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    Rasmalai: स्पंजी और रसीली रसमलाई का विज्ञान से हुआ आविष्कार, जानें इसकी दिलचस्प कहानी

    By Ritu ShawEdited By: Ritu Shaw
    Updated: Sat, 08 Jul 2023 09:03 AM (IST)

    Rasmalai भारत में मिठाइयों के अनगिनत ऑप्शन हैं। यहां के हर राज्य के पास एक अलग मिठाई और अलग स्वाद है जिसके पीछे अपनी एक अलग कहानी भी है। ऐसी ही एक मिठाई है रसमलाई जिसने लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बना रखी है। आज इस आर्टिकल में हम उसी मिठाई के इतिहास के बारे में जानेंगे ।

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    रसमलाई का इतिहास क्या है और कैसे यह प्रचलन में आई

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Rasmalai: मिठाइयां हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं, जिसके बिना कोई भी मील अधूरी सी लगती है। दुनिया भर में भारी संख्या में ऐसे लोग मौजूद हैं, जिन्हें अपना खाना पूरा करने के लिए अंत में मीठे की जरूरत होती है। वहीं, भारत में मिठाइयों की बात करें, तो हर राज्य के पास मिठाई के रूप में अपनी एक अलग पहचान है, जिसके पीछे कोई न कोई खासियत और कहानी है। ऐसी ही एक मिठाई है रसमलाई, जो बाकी मीठी डिशेज से बिल्कुल अलग है। नाजुक, रसभरे और दूधिया टेक्स्चर के साथ इसका मनमोहक स्वाद के साथ कुछ ऐसा है, जिसे अगर कोई चख ले, तो जुबां से होकर दिल तक पहुंचा जाती है। इसके बाद फिर वह व्यक्ति कभी रसमलाई खाने के लिए मना नहीं कर सकता। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर रसमलाई मिठाई के दुनिया में आई कैसे? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है, जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

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    रसमलाई क्या है?

    रसमलाई एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है, जो बंगाल राज्य से आई है। बेहद नरम और स्पंजी छेने से बनी यह एक आनंददायक मिठाई है, जिसे 'रसगुल्ला' भी कहा जाता है। बाद में इसे इलायची और केसर के स्वाद वाले स्वादिष्ट, मलाईदार और सुगंधित दूध सिरप में भिगोया जाता है, जिसके बाद यह रसमलाई का रूप ले लेती है। रसगुल्ले मीठे दूध के स्वाद को सोख लेते हैं, जिससे एक बेहद लजीज स्वाद निकलकर आता है और यह आसानी से मुंह में पिघल जाते हैं। रसमलाई को अक्सर बादाम और पिस्ता जैसे कटे हुए मेवों से सजाया जाता है, जिससे इसमें क्रंच जुड़ जाता है। यह शानदार मिठाई भारतीय खाने का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसे खास मौकों पर मुख्य रूप से परोसा जाता है।

    रसमलाई अस्तित्व में कैसे आई?

    बहुत से लोग नहीं जानते होंगे, लेकिन यह स्वादिष्ट मिठाई पहली बार एक विज्ञान प्रयोग के हिस्से के रूप में कोलकाता में बनाई गई थी। रिपोर्ट्स की मानें, तो कोलकाता की सबसे प्रसिद्ध मिठाई की दुकान केसी दास के पोते सारदा चरण के मुताबिक रसमलाई को पहली बार एक प्रयोग के रूप में बनाया गया था। वह एक शोध सहायक थे और इस दौरान उन्होंने रिवर्स ऑस्मोसिस प्रक्रिया के बारे में पढ़ा। इस प्रक्रिया का उपयोग करते हुए, सारदा ने सबसे पहले मीठे रसगुल्ले को संरक्षित करना सीखा, जिसके बाद 'डिब्बाबंद रसगुल्ले' का आविष्कार हुआ। केसी दास ने इस प्रयोग को आगे बढ़ाने के बारे में सोचा और इस तरह रसमलाई का आविष्कार किया।

    रसमलाई लोकप्रिय कैसे हुई?

    ऐसा माना जाता है कि जिस स्थान पर दास परिवार की दुकान थी, वह मारवाड़ी समुदाय से घिरा हुआ था। इस स्वादिष्ट मीठे व्यंजन को लोगों तक पहुंचाने का श्रेय मारवाड़ियों को जाता है। उन्होंने इस स्वीट डिश को देशभर में फैलाने का काम किया। जैसे-जैसे इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई, वैसे-वैसे लोग इसके स्वादों के साथ प्रयोग करने लगे। सादी रसमलाई से लेकर केसर और इलायची वाली रसमलाई तक लोगों को यह मीठी डिश खूब पसंद आने लगी।

    रसमलाई से जुड़ी कहानी क्या है?

    रसमलाई बनाने के पीछे एक और कहानी है। ऐसा माना जाता है कि इस मीठे व्यंजन की उत्पत्ति बांग्लादेश के कोमिला में हुई थी। लोग रसगुल्ले को गाढ़े मलाईदार दूध में भिगोकर खाने लगे। इसे शुरू में खीर भोग कहा जाता था। समय के साथ इसे छोटा कर दिया गया ताकि इसे सोखना आसान हो जाए। वहीं जब पश्चिम बंगाल का विभाजन हुआ तो इसका नाम भी बदल दिया गया। कोमिला के सेन बंधुओं का दावा है कि रसमलाई उनके परिवार द्वारा बनाई गई है और उन्होंने इस मिठाई के लिए जीआई टैग के लिए भी आवेदन किया है।