थी।
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 2020 का थीम
23 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य सांकेतिक भाषा के सन्दर्भ में जागरूकता फैलाना है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा की थीम “सभी के लिए सांकेतिक भाषा का अधिकार” है।
साइन लैंग्वेज का यह मतलब नहीं कि, आप इशारों में बात करने के लिए किसी भी तरह के हाव-भाव या बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल करें। हिंदी, अंग्रेजी या अन्य किसी भी भाषा की तरह ही साइन लैंग्वेज की भी अपनी एक व्याकरण, नियम व स्टाइल है।
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