Easter Eggs & Easter Bunny: जानें क्या है ईस्टर के अंडों और बनी की कहानी!
Easter Eggs Bunny ईसाई धर्म की मान्यता है कि गुड फ्राइडे के तीन बाद यानि ईसा मसीह सूली पर चढ़ने के बाद दोबारा जीवित हुए थे। इसकी खुशी में ईसाई समुदाय के लोग खुशियां मनाते हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Importance Of Easter Eggs & Bunny: आज दुनियाभर में ईस्टर संडे मनाया जा रहा है। क्रिस्मस के बाद ईस्टर ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार है। ईसाई धर्म के लोगों की मान्यता है कि गुड फ्राइडे के तीन बाद यानि ईसा मसीह सूली पर चढ़ने के बाद दोबारा जीवित हुए थे। इसकी खुशी में ईसाई समुदाय के लोग खुशियां मनाते हैं। प्रभु ईसा मसीह करीब 40 दिनों तक पृथ्वी पर रहे और अपने शिष्यों को प्रेम का पाठ पढ़ाया और फिर स्वर्ग चले गए।
गुड फ्राइडे को लोग जहां शोक मनाते हैं, वहीं ईस्टर पर खुशियां लौट आती हैं। ईस्टर के दिन लोग चर्च और घरों में मोमबत्तियां जलाते हैं और इस दिन ईस्टर लंच का आयोजन भी किया जाता है। हालांकि, इस साल कोरोना वायरस के फैले क़हर की वजह से लोग घरों में बंद हैं और इस साल घर में ही ईस्टर मनाया जाएगा।
ईस्टर के त्योहार पर आपके अंडों और ईस्टर बनी का ज़िक्र भी कई बार सुना होगा। तो आइए जानते हैं इनका महत्व।
क्या होते हैं ईस्टर एग्स?
वैसे तो ईस्टर के दिन कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन इन सब में ईस्टर एग की अपनी खास जगह है। इन लजीज़ चॉकलेट अंडों के प्रति बच्चों के बीच खासा उत्साह देखने को मिलता है। यह अंडे के आकार में बना चाकलेट होती है जो अंदर से खोखला होती है।
ईस्टर वाले दिन अंडों को विशेष रूप से सजाया जाता है। अंडों पर तरह-तरह की कलाकृतियां उकेरी जाती है। इस मौके पर लोग एक दूसरे को अंडे गिफ्ट में देते हैं। लोग अंडे को बहुत ही शुभ मनाते है क्योंकि अंडे में नया जीवन और नई उंमग का संदेश छिपा हुआ होता है।
क्या है ईस्टर बनी की कहानी?
क्रिससम के मौके पर बच्चों को जहां सैंटा क्लॉज का इंतज़ार रहता है, वहीं ईस्टर के दिन बच्चे ईस्टर बनी की राह देखते हैं। मॉडर्न ज़माने में ईस्टर एग एक कॉमोडिटी के रूप में तब्दील हो चुका है जिसे एक बनी लोगों के घर जाकर डिलिवर करता है। इस इस्टर बनी का बाइबल में कोई ज़िक्र नहीं है। कहा जाता है कि इस रस्म की शुरुआत जर्मनी से हुई थी।
ये है ईस्टर की कहानी
धरती पर ईश्वर के पुत्र, ईसा मसीह के चमत्कारों से डरकर रोमन गवर्नर पिलातुस ने उन्हें यरुशलम के पहाड़ पर फांसी पर चढ़ा दिया था। ऐसी मान्यता है कि इसके तीन दिन बाद वह फिर जीवित हो उठे थे। बाइबल के मुताबिक, रोमी सैनिकों ने ईसा को कोड़ों से मारा। उनके सर पर कांटों का ताज सजाया और उन पर थूका। पीठ पर अपना ही क्रॉस उठवा कर, उन्हें उस पहाड़ी पर ले जाया गया, जहां उसी क्रॉस पर उन्हें लटका दिया गया।
उस समय भी ईशु ने यही कहा था, "हे पिता परमेश्वर, इन लोगों को माफ करना, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।" मौत के बाद उन्हें कब्र में दफनाया गया। इस घटना के तीन दिन बाद मैरी मग्दलेना कुछ अन्य महिलाओं के साथ जीसस क्राइस्ट को श्रद्धांजलि देने पहुंचीं। जब वह मकबरे के पास पहुंचीं तो वहां देखा कि समाधि का पत्थर खिसका और समाधि खाली हो गई।
समाधि के भीतर दो देवदूत दिखे, उन्होंने ईसा मसीह के ज़िंदा होने का शुभ समाचार दिया। इसके बाद खुद ईसा मसीह ने 40 दिनतक हज़ारों लोगों को अपने दर्शन दिए। ईसा के शिष्यों ने उनके नए धर्म को सभी जगह फैलाया। यही धर्म आज ईसाई धर्म के नाम से जाना जाता है।
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