Ayurveda Day 2021; धनतेरस के दिन ही क्यों मनाया जाता है आयुर्वेद दिवस, जानें यहां
Ayurveda Day 2021 आयुर्वेद को हमारे देश में इतना महत्व इसलिए दिया जाता है क्योंकि इसके साइड इफेक्ट के चांसेज बहुत ही कम होते हैं। साथ ही इससे शरीर में होने वाला फायदे लंबे समय तक भी बने रहते हैं।
आयुर्वेद दिवस हर साल धन्वंतरी जयंती या धनतेरस के दिन मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत साल 2016 में हुई थी। इस साल देश पांचवा आयुर्वेद दिवस मनाएगा। जैसा कि आपको नाम से समझ आ ही गया होगा इस दिवस को मनाने का उद्देश्य। इसका उद्देश्य आयुर्वेद को बढ़ावा देने के साथ ही इससे जुड़े लोगों और उद्यमियों में कारोबार के नए अवसरों के प्रति जागरूक करना है।
हर साल, राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस को आयुष मंत्रालय द्वारा धन्वंतरि जयंती यानी धनतेरस के दिन मनाया जाता है। जब इंसान को दवाओं की समझ नहीं थी तब रोगों का उपचार आयुर्वेद के माध्यम से ही किया जाता था और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है इसलिए इसकी महत्वता है।
कौन हैं भगवान धन्वंतरि?
भारतीय पौराणिक दृष्टि से धनतेरस को स्वास्थ्य के देवता का दिवस माना जाता है। भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता माने जाते हैं। आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा से हुई ऐसा माना जाता है। आदि काल के ग्रंथों में रामायण-महाभारत और भी कई दूसरे महत्वपूर्ण पुराणों की रचना हुई है, जिसमें सभी ग्रंथों ने आयुर्वेदावतरण के प्रसंग में भगवान धन्वंतरि का उल्लेख किया है।
धनतेरस के दिन ही क्यों मनाते हैं आयुर्वेद दिवस?
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हर साल धनतेरस के दिन मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरी को आयुर्वेद और आरोग्य का देवता माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। समुद्र मंथन से निकले भगवान धन्वंतरि के हाथों में कलश था। इसी वजह से दिवाली के दो दिन पहले भगवान धन्वंतरी के जन्मदिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में आयुर्वेद के देवता कहे जाने वाले भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन यानी धनतेरस के दिन राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। जो सेहतमंद रखने का बेहतरीन जरिया है।
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