100 years Of Delhi University:सौ सालों का इतिहास खुद में समेटे हुए है डीयू, कई क्रांतिकारी छात्र रहे कालेज का हिस्सा
100 years Of Delhi University महात्मा गांधी ने भी स्टीफेंस कालेज का दौरा किया और उसे संबोधित किया और वहां असहयोग प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया गया। दिल ...और पढ़ें

नई दिल्ली। 100 years Of Delhi University:दिल्ली विश्वविद्यालय अपने इन 100 वर्षों में देश के 100 वर्षों का इतिहास भी समेट रखा है। विशेष रूप से यदि इसके आरंभिक 25 वर्षों की बात करें तो इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को बहुत करीब से देखा है। आजादी की लड़ाई में ब्रिटिश सत्ता से बेखौफ भिड़ जाने वाले और सत्ता प्राण गंवाने वाले कई क्रांतिकारी विश्वविद्यालय के विभिन्न कालेजों के छात्र रहे थे।
अंग्रेजों के खिलाफ छात्रों द्वारा किए गए कई विरोध और हड़तालों के आयोजन का यह विश्वविद्यालय साक्षी रहा है। राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक बहुत ही महत्वपूर्ण नेता लाला हरदयाल, जिन्होंने गदर पार्टी की स्थापना में केंद्रीय भूमिका निभाई थी, वे स्टीफन कालेज के छात्र थे।
होमरूल आंदोलन के दौरान भी यहां छात्रों ने सक्रियता दिखाई थी और बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन और हड़ताल आयोजित की थीं। दिल्ली षड्यंत्र मामले की सुनवाई कर रही अदालत वाइसरीगल लाज (वर्तमान कुलपति कार्यालय) में आयोजित की गई थी।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान, सेंट स्टीफंस कालेज के छात्रों ने कालेज की मुख्य इमारत के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज फहराया, जो वहां तीन-चार दिनों तक रहा, इसी क्रम में 26 जनवरी 1936 को दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने 'स्वतंत्रता दिवस' भी मनाया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब दिल्ली के कश्मीरी गेट के पास सेंट स्टीफंस और हिंदू कालेजों के सामने त्रिकोणीय पार्क में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया, तो इस विश्वविद्यालय के छात्र भी प्रदर्शन में शामिल हुए थे।
यहां तक कि महात्मा गांधी ने भी स्टीफेंस कालेज का दौरा किया और उसे संबोधित किया और वहां 'असहयोग प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय का अपना एक शिक्षक संघ है जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के नाम से जाना जाता है। डूटा की स्थापना वर्ष 1957 में हुई थी, जबकि इसके अध्यक्ष पद का चुनाव 1967 से शुरू हुआ था।
देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में जब भी शिक्षक हितों की बात आती है, सभी जगह के शिक्षक डूटा की तरफ देखते हैं। केवल शिक्षकों और छात्रों के हित के लिए ही नहीं बल्कि देशहित के लिए भी यहां के शिक्षक नेता कई बार जेल गए हैं। दरअसल शिक्षक संघ, विश्वविद्यालय और सत्ता के बीच एक सेतु का कार्य करता है।
एक संस्थान के लिए 100 वर्ष उसका बाल्य काल ही होता है। समय के साथ जब हजारों छात्र और शिक्षक अपने-अपने हिस्से की ईंटें जोड़ते हैं, नींव तैयार करते हैं...और तब जाकर शिक्षा के क्षेत्र में एक समर्थ संस्थान तैयार होता है, दिल्ली विश्वविद्यालय ऐसे ही संस्थान का प्रतीक है।
यह दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात होगी कि जब देश 2047 में आजादी की सौवीं वर्षगांठ मना रहा होगा तो विश्वविद्यालय भी अपने अंदर कई नई उपलब्धियों को समाहित कर 125 वर्ष का हो चुका होगा। उस समय तक निश्चित रूप से इसकी ख्याति और प्रासंगिकता और ज्यादा होगी।
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(लेखक असिस्टेंट प्रो. आनंद प्रकाश)

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