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    Hindi Diwas 2021: बोलचाल में यूज किए जाने वाले आम शब्दों के शुद्ध रूप, मतलब और ऐसे करें इनका यूज़

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Tue, 14 Sep 2021 09:00 AM (IST)

    Hindi Diwas 2021 हिंदी को जीवित और सर्वव्यापी बनाने के लिए सिर्फ लोगों को इसका महत्व बताना ही काफी नहीं उसका सही मतलब भी जानना भी जरुरी है। आज इस मौके पर हम आपके लिए कुछ ऐसे शब्द लेकर आए हैं जिनका अर्थ और इस्तेमाल आपको जानना चाहिए।

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    14 सितंबर को मनाई जाने वाली हिंदी दिवस की तस्वीर

    हिंदी भाषा में जैसे-जैसे विकास होता गया उसमें नए-नए शब्द जुड़ते गए। अरबी-फारसी, उर्दू भाषा के भी कई शब्द आज हिंदी भाषा में शामिल हो चुके हैं। जिनका हम सहूलियत के हिसाब से इस्तेमाल तो कर लेते हैं लेकिन उसका सही अर्थ नहीं जानते। तो आज ऐसे ही कुछ शब्दों के बारे में जानेंगे।  

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    खानदान-खान्दानी

    ख़ानदान फ़ारसी-भाषा का शब्द है। शब्दभेद की दृष्टि से यह संज्ञा-शब्द है। लिंग के आधार पर इसे 'पुंल्लिंग' के अन्तर्गत रखा गया है। इसके अनेक समानार्थी शब्द हैं - कुल, घराना, परिवार वंश इत्यादिक। उदाहरण के लिए- उसका ख़ानदान उच्च कोटि का है।

    ख़ानदान से ही 'ख़ान्दानी' शब्द का सर्जन होता है, जो कि शब्दभेद के विचार से विशेषण का शब्द है। 'ख़ानदानी' के समानार्थक शब्द हैं - कुलीन, शरीफ़ (अरबी-भाषा), ऊंचे वंश का, श्रेष्ठ कुल का, अच्छे और ऊंचे कुल का इत्यादिक। इसके अन्य अनेक अर्थ हैं - पैतृक, पुश्तैनी, वंश-परम्परागत, वंश का व्यक्ति, आनुवंशिक इत्यादिक। ख़ानदानी की परिभाषा है- जो कर्म अथवा व्यवसाय किसी ख़ानदान अथवा कुल में दीर्घकाल से होता आ रहा हो, वह 'ख़ानदानी' कहलाता है। उदाहरण के लिए- उसे अच्छे संस्कार विरासत में मिलने के कारण वह आज भी उस ख़ानदानी परम्परा का निर्वहण करता आ रहा है।

    गाना-गीत

    हमारे समाज के प्रत्येक क्षेत्र में 'गाना' का प्रयोग किया जाता है; परन्तु उसका रूप 'अशुद्ध' रहता है। शब्दभेद की दृष्टि से 'गाना' क्रिया-शब्द है, जबकि इसका प्रयोग सर्वत्र 'संज्ञा' के रूप में होता है। आपने जैसे ही कहा-(1) यह गाना मुझे बहुत प्रिय है। (2) अब आपको एक गाना सुनाता हूँ। वैसे ही आपका शब्दप्रयोग अशुद्ध हो जाता है। आपको कहना होगा- (1) यह गीत मुझे बहुत प्रिय है। (2) अब आपको एक गीत सुनाता हूँ। आपको यदि 'गाना' शब्द का प्रयोग करना ही हो तो आप कहेंगे- मैं एक गीत गाना चाहता हूँ। 'गीत' संज्ञा-शब्द है। 'गीत' संस्कृत-भाषा से निष्पन्न शब्द है। यह 'गै' धातु का शब्द है, जिसका अर्थ 'गाना' है। इस धातु में 'क्त्' प्रत्यय का योग है। 'गीत' का अर्थ है, 'गाने की चीज़'। इसकी परिभाषा है- वह पद अथवा छन्द, जो गाया जाये, 'गीत' है।

    हज़ार-हज़ारों

    हज़ार-हज़ारों: ये संख्याबोधक शब्द हैं। इनका प्रयोग करते समय बहुत ही सजगता बरतनी होगी। बातों-ही-बातों में अधिकतर लोग 'हज़ारों हज़ार' और 'हज़ारों-हज़ारों' का प्रयोग करने लगते हैं। ये प्रयोग अशुद्ध हैं। आप किसी निर्जीव अथवा सजीव की जब गणना करते हैं, तब हज़ार की संख्या पूर्ण करते ही कहेंगे, 'हज़ार' अथवा 'एक हज़ार'। जब आप गणना करते हुए, एक हज़ार की संख्या पार कर जाते हैं तब कहेंगे, 'हज़ारों'; लेकिन 'हज़ारों-हज़ार' और 'हज़ारों-हज़ारों' नहीं कहेंगे। दो उदाहरण देखें- (1) मैंने हज़ारों-हज़ार नोट देखे थे। (2) वहाँ हज़ारों-हज़ारों की भीड़ थी। ये दोनों ही वाक्य प्रयोग पूर्णत: अशुद्ध हैं। इनके शुद्ध रूप समझें- (1) मैंने हज़ार रुपये के नोट देखे थे।/ मैंने हज़ारों रुपये देखे थे। गणना के अनुसार आप या तो 'हज़ार' कहेंगे या फिर 'हज़ारों' कहेंगे। यदि कोई ऐसा कहता है कि 'हज़ारों हज़ार' शुद्ध है तो उससे पूछिए- 'सौवों सौ' का प्रयोग क्यों नहीं करते।