Delhi Special Tikki: सतीश कौशिक को भाती थी 'दिलवाली' टिक्की, करोल बाग के इस व्यंजन को आप भी जरूर करें ट्राई
दिलवालों की दिल्ली अपने खानपान के लिए देश-दुनिया में जानी जाती है। यहां कई सारे ऐसे व्यंजन हैं जो लोगों को काफी पसंद आते हैं। इन्हीं पकवानों में से एक दिल के आकार वाली करारी टिक्की भी लोगों के बीच काफी मशहूर है।

नई दिल्ली, रितु राणा: अगर आप भी बढ़िया और स्वादिष्ट खाने के शौकीन हैं, तो करोल बाग स्थित रामजस रोड पर चले आइए। यहां पर सिंधी कार्नर की लजीज और दिल के आकार वाली करारी टिक्की का स्वाद एक बार चख लिया तो बार-बार आने को मन ललचाएगा। दिवंगत बालीवुड अभिनेता, निर्देशक सतीश कौशिक के बचपन की मित्र पूर्व प्रोफेसर डा. सरोज गुप्ता ने बताया कि घर से सिर्फ 10 मिनट की दूरी पर ही रामजस रोड पर सिंधी कार्नर था। स्कूल-कॉलेज के सभी साथी सिंधी कार्नर की टिक्की खूब खाते थे। करोल बाग स्थित रामलीला मैदान से जब हम लोग मंचन देखकर आते थे, तो रास्ते में सिंधी कार्नर की दिल के आकार वाली टिक्की खाकर ही घर लौटते थे।
एक आने से 90 रुपये तक
दिल के आकार वाली टिक्की दुकान के मालिक अशोक ने बताया कि देश के बंटवारे के बाद उनके पिताजी स्वर्गीय टेकचंद पाकिस्तान के सख्खर से खाली हाथ दिल्ली आए थे। इसके बाद साल 1951 से रामजस रोड पर रेहड़ी लगाकर टिक्की बेचनी शुरू की। पिताजी ने ही दिल के आकार की टिक्की बनानी शुरू की थी और आज तक हम ऐसे ही टिक्की बनाते आ रहे हैं। शायद दिल्ली के नाम से ही उन्होंने अपनी टिक्की को दिल का आकार दिया होगा, जिससे लोग खूब आकर्षित हुए।
दादा से लेकर पोते तक टिक्की का स्वाद बरकरार
अशोक का कहना है कि पिताजी उन दिनों एक आने में टिक्की बेचा करते थे और आज इस टिक्की की कीमत 90 रुपये प्रति प्लेट है, जिसमें टिक्की के दो पीस मिलते हैं। पिता ने खूब संघर्ष और मेहनत करके 1969 में सिंधी कार्नर को रेहड़ी से दुकान तक पहुंचाया। टेकचंद के गुजर जाने के बाद अब सिंधी कार्नर उनके बेटे हरगुनदास, अशोक कुमार, नंदलाल व खुशीराम के अलावा पोते खुशाल, यश भरत, कपिल, राकेश और ललित मिलकर संभाल रहे हैं।
दूसरी जगह से अलग सिंधी कार्नर की टिक्की
सिंधी कार्नर की एक खास बात यह भी है कि यहां दूसरी जगहों की तरह टिक्की में सॉस मिलाकर नहीं, बल्कि अलग से परोसी जाती है। इससे टिक्की का करारापन बरकरार रहता है। टिक्की के साथ धनिये व पुदीने की चटनी परोसी जाती है। अशोक ने बताया कि मिठास के लिए गुड़ व खट्टे के लिए अमचूर मिलाया जाता है। चटनी में प्याज ऊपर से काटकर डाला जाता है। पिताजी ने तो सिर्फ टिक्की बनाने से शुरुआत की थी, लेकिन अब यहां रस मलाई, गुलाब जामुन, राज कचौड़ी, गोलगप्पे तीस, भल्ले पापड़ी और पनीर पकौड़ा भी परोसा जाता है।
Picture Courtesy:Instagram/khaana_mittro
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