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अच्छे श्रोता बनेंगे तो होंगे ये अनगिनत फायदे

सुनना एक कला है, जिसे अपने भीतर विकसित किया जाए, तो इससे जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ना आसान हो सकता है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Sat, 01 Apr 2017 12:30 PM (IST)Updated: Sun, 02 Apr 2017 12:01 PM (IST)
अच्छे श्रोता बनेंगे तो होंगे ये अनगिनत फायदे
अच्छे श्रोता बनेंगे तो होंगे ये अनगिनत फायदे

अच्छा श्रोता होना आपको दूसरों की आंखों से दुनिया देखने का एक मौका देता है। यह आपकी समझ और सहानुभूति की क्षमता को बढ़ाता है। आपको अपनी संवाद क्षमता को बढ़ाकर अपने संपर्कों को बढ़ाने में भी सहायता करता है। किसी को सुनने की क्षमता आपको दूसरे व्यक्ति की परिस्थिति को अच्छे से समझने में, क्या कहना है और क्या नहीं, यह समझने में भी सहायता करती है। सुनना आसान लग सकता है, विशेषत: तब, जब मतभेद खत्म हो जाए। ऐसे में यह करने के लिए अच्छे-खासे प्रयास और अभ्यास की जरूरत पड़ती है। विंस्टन चर्चिल ने कहा था, ‘यदि आप सिर्फ बोलना जानते हैं, तो कभी सफल नहीं हो सकते।’ सुनना एक कला है, जिसे अपने भीतर विकसित किया जाए, तो इससे जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ना आसान हो सकता है।

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जिस व्यक्ति में सुनने की कला या लिसनिंग स्किल होती है, वह दूसरों के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने में हमेशा सफल होता है। सुनना एक जटिल संवाद प्रक्रिया हो सकती है, जो ध्वनि तरंगों को सुन लेने मात्र से अधिक है। इस दौरान वक्ता और श्रोता की शारीरिक व मानसिक उपलब्धि, वक्ता द्वारा श्रोता तक संदेश का सही प्रतिपादन, श्रोता द्वारा संदेश को याद रखे जाने और उस पर श्रोता की प्रतिक्रिया आदि कुछ बातें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। शोधों से पता चला है कि एक सामान्य व्यक्ति दिन-भर में बोलने से दोगुना व लिखने या पढ़ने से पांच गुना अधिक बातें सुनता है। दिन भर के कार्य में औसतन हम 80 प्रतिशत समय संवाद में व्यतीत कर देते हैं। इसमें से भी 45 प्रतिशत समय मात्र सुनने में ही व्यतीत होता है। अच्छा श्रोता होने के महत्व को जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि हम दूसरों से बातें क्यों करते हैं? मौखिक संवाद के चार मूल उद्देश्य हैं। पहला, अपना परिचय देने के लिए अथवा नया संबंध स्थापित करने के लिए। दूसरा, अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए। तीसरा, किसी को जानकारी प्रदान करने के लिए और चौथा, अपनी बात मनवाने के लिए।

अच्छे श्रोता हमेशा वक्ता की बातों से अपने काम की बात ग्रहण कर लेते हैं। वे वक्ता की रीति या शैली की जगह उसकी बातों में निहित संदेश और उसके अर्थ पर ध्यान देते हैं, जबकि सामान्य रूप से लोग वक्ता के साथ बात करने के तरीके पर ध्यान देते हैं। अच्छे श्रोता, वक्ता की बात पूर्ण होने तक उसे सुनते हैं, जबकि सामान्य व्यक्ति बीच में ही अपनी बात करने लगते हैं। अच्छे श्रोता अपनी पुरानी जानकारी से वक्ता के संदेश को जोड़ने का प्रयास करते हैं, जबकि सामान्य व्यक्ति सिर्फ सुनते भर हैं। एक अच्छा श्रोता न केवल बातें सुनता है, बल्कि वक्ता के हाव-भाव और आवाज की तीव्रता पर भी ध्यान देता है। वह बात पूर्ण हो जाने के बाद प्रतिक्रिया करता है और अपने काम की बातें याद रख लेता है। इस तरह हमें सफल जीवन के लिए स्वयं के भीतर एक अच्छे श्रोता के गुण विकसित करने चाहिए। याद रखें, वक्ता भी एक अच्छे श्रोता से प्रभावित होता है और अपने मन में उसके प्रति सम्मान रखता है।
-एस. के. झा प्रिंसिपल, डीएवी पब्लिक स्कूल बखरी, मुजफ्फरपुर (बिहार)

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