भारत की आजादी के नायक सुभाष चंद्र बोस के 10 नारे, जो दिल में भर देते हैं जोश
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था। उन्होंने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने सुप्रीम कमाण्डर (सर्वोच्च सेनापति) के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए दिल्ली चलो! का नारा दिया जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इम्फाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Subhash Chandra Bose Jayanti 2025 नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी साल1897 को ओड़िशा के कटक में हुआ था। नेता जी के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। नेता जी के पिता पेशे से वकील थे।
बता दें कि पहले वे सरकारी वकील थे मगर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। उन्होंने कटक की महापालिका में लम्बे समय तक काम किया था और वे बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे थे। बता दें कि सुभाष चंद्र बोस के नारे और कोट्स हमें आज भी प्रेरित करते हैं और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देते हैं। आज हम उनके 10 प्रेरक नारे (Subhash Chandra Bose inspirational quotes) आपको बता रहे हैं।
सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose Jayanti 2025) स्वतंत्रता संग्राम के बड़े नेता थे। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया (Subhash Chandra Bose slogans) "जय हिन्द" का नारा दिया गया था। जो अब भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया था।
नेता जी के 10 प्रसिद्ध नारे
- तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
- हमे अपने बलिदान और परिश्रम से जो आजादी मिले, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
- आजादी दी नहीं जाती – ली जाती है।
- आज हमारी एक ही इच्छा होनी चाहिए – मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके – एक शहीद की तरह मृत्यु का सामना करने की इच्छा, ताकि शहीद के खून से स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हो सके।
- एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन वह विचार, उसकी मृत्यु के बाद, एक हजार जन्मों में अवतरित होगा।
- जब हम खड़े होते हैं, तो आजाद हिंद फौज को ग्रेनाइट की दीवार की तरह होना चाहिए; जब हम मार्च करते हैं, आज़ाद हिंद फौज को स्टीमरोलर की तरह होना चाहिए।
- इतिहास में कोई वास्तविक परिवर्तन कभी भी चर्चाओं से हासिल नहीं हुआ है।
- अपने देश के प्रति सदैव वफादार रहने वाले, अपने प्राणों की आहुति देने के लिए सदैव तैयार रहने वाले सैनिक अजेय होते हैं।
- यह मत भूलो कि अन्याय और अन्याय के साथ समझौता करना सबसे बड़ा अपराध है। शाश्वत नियम याद रखें: यदि आप हासिल करना चाहते हैं, तो आपको देना होगा।
- जब हम खड़े होते हैं, तो आजाद हिंद फौज को ग्रेनाइट की दीवार की तरह होना चाहिए; जब हम मार्च करते हैं, आज़ाद हिंद फौज को स्टीमरोलर की तरह होना चाहिए।
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