Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Women's Day 2025: पहले पुरुषों के लिए होता था Pink Color का इस्तेमाल, जानें कैसे महिलाओं के साथ जुड़ गया इसका नाम

    Updated: Thu, 06 Mar 2025 07:59 PM (IST)

    पिंक कलर का कोई सामान हो तो समझ लेते हैं कि किसी महिला का ही होगा। गुलाबी रंग को महिलाओं से इस कदर जोड़कर देखा जाता है कि लोगों में धारणा बन चुकी है कि महिलाओं का फेवरेट कलर पिंक ही होता है। लेकिन ऐसा क्यों है (Pink Color Facts)। कैसे पिंक महिलाओं का रंग बन गया। आइए इस महिला दिवस (Womens Day 2025 ) इस बारे में जानें।

    Hero Image
    Women's Day 2025: क्या हमेशा से पिंक लड़कियों के लिए इस्तेमाल होता था? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पिंक यानी गुलाबी रंग की बात करते ही सबसे पहले दिमाग में महिलाएं आती हैं। इस रंग को महिलाओं का रंग माना जाता है और फेमेनिटी से जोड़कर देखते हैं, लेकिन ऐसा क्यों है? कैसे गुलाबी रंग महिलाओं का रंग बन गया। क्या हमेशा से ही ऐसा था या इसके पीछे कोई और कहानी है (Pink color history)? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रंगों का इतिहास और उनसे जुड़े सामाजिक अर्थ हमेशा से ही रोचक रहे हैं। आज गुलाबी रंग को महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन यह हमेशा से ऐसा नहीं था। पिंक रंग का महिलाओं से जुड़ाव एक ऐतिहासिक और कल्चरल प्रोसेस का नतीजा है, जो समय के साथ विकसित हुआ है। 

    प्रारंभिक इतिहास में पिंक रंग

    18वीं शताब्दी तक, पिंक रंग को लिंग से जोड़कर नहीं देखा जाता था (Gender and colors)। यूरोप में, पिंक रंग को शक्ति और जोश का प्रतीक माना जाता था। यह रंग लाल रंग का हल्का रूप है, जो खून और शक्ति का प्रतीक है। इसलिए पुरुषों और महिलाओं दोनों ने इसे पहना। फ्रांस के राजा लुई XV की मशहूर मिस्ट्रेस मैडम डी पोम्पाडौर ने पिंक रंग को लोकप्रिय बनाया और इसे "पोम्पाडौर पिंक" के नाम से जाना जाने लगा।

    ह भी पढ़ें: बनी तो थी पुरुषों के लिए, फिर कैसे महिलाओं के फैशन का हिस्सा बन गईं Heels?

    19वीं शताब्दी में बदलाव

    19वीं शताब्दी में रंगों को लिंग से जोड़ने की शुरुआत हुई। इस दौरान, बच्चों के कपड़ों में रंगों को लिंग के आधार पर चुना जाने लगा। हालांकि, उस समय पिंक रंग को लड़कों से जोड़ा जाता था, क्योंकि इसे लाल रंग का हल्का रूप माना जाता था, जो शक्ति और साहस का प्रतीक था। वहीं, नीला रंग, जो कोमलता और शांति का प्रतीक माना जाता था, लड़कियों से जोड़ा जाता था।

    20वीं शताब्दी में पिंक का महिलाओं से जुड़ाव

    20वीं शताब्दी में, विशेष रूप से 1940 और 1950 के दशक में, पिंक रंग का महिलाओं से जुड़ाव मजबूत हुआ। इसका एक बड़ा कारण मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग स्ट्रेटेजीज थीं। कंपनियों ने लिंग के आधार पर प्रोडक्ट्स को बेचने की रणनीति अपनाई। महिलाओं के लिए बने प्रोडक्ट्स, जैसे कपड़े, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और खिलौने में पिंक रंग का खूब इस्तेमाल किया गया। इससे पिंक रंग महिलाओं की पहचान बन गया।

    1950 के दशक में, अमेरिकी पहली महिला मैमी आइजनहावर ने पिंक रंग को और लोकप्रिय बनाया। उन्होंने अपने उद्घाटन समारोह के लिए एक गुलाबी गाउन पहना, जिसने इस रंग को महिलाओं के लिए एक फैशनेबल विकल्प बना दिया।

    आधुनिक समय में पिंक रंग

    आज, पिंक रंग को महिलाओं, कोमलता और फेमिनिटी से जोड़कर देखा जाता है। हालांकि, हाल के कुल सालों में, इस धारणा को चुनौती देने की कोशिशें की गई, जिसके कारण पिंक रंग का इस्तेमाल सभी लिंगों के लिए किया जाने लगा है। फिर भी पिंक रंग का महिलाओं से जुड़ाव आज भी मजबूत है।

    यह भी पढ़ें: कपड़े की नहीं, चमड़े की बनाई गई थी पहली ब्रा! यहां पढ़िए कैसा था इसका इतिहास