Herbal Colours: जानें क्यों करना चाहिए हर्बल कलर का इस्तेमाल और कैसे करें इनकी पहचान
Herbal Colours होली के दौरान लोगों का पहली प्राथमिकता होती है कि वो हर्बल कलर ही खरीदें जिसे ऑर्गेनिक कलर भी कहते हैं। चलिए जानतें है कि आखिर इसे क्यों इस्तेमाल करना चाहिए और इसकी पहचान कैसे की जा सकती है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Herbal Colours: पूरे देश में होली का माहौल है। होली मतलब रंगों का त्योहार और इस मौके पर जिसकी सबसे ज्यादा बिक्री होती है वो है रंग बिरंगे अबीर और गुलाल। इस दौरान लोगों का पहली प्राथमिकता होती है कि वो हर्बल कलर ही खरीदें, जिसे ऑर्गेनिक कलर भी कहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर्बल कलर या ऑर्गेनिक कलर क्या है? चलिए जानते हैं हर्बल कलर से जुड़ी सभी जानकारियों के बारे में।
हर्बल कलर क्या होते हैं?
होली के दिन हम जिसे खासतौर पर खरीदते हैं यानी हर्बल कलर को वो और कुछ नहीं बल्कि ऐसे रंग होते हैं, जो प्राकृति में मौजूद तत्वों के अर्क से बने होते हैं और इनमें किसी भी प्रकार का रसायन इस्तेमाल नहीं किया जाता है। हर्बल कलर्स को बनाने के लिए अधिकतर सूखे पत्तों, फलों और फूलों का इस्तेमाल किया जाता है।
हर्बल कलर की सबसे अच्छी बात यह है कि वे न केवल त्वचा और स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी काफी अनुकूल होते हैं। विभिन्न रंगों को बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की खाद्य और जैविक सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें अमोनिया, सल्फेट्स, पैराबेन्स और रेसोरिसिनॉल जैसे हानिकारक केमिकल्स का इस्तेमाल नहीं होता है।
क्या सुरक्षित होते हैं हर्बल कलर?
होली के लिए हर्बल कलर का उपयोग करना सबसे अच्छा होता है क्योंकि उनकी उत्पादन प्रक्रिया की गंभीर रूप से निगरानी की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे प्राकृतिक रूप से बने हैं, सुरक्षित हैं और इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं। साथ ही ये अच्छे प्रभावों के साथ स्वस्थ भी हैं। इतना ही नहीं, वे त्वचा के अनुकूल, लैब टेस्टेड और बिल्कुल सुरक्षित माने जाते हैं।
कैसे बनते हैं हर्बल कलर?
हर्बल कलर का मतलब जो हर्ब्स या फिर प्राकृतिक रंजक पौधों से बने हों। ये पर्यावरण में मैजूद फूल, फल सब्जियों या खनिजों से प्राप्त किए जाते हैं। जैसे पेड़ की हरी पत्तियां या ताजे फूलों के अर्क। इसके अलावा मसाले और सब्जियां जैसे हल्दी या चुकंदर भी इन रंगों को प्राप्त करने का सबसे अच्छा स्त्रोत होते हैं।
प्राकृति रंग कौन से होते हैं?
-लाल
-हरा
-नीला
हमने बचपन में प्राथमिक रंगों के बारे में पढ़ा है, जिनसे बाकी के दूसरे रंगों का निर्माण किया जा सकता है।
क्यों करना चाहिए हर्बल कलर का इस्तेमाल?
हर्बल कलर का इस्तेमाल करने की सलाह हमें त्वचा विशेषज्ञ भी देते हैं। क्योंकि केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल केवल इंसानों पर ही नहीं जानवरों पर भी बेरहमी से किया जाता है, जिससे उनके शरीर पर इंफेक्शन होने लगता है। दूसरी ओर इंसानों को भी स्किन संबंधी समस्या होने लगती है, जिसका ठीक से उपचार ना किया जाए तो परिणाम भयावह हो सकते हैं। वहीं हर्बल कलर्स में पौधों और अन्य प्राकृतिक अर्क शामिल होते हैं, जो किसी को भी क्षति नहीं पहुंचाते और सुरक्षित होते हैं।
कैसे करें हर्बल कलर की पहचान?
मार्केट में हर्बल कलर के नाम पर कई उत्पाद मौजूद हैं। ऐसे में इनकी पहचान कर पाना मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं। आप अपने लिए हर्बल कलर चुनते हुए प्रयुक्त सामग्री की सूची को पढ़ें, जिसकी जानकारी पैकेजिंग लेबल पर दी गई होगी। इसमें हल्दी, गुलाब की पंखुड़ियां, इंडिगो जैसे प्राकृतिक सामग्री की सूची होनी चाहिए। हालांकि, देखने में हर्बल और केमिकल कलर दोनों ही एक से नजर आते हैं, लेकिन केमिकल युक्त रंगों की तुलना में, प्राकृतिक रंग थोड़े कम चमकदार दिखते हैं।
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